चिट्ठाजगत में ये चल क्या रहा है?
वाकई मेरी समझ में नहीं आ रहा कि चिट्ठाजगत में यह क्या चल रहा है। कई दिन से देख रहा हूं कि मेरी ताज़ा पोस्ट कहीं जाकर नीचे जाकर दुबकी पड़ी रहती है। आज भी यही हुआ कि 11 घंटे पहले की पोस्ट मेरे ऊपर आ गई और 30 मिनट पहले संग्रहित की गई मेरी पोस्ट उसके नीचे पड़ी है। मैंने दुखी होकर चिट्ठाजगत को मेल भी किया। कोई जवाब नहीं आया तो सोचा कि एक पोस्ट ही लिख दूं। शायद औरों के साथ भी ऐसा हो रहा हो। बताइए, जब आपकी लिखी ताज़ा पोस्ट एग्रीगेटर पर इतनी पुरानी प्रविष्ठियों में चली जाएगी तो उसे पढ़ेगा कौन। आखिर कोई आप आमिर खान तो हैं नहीं कि लोगबाग खोजकर पढेंगे कि आपने आज क्या तीर मारा है?
Comments
ye blog avshya dekhe aur aap ko andajaa hojayega khaa kya kya ho rahaa hae
विपुल
पत्र यहाँ है
महोदय,
चिट्ठाजगत पर चर प्रारूप हैं, आप हालिया प्रारूप देख रहे हैं।
पारम्परिक प्रारूप - सबसे नया लेख सबसे ऊपर दिखता है, आप जो प्रारूप एक
बार चुन लेंगे वा सिस्टम में सटोर हो जाएगा, पुनः जब भी साईट खोलेंगे वही
प्रारूप दिखेगा.
यह इस लिए, जिस से दनदनादन छापने वाले ऊपर न चिपके बैठे रहें।
आप का पुराना लेख जैसे ही हालिया घण्टे से पुराना होगा, नया ऊपर आ जाएगा।
आपके विचार जानना चाहुँगा, नीचे विस्तार से उल्लेख दे रहा हूँ।
चिट्ठाजगत
१. पारम्परिक प्रारूप - सबसे नया लेख सबसे ऊपर।
२. हाल में छपे चिट्ठे - प्रारूप में प्रति चिट्ठा समयानुसार
प्रविष्टियाँ दिखाई जाएँगी। क्रमांकन पिछले बारह घंटे में उसी चिट्ठे पर
की गई पहली प्रविष्टि के आधार पर होगा। उदाहरणार्थ यदि एक ही चिट्ठे पर
सुबह नौ बजे, दोपहर बारह बजे और शाम पाँच बजे प्रविष्टि लिखी जाती है और
आप चिट्ठाजगत संकलक पर हाल में छपे चिट्ठे रात आठ बजे देखते हैं तो
क्रमांकन सुबह नौ बजे के आधार पर होगा। रात नौ बजे के बाद, सुबह नौ बजे
वाला लेख पन्ने से हट जाएगा, और पुनः इस चिट्ठे का क्रमांकन बारह बजे
वाले लेख के आधार पर होगा। इस प्रकार एक ही दिन में दस-बारह लेख छापने पर
पहले लेख के आधार पर ही चिट्ठे का क्रमांकन होगा, और यदि किसी चिट्ठे पर
पिछले बारह घंटे में लेख लिखा गया है तो वह इस प्रारूप में मुखपृष्ठ पर
ज़रूर दिखेगा। इस बारह को आप ६-८-१२-१८-२४-४८ बना सकते हैं।
३. लघु प्रारूप - सबसे नया लेख सबसे ऊपर, सिर्फ शीर्षक, चिट्ठाकार, चिट्ठे का नाम।
४. वैयक्तिक पृष्ठ - आपके द्वारा पसंदीदा चिट्टों की प्रविष्टियाँ।
५. मेरे चिट्ठे - आपके द्वारा अधिकृत चिट्टों की प्रविष्टियाँ।
On 10/10/07, Anil Singh wrote:
> महोदय मैं समझ नहीं पा रहा कि चिट्टाजगत में मेरी 10 मिनट पूर्व संग्रहित पोस्ट
> किसी और की 7 घंटे पूर्व संग्रहित पोस्ट से नीचे कैसे आ जा रही है। कल से ही
> देख रहा हूं कि मैं अपनी ताज़ा पोस्ट ऊपर खोजता हूं तो मालूम पड़ता है कि वह
> कहीं जाकर नीचे दबी पड़ी है। ब्लॉगवाणी पर ऐसा कभी नहीं होता। क्या यह तकनीकी
> समस्या है या कुछ और?
> अनिल रघुराज
और काकेश जी, आपकी टिप्पणी पढ़ने के बाद से ही मैं गदगद हूं। हालांकि बाद में अपनी ही मानसिकता पर तरस आया कि कैसे दरबारी-दलाल का नाम सुनकर मैं चहक गया। मैं अपनी सोच बता रहा हूं। आप अन्यथा मत लीजिएगा।
अरे, जनाब, सुबह और शाम जब तक यहाँ चक्कर न काटे, खाना नहीं खाते हैं.
--अरे, यह तो शेर हो गया. उपर की पंक्तियां कृप्या गाकर पढ़ें.
:)
--आप कहाँ पोस्ट दुबकने की परेशानी में फंसे हैं, वो सब समस्यायें हम जैसे नवीन लेखकों के मुख से शोभा देती हैं. आपकी दुकान और ग्राहकी एकदम सेट है, भाई. निश्चिंत रहें. अब भारतीय रेल को रोज रोज विज्ञापन देना पड़ेगा क्या? हम प्राईवेट बस ऑपरेटर की बात तो फिर भी समझ में आती है. शुभकामनायें.
dhynvad