मोदी के जलजले से जलकर डर गई बीजेपी

आज वडोदरा में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वही बात कह दी जो सुबह से ही बीजेपी की तरफ से आडवाणी को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाने की खबर पढ़ने के बाद मेरे मन में चल रही थी। अराजनीतिक कहे जानेवाले प्रधानमंत्री ने इस मौके पर बेहद राजनीतिक बात कही है कि, “मोदी से खतरा था, इसलिए बीजेपी ने आडवाणी की ताजपोशी कर दी।” यह सच है कि बीजेपी में लालकृष्ण आडवाणी का वरदहस्त नरेंद्र मोदी के ऊपर है और मोदी आडवाणी के काफी करीब हैं। लेकिन यह भी सच है कि इस बार गुजरात का चुनाव जीतते ही मोदी भारतीय जनता पार्टी और आडवाणी के लिए भस्मासुर बन जाएंगे।

मोदी ने अपने छह साल के शासन में जिस तरह तमाम संवैधानिक संस्थाओं को दो कौड़ी का बना दिया, उसे देखते हुए उनके सामने पार्टी या संघ परिवार की कोई औकात नहीं है। गुजरात में बीजेपी में छायी बगावत की सबसे बड़ी वजह यही है। वैसे, इधर राजनीति में अजीब-सी बात हो रही है। बीजेपी आलाकमान और संघ परिवार अंदर-अंदर मना रहा है कि मोदी यह चुनाव हार जाएं, जबकि कांग्रेस चाहती है कि मोदी यह चुनाव ज़रूर जीतें। वरना क्या कारण है कि मौत के सौदागर पर सही इल्जाम लगाने के बाद सोनिया गांधी कहने लगी हैं कि उन्होंने मोदी के लिए ऐसा नहीं कहा था। इसके पीछे सिर्फ कोर्ट की नोटिस से बचना नहीं हो सकता।

हकीकत यह है कि मोदी जीत गए तो बीजेपी के सारे बड़े नेता उनके आगे बौने हो जाएंगे, जबकि उनकी जीत वह बिजूखा बन जाएगी, जिसका डर दिखाकर कांग्रेस साल 2009 के आम चुनावों में देश भर में अपनी जीत सुनिश्चित करने की फिराक में है। वैसे, कांग्रेस इंदिरा गांधी के जमाने से ही सॉफ्ट हिंदुत्व की हिमायती रही है। बल्कि सच कहें तो अगर इंदिरा गांधी ने भिंडरावाले को पैदा करने के बाद ऑपरेशन ब्लूस्टार नहीं चलाया होता तो बीजेपी कभी केंद्र की सत्ता में आ ही नहीं पाती। इंदिरा गांधी ने सिखों और हिंदुओं को लड़ाकर पहली बार हिंदू वोट बैंक बनाने की कोशिश की थी। लेकिन उनकी यह कोशिश उल्टी पड़ गई। भिंडरावाले का भस्मासुर खुद उन्हें निगल गया और उनके सुपुत्र राजीव गांधी ने जिस राम जन्मभूमि का ताला खुलवाया था, वह बीजेपी के लिए सत्ता हासिल करने का आधार बन गया।

आज भी कांग्रेस बार-बार झलक दिखला देती है कि अगर उसे मौका मिला तो वह घर के पिछवाड़े हिंदुत्व का परचम लहराने से बाज़ नहीं आएगी। प्रवीण तोगड़िया के भाई विठ्ठलभाई तोगड़िया का कांग्रेस में आना और सूरत के बजरंग दल के नेता निलेश लोहार को गुजरात यूथ कांग्रेस का महासचिव बनाना यही साबित करता है। आज के ज़माने में सांप्रदायिक तत्वों का हृदय परिवर्तन इस तरह रातोंरात नहीं हुआ करता है।

