अब रामसेतु पर मुसलमानों का दावा

सेतुसुंदरम परियोजना को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है। मिंट अखबार में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक तमिलनाडु के मुस्लिम समुदाय ने दावा किया है कि एडम्स ब्रिज असल में वह पुल है जिससे होकर हज़ारों साल पहले आदम ने कोलंबो से लेकर सऊदी अरब तक का सफर तय किया था। खास बात ये है कि यह दावा तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके से जुड़े मुस्लिम संगठन तमिलनाडु मुस्लिम मुन्नेत्र कड़गम की तरफ से किया गया है।

असल में ईसाई और मुस्लिम दोनों ही समुदाय ओल्ड टेस्टामेंट में विश्वास करते हैं। इस टेस्टामेंट में Abel और Cain नाम के दो दूतों का जिक्र है, जिन्हें मुसलमान हाबिल और काबिल कहते हैं। रामेश्वरम में आज भी हाबिल और काबिल की 60-60 फुट लंबी कब्रें हैं। ये कब्रें हाबिल और काबिल दरगाह के नाम से प्रसिद्ध हैं और इनका रखरखाव पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम के रिश्तेदार करते हैं।

लेकिन बीजेपी के लोग मुसलमानों के इस दावे को गलत मानते हैं। पार्टी के स्थानीय नेता अपने पक्ष में ब्रेख्त के नाटक खड़िया का घेरा की वो कहानी सुनाते हैं जिसमें दो औरतें एक बच्चे पर अधिकार के लिए जज के पास पहुंचती हैं। जज ने बच्चे को बीच में खड़ा किया और दोनों से कहा कि जो इस बच्चे को अपनी तरफ खींच ले जाएगी, वही उसकी असली मां घोषित कर दी जाएगी। लेकिन खींचते समय असली मां से बच्चे की तकलीफ देखी न गई और उसने बच्चा दूसरी औरत को खींच ले जाने दिया। जज असल में यही परखना चाहता था और उसने बच्चा असली मां के हवाले कर दिया।

बीजेपी का कहना है कि अगर एडम्स ब्रिज सचमुच मुसलमानों का आदम पुल होता तो वो उसे कभी भी खींचतान में राष्ट्रहित के नाम पर तोड़े जाने की इजाज़त नहीं देते। यह असल में वह रामसेतु ही है जिसे भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई के लिए बनाया था। यह हिंदुओं की ऐतिहासिक धरोधर है, इसलिए वो इसे तोड़े जाने की अनुमति कतई नहीं देंगे।

Comments

david santos said…
Thanks for your posting.

have a good weekend
दोनों को ही पुल से कोई मतलब नहीं है, सब को अपनी अपनी राजनीतीक रोटियां सेकनी है, सेक रहे हैं।
यह धार्मिक आस्था से जुड़ा मुद्दा बन गया है ऑर सभी धार्मिक /राजनीतिक नेतागण भी अपनी अपनी रोटियाँ सेकने मे लग गये है अभी आगे आगे देखिए होता क्या है . इन धार्मिक नैताओ को भी नही मालूम है क़ि रामसेतु कब बना ऑर यह कब से है और किसका है अभी तक कोई भी प्रामाणिक साक्ष्य प्रस्तुत नही कर सका है ऑर सभी इस मुद्दे को लेकर हवाई रोटियाँ सैंक रहे है |
CG said…
असल में यह पुल पास्ताफारियनों (pastafarian - http://www.venganza.org/) के 'flying spaghetti monster' के द्वारा निर्मित है, यह उसका noodly appendage है.

अनिल जी, कृपया pastafarians के बारे में जरूर पढें, इस धर्म का भी बड़ी उन्नत किस्म का फलसफा है.

जय उड़्न मैगी दानव की.
यह चलता रहा तो अन्य धर्मावलम्बी राम पर भी दावा ठोक देंगे!
एक तो सागर नाहर की टिप्पणी सर्वाधिक संतुलित है। दूसरे आपकी सामग्री गलत निष्कर्ष तक ले जाती जान पड़ती है।
This comment has been removed by the author.
अब यह पुल नहीं है। वि-पुल हो गया है। जोड़ने के बजाय तोड़ने का काम कर रहा है।
किसी भी धर्म के केन्द्र में विश्व शांति, विश्व कल्याण और मानव कल्याण अर्थात सकारात्मक भाव होता है। लेकिन जिस प्रकार से धर्म के नाम पर नफरत और भेदभाव फैलाने की कोशिश की जा रही है उससे यही लगता है कि धर्म ही विनाश का कारण बनेगा।
PD said…
खबरदार... कोई इस पुल के बारे में कुछ ना बोले.. ये पुल मेरा है, मेरे परदादा के परदादा को ये पुल उनके राजा ने पुरस्कार के रूप में दिया था..
मैं ये कहानी बचपन से ही सुन रहा हूं और यही सबूत है की ये पुल मेरा है..

;)

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