
विधानसभा चुनावों के ठीक सत्रह दिन पहले गुजरात का स्टिंग ऑपरेशन टीवी पर दिखाया जाता है। बाबू बजरंगी बड़े गर्व से बताते हैं कि कैसे उन्होंने गर्भवती महिला का पेट तलवार से चीर दिया था। कैसे पुलिस प्रमुख के आदेश के बाद नरोदा पाटिया से 700-800 लाशों को उठाकर पूरे अहमदाबाद में जगह-जगह डाल दिया गया और कैसे ‘उन्हें’ मारने के बाद उनको महाराणा प्रताप जैसा एहसास हो रहा था और पूरे इलाके को इन लोगों ने हल्दी घाटी बना डाला था। गोधरा के बीजेपी विधायक हरेश भट्ट बताते हैं कि मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाकायदा बैठक में कहा था कि तीन दिन में जो चाहे कर लो। तीन दिन में करीब दो हज़ार मुसलमान मारे गए और फिर सब शांत हो गया। गुजरात के एडवोकेट जनरल अरविंद पंड्या कहते हैं कि नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री नहीं होते तो खुद दो-चार बम फोड़ आते।
बीजेपी और संघ परिवार कह रहा है कि ऐन चुनावों के वक्त पांच साल पुराने गढ़े मुर्दों को उखाड़ना कांग्रेस की साजिश है। लेकिन इस ऑपरेशन का राजनीतिक सच यह है कि इससे गुजरात की आबादी के 90 फीसदी हिंदू हिस्से के लिए नरेंद्र मोदी फिर से हृदय-सम्राट बन जाएंगे। कितनी उलटबांसी है कि जब मोदी खुद अपने मुंह से धर्म और संप्रदाय से ऊपर उठकर सारे गुजरातियों की पक्षधरता और सुशासन व विकास के दम पर चुनाव लड़ने का डंका पीट रहे थे और उमा भारती जैसी नेता उन्हें छद्म हिंदूवादी कहने लगी थीं, तब ‘कांग्रेस’ की इस साजिश से मोदी की कट्टर हिंदूवादी छवि फिर से ताज़ा हो गई। विकास के नारे को हिंदूवाद की आजमाई हुई तगड़ी बुनियाद मिल गई!
तहलका के जिस रिपोर्टर आशीष खेतान ने संघ परिवार के दंगा सेनानियों से बात की, उसने उन्हें बताया कि वह खुद हिंदूवादी है और हिदुत्व के उभार पर शोध कर रहा है। सारे सेनानियों को पता था कि वह एक ऐसे शख्स से बात कर रहे हैं जो इस जानकारी का कहीं न कहीं इस्तेमाल करेगा। तकनीक के जानकार लोग बताते हैं कि स्टिंग ऑपरेशन में जुटाई गई फूटेज की ऑडियो-वीडियो क्वालिटी देखकर यही लगता था कि खुलासा करनेवालों को खुद पता था कि उनकी बातों को रिकॉर्ड किया जा रहा है। उफ्फ, ये राजनीति कितनी बेरहम और जालसाज़ है!!
बताते हैं कि स्टिंग ऑपरेशन की सीडी लाखों में न्यूज चैनल को ‘बेची’ गई और चैनल ने इससे कुछ ही घंटों में डेढ़-दो करोड़ कमा लिए। ये भी बताते हैं कि कांग्रेस इसका फायदा आगामी लोकसभा चुनावों में उठाना चाहती है। उसे पता था कि वह गुजरात में नरेंद्र मोदी को इस बार भी हरा नहीं सकती। लेकिन वह मोदी की मुस्लिम-संहारक छवि को ताज़ा करके पूरे देश में मुस्लिम वोटों की गोलबंदी कर सकती है। यानी, एक स्टिंग ऑपरेशन और फायदा अनेक का। हो सकता है कि पक्ष-विपक्ष के राजनीतिक योजनाकार, तहलका के रिपोर्टर और चैनल के आका सभी मिलकर इसी वक्त कहीं जाम से जाम से टकराकर अपने ऑपरेशन की कामयाबी का जश्न मना रहे हों!!!
8 comments:
आप सही माने में छल समझ रहे हैं - तब, जब सभी भोंपू बजा रहे हैं! यह भोंपू तीन-चार दिन और बजता तो मैं लगभग यह लाइन ले कर पोस्ट ठेलने की सोच रहा था।
बड़ा गुड़ गोबर कर दिया आपने! :-)
बाकी स्टिंग ऑपरेशन में स्टिंग है ही नहीं!
अनिल जी, स्टिंग ऑपरेशन कैसे किया गया? करने वाले कौन थे? किसने कैसे राजनीति की? किसे क्या लाभ होगा? ये सब सवाल है जो अपनी जगह है। लेकिन स्टिंग ने जो दिखाया उससे आम जनता के सामने नरेन्द्र मोदी के क्रूर चेहरे को सामने ला दिया है। इससे आप भी सहमत होंगे।
अच्छा पकड़ा आपने स्टिंग को.
सर आपकी निगाह की दाद देनी हो....थोड़ी पूर्ती हमें भी दें....
सही!!
वैसे भी अपने देश में बिन राजनीत सब सून
आपने बिलकुल इनकी नब्ज़ पकड ली । सचमुच सारे राजनेता एक ही हमाम के .. हैं । बीच में जनता बेवकूफ बनती है । अगर वाकई इस ऑपरेशन का उद्देश सच जनता के सामने लाना था तो आधा सच क्यूं । गोधरा कांड का सच भी सामने लाते और पूरा सच दिखाते ।
इसमें छल क्या है अजगर की समझ में नहीं आया. सबसे बड़ी बात तो ये है कि जिस बात का दुनिया शक कर रही थी, समझ रही थी, वह देख भी लिया. अब अगर नरसंहार का सरकारी अनुष्ठान करवाने वाले नफरत के सौदागरों को जनता वोट देना चाहे तो खुशी से दे. हालांकि यह सब अगर उतना ही अप्रभावी होता जितना आप सब कह रहे हैं, तो गुजरात में इस चैनल का प्रसारण बंद न किया जाता. वैसे शुक्रवार के गुजरात समाचार ने अपना मास्ट हैड नीचे कर जो हैडलाइन लगाई थी वह थी- गोधरा मोदा का ब्रेन चाइल्ड था.
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