अच्छी बात यह हुई कि कल के प्रकरण पर पहले तो Ghost Buster ने कुछ जानकारियां दी। प्रमोद ने उसमें कुछ और नुक्ते निकाले तो आखिर में Ghost Buster ने बड़ी मुकम्मल सी राय रखी है, जिस पर मुझे लगता है कि सब ब्लॉगरों को गौर करना चाहिए। उनके दो सुझाव है:
एक, अगर सभी ब्लागर एकमत होकर कमेंट्स के लिए anonymous का ऑप्शन हटा दें तो कोई आपके ब्लॉग पर किसी और के नाम से फर्जी टिप्पणी नहीं कर पाएगा।
दो, सभी ब्लागर्स को अपने प्रोफाइल में अपना चित्र जरूर शामिल करना चाहिए जो कि कमेंट के साथ दिखता है क्योंकि फ्रॉड लोग झूठे कमेंट के साथ ये फोटो नहीं लगा पाएंगे।
मुझे तो ये सुझाव बड़े काम के लगते हैं। लेकिन अकेले के मानने से मुश्किल आसान नहीं होगी क्योंकि मान लीजिए मैंने anonymous का ऑप्शन ब्लॉक कर दिया। लेकिन अगर आपने नहीं किया है तो आपके ब्लॉग पर कोई मेरे फर्जी नाम से कमेंट कर सकता है जिसमें मेरा ही प्रोफाइल दिखाई देगा। इसलिए अगर यह काम सभी ब्लॉगर एक साथ करेंगे, तभी किसी के भी नाम और प्रोफाइल के गलत इस्तेमाल को रोका जा सकता है।

तो अंत में मेरा यही कहना है कि क्यों न हम सभी हिंदी ब्लॉगर मिलकर एक सामूहिक पहल करें और अपने ब्लॉग पर anonymous/अनाम/बेनाम टिप्पणियों का विकल्प ब्लॉक कर दें। इससे हमारा आपसी भरोसा कायम रह सकता है। कोई उसमें सेंध नहीं लगा पाएगा, एक-दूसरे के प्रति अविश्वास नहीं पैदा कर पाएगा। नहीं तो जानते ही हैं आज की दुनिया में भरोसा बड़ी भंगुर-सी चीज़ होता है। ज़रा-सा झटके से भर-भराकर टूट जाता है और एक बार टूट गया तो फिर से उसका जुड़ना बेहद मुश्किल होता है।
16 comments:
अपने ब्लॉग पर बेनाम कमेण्ट ब्लॉक करना, न करना व्यक्तिगत निर्णय हैं। आप उसे एक नेनो सेकेण्ड में ले सकते हैं। पर सामुहिक तरीके पर लागू कराना तो कठिन काम है। भांति भांति के लोग और भांति भांति के मत!
पाण्डेयजी की बात सही है। सब लोग न मानेंगे। सबसे अच्छा है कमेंट माडरेट करने का तरीका। लेकिन फ़िर अनामी गाली-गलौज कैसे करेंगे? अभिव्यक्ति का उनका अधिकार कहां जायेगा? वैसे आप ज्यादा चिंता मती करो जी। मस्त होकर लिखते रहो जी।
लो कर दिया जी। हम आप के सामूहिक निर्णय के समूह में शामिल जी।
आप के नाम का दुरुपयोग किया गया इसका अफसोस है. अनोनिमस हटाना एक अच्छा सुझाव है. उम्मीद है कि अधिकतर लोग ऐसा करेंगे.
अनिलजी, ये थ्रोइंग बेबी विद द बाथवाटर किस्म की जुगत है। व्यक्तिगत तौर पर आप यह निर्णय लेते हैं तो कौन रोक सकता है। किंतु बेनाम ब्लॉगिंग सदैव से चिट्ठाकारी का आवश्यक तत्व रहा है तथा हमें आपको कभी कभार होने वाली तकलीफों के बावजूद यह चिट्ठाकारी का सबल पक्ष ही है। हमने सदैव बेनाम ब्लॉगिंग का समर्थन किया है (और इसलिए इसके सबसे अधिक शिकार भी हम बने हैं)
जैसे ही बेनाम को बहिष्कृत करते हैं आप छापे की दुनिया के पाखंड में जा फंसते हैं। वही चोटी, जनेऊ व धोती की मुँहदिखाई हिन्दी दुनिया। इसलिए जब वही बस एक अंजुरी मिटृटी डालें और आगे चलें।
सही उपाय मोडरेशन ही है.
