पीछे पड़े लेफ्ट को क्यों झिड़कता है मध्यवर्ग?
मध्यवर्ग के आखिर कौन-से ऐसे सरोकार हैं, जिनको लेकर हमारे देश की लेफ्ट पार्टियां चिंतित नहीं होतीं! जब-जब पेट्रोल, डीजल या रसोई गैस के दाम बढ़े हैं, उन्हें वापस लेने के लिए सबसे ज्यादा आंदोलन लेफ्ट ने ही किया है। सब्जियों के दाम बढ़ते हैं या किसी भी तरह की महंगाई आती है, लेफ्ट पार्टियां मोर्चा निकालती हैं। पढ़े-लिखे नौजवानों को नौकरी नहीं मिलती तो लेफ्ट उनकी आवाज़ उठाने में सबसे आगे रहता है। यहां तक कि तमाम विरोध के बावजूद उसने बीपीओ और कॉल सेंटर कर्मचारियों के अधिकारों के लिए यूनियन बनाने की पहल कर डाली। लेकिन मध्यवर्ग का बहुमत लेफ्ट को अपना नहीं मानता। मध्यवर्ग को भ्रष्टाचार से हमेशा शिकायत रहती है। जहां दूसरी पार्टियों के नेता या तो खुद भ्रष्टाचार में लिप्त रहते हैं या भ्रष्टाचार में लगे अफसरों को बचाते हैं, वहीं लेफ्ट पार्टियां वार्ड से लेकर प्रादेशिक और राष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ रैलियां निकालती हैं। लेफ्ट का एक भी नेता नहीं है, जिस पर भ्रष्टाचार के बड़े आरोप लगे हों। लेफ्ट के लिए महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोज़गारी लड़ाई के शाश्वत मुद्दे हैं। इन तीनों ही मुद्दों का वास्ता ...