लालू की सायरो-सायरी: दखिए अबकी का सुनाते हैं!
लालू प्रसाद यादव चार दिन बाद 26 फरवरी को साल 2008-09 का रेल बजट पेश करेंगे। अनुमान है कि वे इस बार न तो यात्री किराया न बढ़ाएंगे और न ही मालभाड़ा। ज़ाहिर है पहले की तरह इस बार भी पूरे रेल बजट भाषण में जमकर ‘सायरो-सायरी’ करेंगे। तो पेश कर रहा हूं, इससे पहले के दो रेल बजट में बोली गई उनकी शेर-ओ-शायरी।
24 फरवरी 2006: आम आदमी ही हमारा देवता है!!
मेरे जुनूं का नतीजा ज़रूर निकलेगा
इसी सियाह समंदर से नूर निकलेगा
हम भी दरिया हैं, अपना हुनर हमें मालूम है
जिस तरफ भी चल पड़ेंगे, रास्ता बन जाएगा
एक कदम हम बढ़ें, एक कदम तुम
आओ मिलकर नाप दें, फासले चांद तक
हम ना हारें पर वो जीतें, ऐसा है प्रयास
मुसाफिर हो जेल का राजा, हम सबकी ये आस
मन में भाव सेवा का, होठों पर मुस्कान
बेहतर सेवा वाज़िब दाम, रेल की होगी ये पहचान
कामगारों की लगन से, है तरक्की सबकी
हौसला इनका बढ़ाओ, कि ये कुछ और बढ़ें
आम आदमी ही हमारा देवता है
वह जीतेगा तो हम जीत पाएंगे
तभी तो यह तय करके बैठे हैं
फैसले अब उसी के हक में जाएंगे
मैंने देखे हैं सारे ख्वाब नए
लिख रहा हूं मैं इंकलाब नए
ये इनायत नहीं, मेरा विश्वास है
दौरे महंगाई में रेल सस्ती रहे
अपना ईनाम हमको तो मिल जाएगा
रेल पर आपकी सरपरस्ती रहे
26 फरवरी 2007: खेल तमाशा आगे देखो, दरिया दिल सौदागर का
नवाजिस है सबकी, करम है सभी का
बड़े फख्र से हम बुलंदी पर आए
तरक्की के सारे मयारों से आगे
नए ढंग लाए, नई सोच लाए
माना कि बड़ी-बड़ी बातें करना हमें नहीं आया
मगर दिल पर कड़ी कारीगरी से नाम लिखते हैं
जितना अब तक देख चुके हो, ये तो बस शुरुआत है
खेल तमाशा आगे देखो, दरिया दिल सौदागर का
बात मैं कायदे की करता हूं, देश के फायदे की करता हूं
जिस तरह पेड़ साया देता है, हर मुसाफिर का ध्यान रखता हूं
हो इजाज़त तो करू बयां दिल अपना
संजो रखा है मैंने रेल का एक सपना
जिसने पहुंचाया बुलंदी पर उसे सम्मान दें
कड़ी मेहनत को उनकी मिलकर मान दें
दौर-ए-महंगाई में भी रेल सस्ती रखी
पर कमाई में कोई कमी ना रखी
हर साल नया साल तरक्की का, प्रगति का
आपका है साथ तो फिर ये सफर जारी रहेगा
24 फरवरी 2006: आम आदमी ही हमारा देवता है!!
मेरे जुनूं का नतीजा ज़रूर निकलेगा
इसी सियाह समंदर से नूर निकलेगा
हम भी दरिया हैं, अपना हुनर हमें मालूम है
जिस तरफ भी चल पड़ेंगे, रास्ता बन जाएगा
एक कदम हम बढ़ें, एक कदम तुम
आओ मिलकर नाप दें, फासले चांद तक
हम ना हारें पर वो जीतें, ऐसा है प्रयास
मुसाफिर हो जेल का राजा, हम सबकी ये आस
मन में भाव सेवा का, होठों पर मुस्कान
बेहतर सेवा वाज़िब दाम, रेल की होगी ये पहचान
कामगारों की लगन से, है तरक्की सबकी
हौसला इनका बढ़ाओ, कि ये कुछ और बढ़ें
आम आदमी ही हमारा देवता है
वह जीतेगा तो हम जीत पाएंगे
तभी तो यह तय करके बैठे हैं
फैसले अब उसी के हक में जाएंगे
मैंने देखे हैं सारे ख्वाब नए
लिख रहा हूं मैं इंकलाब नए
ये इनायत नहीं, मेरा विश्वास है
दौरे महंगाई में रेल सस्ती रहे
अपना ईनाम हमको तो मिल जाएगा
रेल पर आपकी सरपरस्ती रहे
26 फरवरी 2007: खेल तमाशा आगे देखो, दरिया दिल सौदागर का
नवाजिस है सबकी, करम है सभी का
बड़े फख्र से हम बुलंदी पर आए
तरक्की के सारे मयारों से आगे
नए ढंग लाए, नई सोच लाए
माना कि बड़ी-बड़ी बातें करना हमें नहीं आया
मगर दिल पर कड़ी कारीगरी से नाम लिखते हैं
जितना अब तक देख चुके हो, ये तो बस शुरुआत है
खेल तमाशा आगे देखो, दरिया दिल सौदागर का
बात मैं कायदे की करता हूं, देश के फायदे की करता हूं
जिस तरह पेड़ साया देता है, हर मुसाफिर का ध्यान रखता हूं
हो इजाज़त तो करू बयां दिल अपना
संजो रखा है मैंने रेल का एक सपना
जिसने पहुंचाया बुलंदी पर उसे सम्मान दें
कड़ी मेहनत को उनकी मिलकर मान दें
दौर-ए-महंगाई में भी रेल सस्ती रखी
पर कमाई में कोई कमी ना रखी
हर साल नया साल तरक्की का, प्रगति का
आपका है साथ तो फिर ये सफर जारी रहेगा
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Comments
मज़ा आ गया.
उमीदें तोइस बार भी है लालूजी से.