Wednesday 3 October, 2007

पवार का आदर्श किसान, पेहचान कौन?

1980 के आसपास की बात है। वी पी सिंह उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। अपने बड़े भाई की हत्या के बाद उन्होंने डकैतों और अपराधियों के एनकाउंटर का अभियान चला रथा था। पुलिस हेडक्वार्टर से एक थाने को एक ही अपराधी की अलग-अलग कोण से खींची गई पांच तस्वीरें भेजी गईं। हफ्ते भर बाद हेडक्वार्टर ने थाने से पूछा कि क्या कार्रवाई हुई तो थानेदार ने फोन पर ही सैल्यूट मारकर जवाब दिया – सर, चार का एनकाउंटर कर दिया गया है और पांचवें की तलाश जारी है। महाराष्ट्र सरकार के तमाम विभाग और पुणे का जिला प्रशासन भी इस समय कुछ ऐसी ही तलाश में जुटा हुआ है। इन्हें तलाश है कृषि मंत्री शरद पवार द्वारा घोषित आदर्श किसान की।
पवार साहेब की नज़र में आदर्श किसान के चार प्रमुख लक्षण हैं। एक, वह शराबी नहीं होना चाहिए। दो, वह बैंक कर्ज का समय का भुगतान करता हो। तीन, वह शादी-ब्याह पर अनाप-शनाप खर्च न करता हो। और चार, वह अपने घर के कम से कम एक सदस्य को खेती छोड़कर कोई दूसरा रोज़गार करने के लिए प्रोत्साहित करे। पवार के कहने पर शुरू की गई इस आदर्श किसान परियोजना की एक अघोषित शर्त और है कि यह किसान फिलहाल उनके लोकसभा क्षेत्र बारामती से जुड़े पुणे ज़िले का ही होना चाहिए। विदर्भ इलाके के मरते हुए किसान इस आदर्श परियोजना से बाद में प्रेरणा ले सकते हैं।
कहा जा रहा है कि जब साहेब के इलाके के किसान खुशहाल हो जाएंगे तो बाकी देश के किसान खुद-ब-खुद उनकी दिखाई राह पर चल निकलेंगे। पुणे के जिला प्रशासन का भी दावा है कि इस परियोजना से किसान फसलों का पैटर्न बदलकर न सिर्फ महीने में 15 से 20 हज़ार रुपए कमाने लगेंगे, बल्कि दूसरों के लिए भी अनुकरणीय बन जाएंगे। वैसे योजना के प्रेरणादायी तत्व अभी से झलक दिखलाने लगे हैं। जिन किसानों को आदर्श बनाने के लिए चुना गया है, वे सभी खाते-पीते किसान तो हैं ही, ऊपर से नेतागिरी में भी उनका अच्छा-खासा दखल है।
इसी हफ्ते शुरू की गई इस परियोजना के लिए करीब पांच हज़ार किसानों को चुन लिया गया है। इनको 24 फसलों की जानकारी दी जाएगी और बैंकों से कर्ज भी दिलाया जाएगा। योजना के बाकायदा शुरू होने के दो हफ्ते पहले ही कर्ज के ढाई हज़ार प्रस्ताव पास कर लिए गए हैं और इनमें से 1850 प्रस्तावों के तहत 47 करोड़ रुपए बांट भी दिए गए हैं। महाराष्ट्र सरकार के कृषि मंत्री बालासाहेब थोरट को यकीन है कि पुणे के आदर्श किसान राज्य और देश के बाकी किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बन जाएंगे। लेकिन राज्य के ही विपणन मंत्री हर्षवर्धन पाटिल को थो़ड़ा संदेह है क्योंकि उनके मुताबिक, “किसानों के लिए बुरी आदतें छोड़ना मुश्किल है, लेकिन कोशिश करने में क्या हर्ज़ है!”
माननीय पाटिल साहब ने ये साफ नहीं किया कि वो किसानों की कौन-सी बुरी आदतें छुड़वाना चाहते हैं। वैसे, इस परियोजना से राष्ट्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने भी इतना तो साफ कर दिया कि वे अपने कहे पर अमल के लिए कितने कटिबद्ध हैं। कुछ दिनों पहले ही उन्होंने कहा था कि खेती में क्या रखा है, किसानों को खेती छोड़कर दूसरे धंधे आजमाने चाहिए।
खबर का स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस

5 comments:

राजेश कुमार said...

शरद पवार को कृषि मंत्री के वजाय क्रिकेट मंत्री कहा जाय तो बेहतर होगा उन्हे क्रिकेट से कहां फूरसत है जो किसानों की समस्यओं पर ध्यान देंगें। बारामति के किसानों पर थोडा बहुत ध्यान इसलिये दे देते हैं ताकि चुनाव जीत सकें।

Sanjay Tiwari said...

प्रधानमंत्री जब कर्जदार किसानों के बीच पिछले साल गये थे तब उन्होंने भी यही कहा था कि शादी व्याह पर किसान ज्यादा पैसा खर्च करते हैं. इसलिए बर्बाद हैं. पवार तो अपने प्रधानमंत्री के पदचिन्हों पर चल रहे हैं.

Sanjay Tiwari said...
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ling_bhedi_astra said...
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Gyan Dutt Pandey said...

बरामती रेवड़ी वितरण परियोजना के विषय में ठोस और शोधपूर्ण जानकारी देने के लिये धन्यवाद.