एक अड़ियल जिद्दी लहर ने बरपाया ठंड का कहर
मुंबई से लेकर दिल्ली और कोलकाता तक कंपकंपी मची हुई है। ठंड के नए-नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। कल तो शर्ट और चद्दर में बिंदास जीनेवाली मुंबई ने दिल्ली को भी मात दे दी। आप कहेंगे, सब ग्लोबल वॉर्मिंग का नतीजा है। लेकिन असली वजह जानेंगे तो आप भी मेरी तरह ठिठुर जाएंगे। असल में पूरे उत्तर भारत से लेकर चीन तक छाई इस ठंड की वजह है वायुमंडल में बनी उच्च दाब की एक सीधी अड़ियल चोटी (Ridge) जो 21 जनवरी को पश्चिम से आनेवाली हवाओं के रास्ते में खड़ी हो गई तो फिर अपनी जगह से टस से मस नहीं हुई। हवाओं को इस जिद्दी चोटी के ऊपर जाकर फिर नीचे उतरना पड़ा और वे अपने साथ बर्फीली ठंडक लेकर भारत के मैदानों में सरपट दौड़ रही हैं।
यह सारा कुछ हुआ मध्य एशिया के ऊपर वायुमंडल में। 21 जनवरी को उत्तर में 25 से 45 डिग्री अक्षांश तक एक सीधी Ridge बन गई। ये लगभग दो हफ्ते तक अपनी जगह पर अड़ी रही। वैसे उत्तर में 30 से 50 डिग्री अक्षांश तक उच्च दबाव के शिखर (Ridges) और खाईं (Troughs) का बनना आम बात है। इनमें बीच एक होड़-सी चलती है और दोनों एक दूसरे को रास्ता छोड़ने पर मजबूर कर देती हैं। कुछ दिनों के अंतराल पर इनकी हार-जीत का पैटर्न बदलता रहता है। इसी से भारत, दक्षिण पूर्व एशिया और चीन में मौसम सामान्य रहता है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ।
तस्वीर से आप देख सकते हैं कि अड़ियल ऊर्ध्व चोटी जब कई दिनों तक रास्ता छोड़ने को तैयार नहीं हुई तो पश्चिम से आनेवाली हवाओं को इसे पार करने के लिए उत्तर में 47 डिग्री अक्षांश तक चढ़ना पड़ा और वो जा पहुंचीं पूर्व सोवियत संघ के बर्फीले ठंड वाले वायुमंडल में। ऊपर से जब वे नीचे उतरीं तो उनका साबका पड़ गया बर्फ से घिरी हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं से। इतनी सारी ठंडक अपने भीतर समेट कर तब जाकर वो पहुंची हैं भारत के मैदानी इलाकों में। ज़ाहिर है कि ऊंचे दबाव की यह जिद्दी लहर बीच में न आती तो अपेक्षाकृत गरम देशों अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आ रही हवाएं सीधे भारत पहुंचतीं और हम इस समय ठंड में यूं कड़कड़ाने के बजाय बासंती लुफ्त (जर्मन भाषा में हवा को Luft कहते हैं) का लुत्फ ले रहे होते।
अगर पश्चिम से आनेवाली ये हवाएं इतनी ठंडी नहीं होतीं तो वो अपने साथ अरब सागर से नमी भी समेट कर लातीं और इस तरह नमी से भरी गरम हवाएं पूरे उत्तर और उत्तर-पश्चिम भारत में कोहने की घनी चादर तान देतीं। लेकिन इस बार क्योंकि ये हवाएं ठंडी और शुष्क हैं, इसलिए इस जाड़े में न तो ज्यादा कोहरा नज़र आया है और न ही ठंड वाली बारिश। इस बार हालत ये है कि दिल्ली में तापमान 6.4 डिग्री सेल्सियस तक जा चुका है। कल थोड़ा सुधर कर यह 9.4 डिग्री तक पहुंचा तो मुंबई में पारा 8.5 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया जो 27 जनवरी 1962 के 7.4 डिग्री सेल्सियस के बाद अब तक के 46 सालों का न्यूनतम स्तर है। ठंड की बारिश का हाल ये है कि हरियाणा में इस बार औसत से 84 फीसदी, उत्तराखंड में 70 फीसदी, पूर्वी राजस्थान में 100 फीसदी और पश्चिमी मध्य प्रदेश में 96 फीसदी कम बारिश हुई है।
शुक्र की बात यह है कि मौसम विभाग के मुताबिक पश्चिमी विक्षोभ से उच्च दबाव की उस अडियल लहर की जिद 2 फरवरी को टूट चुकी है। इस समय अफगानिस्तान के ऊपर निम्न दबाव का क्षेत्र बना हुआ है जिससे गरम इलाकों से हवाएं आने लगी हैं। इसी के चलते जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी इलाकों में भारी बर्फबारी हुई है। साथ ही पंजाब, हरियाणा, उत्तरी राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तमाम इलाकों में छिटपुट बारिश भी हुई है। मौसम विभाग के मुताबिक अगले कुछ दिनों तक सुबह का कोहरा नज़र आएगा। ठंडी हवाएं जारी रहेंगी, लेकिन सूरज खुलकर चमकेगा और धीरे-धीरे अडियल लहर की जिद का असर कम होता जाएगा।
