राम-राम! गजब गड्डम-गड्ड, पलट गई बीजेपी

रामसेतु के मुद्दे पर बीजेपी पलट गई है। बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने बयान दिया है कि उनकी पार्टी सेतु-सुंदरम परियोजना के खिलाफ नहीं है। उसे तो एतराज इस परियोजना के केवल ‘एलाइनमेंट’ पर है। वेंकैया नायडू ने कहा, “कोई भी इस परियोजना के खिलाफ कैसे हो सकता है। कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने जिस तरह की टिप्पणियां की हैं, हम उससे आहत हुए हैं।”
सेतु-सुंदरम परियोजना घाटे का सौदा
सेतु-सुंदरम परियोजना के लिए कर्ज का इंतज़ाम करनेवाले एक्सिस बैंक (पूर्व नाम, यूटीआई बैंक) के प्रमुख अधिकारी आशीष कुमार सिंह का कहना है कि इस परियोजना की लागत इतनी बढ़ गई है कि अब उसे कभी पूरा ही नहीं किया जा सकता। साल 2004 में जब इस परियोजना का खाका बनाया गया था, तब इसकी अनुमानित लागत 2427 करोड़ रुपए थी, जिसमें से 971 करोड़ रुपए सरकार की इक्विटी के रूप में लगने थे और बाकी 1456 करोड़ रुपए कर्ज से जुटाए जाने थे। साल 2005 में ही इसकी लागत बढ़कर 3500 करोड़ रुपए हो चुकी है और तब से लगातार बढ़ती जा रही है। इस बढ़ी लागत के चलते अब इसे बनाना पूरी तरह घाटे का सौदा बन चुका है। इसलिए इसके लिए कोई भी कर्ज देने को तैयार नहीं है।
राम की सेना ने ही तोड़ दिया था रामसेतु
अयोध्या के सबसे खास, हनुमान गढ़ी मंदिर के महंत ज्ञानदास का कहना है, “वे (बीजेपी और वीएचपी) सिर्फ रामसेतु का इस्तेमाल सत्ता और पैसा हासिल करने के लिए करना चाहते हैं।”
विवादित राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंदर दास का कहना है कि बीजेपी और वीएचपी ने राम मंदिर के मुद्दे पर जनता के साथ धोखा किया। और, जब उन्हें लग गया कि अब राम मंदिर के मुद्दे का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे तो वे रामसेतु पर भावनाएं भड़काने की कोशिश कर रहे हैं।
अयोध्या के एक और प्रमुख मंदिर सरयू कुंज के महंत जुगलकिशोर शरण शास्त्री तो बड़े ही मुंहफट हैं। उनका कहना है कि राम की सेना ने लंका तक पहुंचने के बाद समुद्र देवता के अनुरोध पर रामसेतु को ही नष्ट कर दिया था और रावण-वध के बाद राम और उनकी सेना पुष्पक विमान से अयोध्या वापस लौटी थी। इसलिए एडम्स ब्रिज कभी रामसेतु हो ही नहीं सकता।

Comments

Udan Tashtari said…
चलो, कहीं तो सुध जागी. है तो सब राजनीत...खुद के ही साथ छोड़ जायेंगे यह शायद बेजेपी ने न सोचा होगा..अच्छा ही हुआ है.
Anonymous said…
इन सब की बातें पढ़ते रहें और मजा लेते रहें.
36solutions said…
बढिया जानकारी है, राजनिति का खेल सबको समझ में आना चाहिए ।
धन्‍यवाद लिंक देनें एवं अपनी जानकारी प्रस्‍तुत करने के लिए ।

आरंभ
अच्छा जुग़ाड़ है रोचक खबरों का! सेतु न हुआ सतुआ हो गया. जितना चाहो पानी मिलाओ. फिर नमक डालो या गुड़ - दोनो से मजा है!
सही!! वैसे भी रामसेतु अब रामसेतु कहां है वह तो सिर्फ़ एक मसाला है राजनीति का
Kavi Kulwant said…
अनिल रघुराज जी..आप का ब्लाग पढ़कर अच्छा लगा ..
कवि कुलवंत
http://kavikulwant.blogspot.com
Anonymous said…
i am not aggee with your point of view on this matter.The presence of Ram in indians and the sensitiveness of the issue should be understood.It was the congress to create contraversy by telling that ram does not exist.
Now it is their turn to have the fruits of hurting the sentiments of indians.
Dear anonymous, I have not written a single line of my point of view in this post. I have just jextaposed three different news items & given their source too.

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