सुझाव अच्छा है. लेकिन इसको मानने में परेशानियाँ है.मैं वर्डप्रेस पर हूँ तो इसको कैसे हटाऊँ.
(१) Gyandutt Pandey said...
अपने ब्लॉग पर बेनाम कमेण्ट ब्लॉक करना, न करना व्यक्तिगत निर्णय हैं। आप उसे एक नेनो सेकेण्ड में ले सकते हैं। पर सामुहिक तरीके पर लागू कराना तो कठिन काम है। भांति भांति के लोग और भांति भांति के मत!
सुझाव नंबर दो ऐसे ही ब्लाग्स के लिए है. इन ब्लाग्स पर आपके कमेंट्स की authenticity आपका नाम नहीं बल्कि चित्र ही प्रमाणित करता है.
(२) (a) अनूप शुक्ल said...
पाण्डेयजी की बात सही है। सब लोग न मानेंगे। सबसे अच्छा है कमेंट माडरेट करने का तरीका। लेकिन फ़िर अनामी गाली-गलौज कैसे करेंगे? अभिव्यक्ति का उनका अधिकार कहां जायेगा? वैसे आप ज्यादा चिंता मती करो जी। मस्त होकर लिखते रहो जी।
(b) masijeevi said...
बेनाम ब्लॉगिंग सदैव से चिट्ठाकारी का आवश्यक तत्व रहा है तथा हमें आपको कभी कभार होने वाली तकलीफों के बावजूद यह चिट्ठाकारी का सबल पक्ष ही है। हमने सदैव बेनाम ब्लॉगिंग का समर्थन किया है
(c) संजय बेंगाणी said...
सही उपाय मोडरेशन ही है.
मोडरेशन कतई सही उपाय नहीं है. इसका इस्तेमाल तो आप तब करेंगे जब असली और फर्जी कमेंट्स में अन्तर कर पाएंगे. आईडी + पासवर्ड से किया गया कमेन्ट और Name/URL से किया गया कमेन्ट बिल्कुल एक समान लगते हैं, जैसा कि प्रमोद जी बता चुके हैं.
अनामियों की अपनी अभिव्यक्ति का रास्ता इस सुझाव से बिल्कुल बंद नहीं होता. गूगल एकाउंट से तो कोई भी अपनी टिप्पणी कर ही सकता है ना. ज्यादा खुरापात का मन हो तो चार-पाँच एकाउंट बना सकता है. लेकिन मुख्य बात है कि किसी और के नाम से फर्जीवाडा करके उसकी छवि बिगाड़ना तो सम्भव नहीं रहेगा जो कि इस वक्त की सबसे बड़ी चिंता है.
हिन्दी चिटठा संसार से हमारा परिचय सिर्फ़ महीना भर पुराना है लेकिन पिछले एक वर्ष में हमने अन्य फोरम्स में इस तरह के वाकये होते हुए देखे हैं. कई perverts को दोनों तरफ़ से फर्जी कमेंट्स देकर लोगों को पागलपन की हद तक बौखलाते हुए देखा है. अगर ऐसी अप्रिय स्थिति को टालना सम्भव हो तो कोशिश करने में क्या हर्ज है?
