चाहतें होतीं परिंदा, हम बादलों के पार होते

मुझे लगता है कि हम जैसे लोग भी दुनिया-जहान की समस्याओं का लाल बुझक्कड़ी समाधान सुझाते हैं, उसी तरह जैसे कमेंट्री सुनने-देखने वाला कोई शख्स सचिन, सौरव या द्रविड़ के लिए कहता है कि ऐसे नहीं, ऐसे खेला होता तो सेंचुरी बन जाती, भारत जीत जाता। फिर ये भी सोचता हूं कि हम करें क्या! आखिर हमारे पास यथार्थ सूचनाएं ही कितनी होती हैं! किन हालात में, किन दबावों में फैसला लेना होता है, समाधान निकालना होता है, उनसे तो हम रत्ती भर भी वाकिफ नहीं होते। जैसे जब सारा देश कह रहा था, विधायकों, सांसदों और शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे जैसे नेताओं को छोड़कर, कि प्रतिभा पाटिल राष्ट्रपति पद के लिए सही उम्मीदवार नहीं हैं तो ऐसा नहीं कि कांग्रेस हाईकमान सोनिया गांधी या सीपीएम महासचिव प्रकाश करात को ये बात समझ में नहीं आई होगी।
लेकिन जिस सोनिया गांधी के आगे किसी कांग्रेसी सांसद या मंत्री की कोई औकात नहीं है, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तक जिनकी मर्जी के खिलाफ चूं तक नहीं कर सकते, जिस सोनिया गांधी ने पब्लिक का मूड समझकर प्रधानमंत्री का पद छोड़ दिया और त्याग की प्रतिमूर्ति बन गईं, उसी सोनिया गांधी ने अपनी छवि को चमकाने का ये मौका क्यों गंवा दिया। कौन से दवाब थे, जिनके सामने सोनिया गांधी को अपनी छवि का भी होश नहीं रहा। ये भी होश नहीं रहा कि इस फैसले पर देश का तीस करोड़ आबादी वाला मध्य वर्ग उन्हें अगले पांच साल तक कोसता रहेगा।
मैं ये भी चाहता हूं कि मायावती केंद्र सरकार से 80,000 करोड़ रुपए की सहायता मांगने के बजाय उत्तर प्रदेश के प्राकृतिक और मानव संसाधनों पर ध्यान दें और उनकी बदौलत विकास का वह मुकाम हासिल करें कि सारी दुनिया ईर्ष्या करे। लेकिन ये महज चाहत है और चाहतें तो चाहतें हैं, चाहतों का क्या! मैं ये नहीं चाहता कि मैं अंतरिक्ष में पहुंच कर सुनीता विलियम्स की तरह 24 घंटे में 16 सूर्योदय और 16 सूर्यास्त देखूं। लेकिन मैं इतना ज़रूर चाहता हूं कि आसमान की माइक्रोग्रेविटी में कभी परिंदा बनकर उड़ूं तो कभी मछली की तरह गोता लगाऊं।

मैं चाहता हूं कि मेरी ख्वाहिशें परिंदा बन जाएं, मेरी चाहतों को परियों के पर लग जाएं और मैं बादलों के पार चला जाऊं। नीचे उतरूं तो देश की हर एक समस्या का समाधान मेरी उंगलियों के पोरों पर हो। आमीन...
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पढ़कर, अनिलजी,गले में कुछ भर-सा आया है. आप खूब!! सोचते हैं और वैसा लिख भी लेते हैं. इतने अच्छे विचारों को एक नए आयाम का पंख पहनाकर हमारे आगे रखने का शुक्रिया!