ठोस खोखला है और स्थिर गतिशील
धरती हमारे सौरमंडल का सबसे ताकतवर और ऊर्जावान ग्रह है। आप इस ग्रह पर कहीं भी चले जाएं, आपको गति और ज़िंदगी ही नज़र आती है। यहां तक कि चट्टानों, धातुओं, लकड़ी और मिट्टी जैसी निर्जीव चीजों में गज़ब की आंतरिक गति होती है। इनमें हर न्यूक्लियस के इर्दगिर्द इलेक्ट्रॉन नाचते रहते हैं। उनकी इस गति की वजह ये है कि न्यूक्लियस उन्हें अपने विद्युत बल के ज़रिए खींचकर आबद्ध रखना चाहता है। यह बल इलेक्ट्रॉनों को जितना संभव है, उतना ज्यादा न्यूक्लियस के करीब रखने की कोशिश करता है। और इलेक्ट्रॉन ठीक उस व्यक्ति की तरह जिसके पास थोड़ी भी शक्ति होती है, इस बंधन का विरोध करता है, इससे छूटने की भरसक कोशिश करता है। न्यूक्लियस जितनी ही ज्यादा ताकत से इलेक्ट्रॉन को बांधता है, इलेक्ट्रॉन उतनी ही ज्यादा गति से अपने ऑरबिट में धमा-चौकड़ी मचाता है। दरअसल किसी परमाणु में इस तरह बंधे रहने के चलते इलेक्ट्रॉन 1000 किलोमीटर प्रति सेकंड यानी 36 लाख किलोमीटर प्रति घंटा तक की रफ्तार हासिल कर लेता है। इसी तेज़ गति की वजह से परमाणु किसी ठोस गोले जैसे नज़र आते हैं, उसी तरह जैसे हमें तेज़ी से चलता पंखा एक गोलाकार डिस्क जैसा दिख...