कांग्रेस अपनी इन्हीं हरकतों की वजह से मुसलमान समुदाय से दूर होती जा रही है। वह सचमुच महज़ तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है। उसका मकसद इस समुदाय को कभी भी अशिक्षा और पिछड़ेपन से बाहर निकालने का नहीं रहा है। इस समय भी वह मोदी के नाम पर देश भर के मुसलमानों को डराकर उनका वोट हासिल करना चाहती है। इसीलिए उसकी चाल यही है कि मोदी गुजरात का विधानसभा चुनाव जीत जाएं। यह अलग बात है कि बीजेपी और संघ परिवार के भितरघाती लगातार मोदी के किले में सेंध लगा रहे हैं। अब तो सटोरिये भी अंदाज़ लगा रहे हैं कि मोदी को इस बार 182 में से 90-95 से ज्यादा सीटें नहीं मिलेंगी। वैसे, फिर भी मोदी जीतते हैं तो इससे यही साबित होगा कि हमारे यहां लोकतंत्र के बजाय झूठ-तंत्र का ही खोटा सिक्का चलता है।

Comments

यह तो चित भी मेरी और पट भी मेरी वाली बात हो गई.
बीजेपी और मोदी के बीच मे कांग्रेस का बढ़िया तड़का लगाया सर आपने.
एकदम झक्कास "गुजरात दाल फ्राई" बनी है.
सही नब्ज पकड़ी है आपने। मोदी अब खुद को पार्टी से ऊपर ही समझने लगे हैं। देखिए अब मोदी की हालत भस्मासुर जैसी होगी या फिर ...? वक्त ही बताएगा। वैसे कांग्रेस के चाहने नहीं चाहने से क्या होता है। अगर मोदी जीतते हैं तो भी इसका श्रेय उनको जाएगा, हारते हैं तो भी उन्हीं को। कांग्रेस की इसमें कोई भूमिका नहीं रहेगी।
हे ज्ञानी राज.अभी ता.19 नवेम्बर से 5 दिसम्बर तक आसाम और अरुणाचल प्रदेश के मिआउँगांव में दहशत आतंक के बीच काट कर आया हूँ.अखिल भारतीय एन.सी.सी का ट्रेकिंग केम्प था.गुजरात की35 की टीम थी.गुहावटी से अरुणाचल तक आर्मी की छत्र छाया में थे हम लोग. बाहर जाने की सख्त मनाई थी.
आसाम नागालेन्ड जाकर देखो.
और फिर गुजरात में रात के किसी भी वख्त यहाँ बेखौफ घूमा जा सकता है.एक भी नामी गुन्डा चाहे वह किसी भी जाति का हो यहाँ पर नहीं है.
पर गुजरात के नाम पर टसुए बहाना फैशन है जनाब.गुजरात के लोग बहुत जल्द फैसला देने वाले हैं फिर चित भी हमारी पट भी हमारी कह के आनंद लेना.
गोधरा और उसके बाद के माहौल को देखा है.उसी में गोते लगाओ और गुजरात को गरिहाओ.
सर एक ब्लॉग बनाएँ......खरी खरी
अच्छा लिखा है आपने...
drdhabhai said…
बहुत दिन बबाद प्रधानमंत्री जी के मुख से कुछ सुनकर अच्छा लगा चलो जिंदा तो हैं ,
drdhabhai said…
बहुत दिन बबाद प्रधानमंत्री जी के मुख से कुछ सुनकर अच्छा लगा चलो जिंदा तो हैं ,
नरेन्द्र मोदी का डर बीजेपी के हर नेताओं को है।इसलिये संघ और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेता भी मोदी को समर्थन नहीं दे रहे। वाजपेयी जी जैसे नेता हिमाचल प्रदेश के लिये बयान दे रहे हैं कि बीजेपी के लिये वोट करे लेकिन गुजरात के नाम पर वे चुप्पी साध लेते हैं। गुजरात दंगे के लिये मोदी को निर्दोष बताने वाली बीजेपी के आलाकमान नहीं चाहते कि मोदी जीते क्योंकि मोदी के जीतने पर बीजेपी के अंदर घमासान मचना तय है। मोदी एक मात्र ऐसे नेता हैं जो विश्व हिन्दू परिषद,संघ और वाजपेयी जैसे नेता को भी नहीं पूछते। कुछ लोगों यह भी कहते हैं कि इंदिरा गांधी से नहीं डरने वाले नेता वाजपेयी मोदी से क्यों घबराते हैं?

Popular posts from this blog

मोदी, भाजपा व संघ को भारत से इतनी दुश्मनी क्यों?

चेला झोली भरके लाना, हो चेला...

घोषणाएं लुभाती हैं, सच रुलाता है