- खबर का स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस
यह सारा कुछ हुआ मध्य एशिया के ऊपर वायुमंडल में। 21 जनवरी को उत्तर में 25 से 45 डिग्री अक्षांश तक एक सीधी Ridge बन गई। ये लगभग दो हफ्ते तक अपनी जगह पर अड़ी रही। वैसे उत्तर में 30 से 50 डिग्री अक्षांश तक उच्च दबाव के शिखर (Ridges) और खाईं (Troughs) का बनना आम बात है। इनमें बीच एक होड़-सी चलती है और दोनों एक दूसरे को रास्ता छोड़ने पर मजबूर कर देती हैं। कुछ दिनों के अंतराल पर इनकी हार-जीत का पैटर्न बदलता रहता है। इसी से भारत, दक्षिण पूर्व एशिया और चीन में मौसम सामान्य रहता है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ।
तस्वीर से आप देख सकते हैं कि अड़ियल ऊर्ध्व चोटी जब कई दिनों तक रास्ता छोड़ने को तैयार नहीं हुई तो पश्चिम से आनेवाली हवाओं को इसे पार करने के लिए उत्तर में 47 डिग्री अक्षांश तक चढ़ना पड़ा और वो जा पहुंचीं पूर्व सोवियत संघ के बर्फीले ठंड वाले वायुमंडल में। ऊपर से जब वे नीचे उतरीं तो उनका साबका पड़ गया बर्फ से घिरी हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं से। इतनी सारी ठंडक अपने भीतर समेट कर तब जाकर वो पहुंची हैं भारत के मैदानी इलाकों में। ज़ाहिर है कि ऊंचे दबाव की यह जिद्दी लहर बीच में न आती तो अपेक्षाकृत गरम देशों अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आ रही हवाएं सीधे भारत पहुंचतीं और हम इस समय ठंड में यूं कड़कड़ाने के बजाय बासंती लुफ्त (जर्मन भाषा में हवा को Luft कहते हैं) का लुत्फ ले रहे होते।
अगर पश्चिम से आनेवाली ये हवाएं इतनी ठंडी नहीं होतीं तो वो अपने साथ अरब सागर से नमी भी समेट कर लातीं और इस तरह नमी से भरी गरम हवाएं पूरे उत्तर और उत्तर-पश्चिम भारत में कोहने की घनी चादर तान देतीं। लेकिन इस बार क्योंकि ये हवाएं ठंडी और शुष्क हैं, इसलिए इस जाड़े में न तो ज्यादा कोहरा नज़र आया है और न ही ठंड वाली बारिश। इस बार हालत ये है कि दिल्ली में तापमान 6.4 डिग्री सेल्सियस तक जा चुका है। कल थोड़ा सुधर कर यह 9.4 डिग्री तक पहुंचा तो मुंबई में पारा 8.5 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया जो 27 जनवरी 1962 के 7.4 डिग्री सेल्सियस के बाद अब तक के 46 सालों का न्यूनतम स्तर है। ठंड की बारिश का हाल ये है कि हरियाणा में इस बार औसत से 84 फीसदी, उत्तराखंड में 70 फीसदी, पूर्वी राजस्थान में 100 फीसदी और पश्चिमी मध्य प्रदेश में 96 फीसदी कम बारिश हुई है।
शुक्र की बात यह है कि मौसम विभाग के मुताबिक पश्चिमी विक्षोभ से उच्च दबाव की उस अडियल लहर की जिद 2 फरवरी को टूट चुकी है। इस समय अफगानिस्तान के ऊपर निम्न दबाव का क्षेत्र बना हुआ है जिससे गरम इलाकों से हवाएं आने लगी हैं। इसी के चलते जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी इलाकों में भारी बर्फबारी हुई है। साथ ही पंजाब, हरियाणा, उत्तरी राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तमाम इलाकों में छिटपुट बारिश भी हुई है। मौसम विभाग के मुताबिक अगले कुछ दिनों तक सुबह का कोहरा नज़र आएगा। ठंडी हवाएं जारी रहेंगी, लेकिन सूरज खुलकर चमकेगा और धीरे-धीरे अडियल लहर की जिद का असर कम होता जाएगा।
- खबर का स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस
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