आपका और Ghost Buster का कहना सही है।
करता हूं प्रयास।
आप Ghost Buster के कमेन्ट को अगर मान्यता देगे तों आप को anonymous को ब्लाक करने के लिये पोस्ट नहीं लिखनी चाहीये थी । Ghost Buster ख़ुद anonymous हैं और वह आप को इस विषय का निदान बता रहे हैं !!!। वह कोई भी ब्लॉगर अगर अपना प्रोफाइल नहीं शो करता हैं तों उसकी कोई ब्लॉग identity नहीं हैं और ये सुविधा गूगल ने प्रदान की है । जो सुविधा गूगल देता हैं उसका उपयोग या दुरूपयोग करना अपने हाथ मे हैं । हिन्दी के ज्यादतर ब्लॉगर ब्लॉग को वेबसाइट मान कर उपयोग करते हैं । गूगल ने आप को ग्रुप ब्लोग्गिंग की सुविधा भी दे रखी हैं । अगर आप को अपनी इमेज की चिंता हैं तों आप को ग्रुप ब्लॉगर होना होगा ताकि आप को वोही पढे जो आप के ग्रुप मे हैं और आप पर वोही कमेन्ट करे जिनके ग्रुप मे आप हैं । हिन्दी ब्लोग्गिंग मे unofficial groups बहुत हैं जो आपस मे एक दूसरे की वाह वाह ही करते दिखते हैं जैसे
अनूप - ज्ञान - शिवकुमार
रवि रतलामी - देबाशीष - संजय बेगानी
मसिजीवी- नीलिमा - सुजाता
प्रत्यक्षा - अजदक
जीतेंद्र - पंकज - संजय
विपुल - आलोक
इस लिये वाह वाह से हट कर अनाम अपनी बात को पर्दे मे रह कर कहते हैं
और फिर जो आप को जानते हैं वह आप को समझते भी होगये क्योकि
people who matter dont bother and people who bother dont matter
रचना सिंह जी ghost identity रखने और anonymous होने में फर्क नहीं कर पा रही हैं. वर्तमान सन्दर्भ से बिल्कुल हटकर की गई उनकी टिप्पणी में भी काफ़ी confusion दिखता है. एक ओर unofficial groups (उनके अनुसार) को धिक्कारती हुईं अनामियों को समर्थन देती दिखती हैं, वहीं दूसरी ओर ये समझने में असमर्थ भी कि हमारी ये identity कहीं भी बेबाक अपनी राय रखने का अवसर तो प्रदान करती है मगर किसी और की आईडी का हरण करने का नहीं.
ghost identity रखने और anonymous होने में फर्क
leejyae farak kam kar diya
जी नहीं. कोई फर्क नहीं कम कर सके/सकीं आप. जरा दोनों नामों के ऊपर cursor ले जाकर देखिये. हमारी सही profile id (http://www.blogger.com/profile/02298445921360730184) status bar में नज़र आकर फर्क स्पष्ट कर देगी. हमारे नाम से नया प्रोफाइल तो बन सकता है पर ये आईडी नंबर हासिल नहीं किया जा सकता.
क्या गजब का खेल चल रहा है। दो-दो Ghost Buster!!! ध्यान दें, ऊपर Ghost Buster के नाम से की गई टिप्पणियां दो अलग-अलग लोगों की हैं। इसे देखकर मुझे सुनील शेट्टी की फिल्म गोपी-किशन याद आ गई जिसमें एक बच्चा दोनों को देखकर कहता है – मेरे दो-दो बाप।
स्पष्ट कर दूं कि ब्लॉगिंग में Anonymous या अनाम-बेनाम से मुझे कोई एतराज नहीं है। यह तो एक तरीके की लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति है। मुझे आपत्ति है तो इस बार पर कि कुछ अनाम लोग सही इंसान का नाम देकर उसका दुरुपयोग करने लगे हैं। वह अनाम ही रहें तो बेहतर हैं, किसी का नाम इस्तेमाल न करें, इसका इंतज़ाम कैसे हो- मेरी चिंता इस बात को लेकर है।
बाकी इस तकनीकी बहस में हिस्सेदारी के लिए आप सभी का शुक्रिया क्योंकि इसे यकीन मानिए मुझे काफी ज्ञान-लाभ हुआ है।
"स्पष्ट कर दूं कि ब्लॉगिंग में Anonymous या अनाम-बेनाम से मुझे कोई एतराज नहीं है। यह तो एक तरीके की लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति है। मुझे आपत्ति है तो इस बार पर कि कुछ अनाम लोग सही इंसान का नाम देकर उसका दुरुपयोग करने लगे हैं। "
हां! यह हुई मुद्दे की बात . कोई भी किसी के नाम का छद्म रचकर उसका दुरुपयोग कैसे कर सकता है ? यह तो सरासर फ़र्जीवाड़ा है .
अतः अनाम-बेनाम होना और बात है और किसी के नाम का दुरुपयोग दूसरी बात. कोई क्या कहता है महत्व इसका होना चाहिए,इसका नहीं कि कौन कह रहा है .
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