दादी में दम है, तभी तो मिला साहित्य का नोबेल
ईरान में जन्मी और 30 साल की उम्र से ही ब्रिटेन में रह रही डोरिस लेसिंग को इस साल साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। डोरिस इसी 22 अक्टूबर को 88 साल की हो जाएंगी। उनकी ज़िंदगी भयंकर कठिनाइयों से भरी रही है। उन्होंने दो शादियां की हैं और उनके तीन बच्चे हैं। पहली शादी उन्होंने 1939 में फ्रैंक विज़डम नाम के व्यक्ति से की, लेकिन चार साल बाद 1943 में उनका तलाक हो गया। इस शादी से उनके दो बच्चे हुए। दूसरी शादी उन्होंने एक जर्मन राजनीतिक कार्यकर्ता गॉटफ्रीड लेसिंग से की, लेकिन 1949 में उनका फिर तलाक हो गया। इस शादी से उनको एक बेटा हुआ, जिसे लेकर वो ब्रिटेन आ गईं। वो ब्रिटिश कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्य भी रही हैं, लेकिन 1956 में उन्होंने पार्टी छोड़ दी।1950 में डोरिस लेसिंग का पहला उपन्यास ‘द ग्रास इज़ सिंगिंग’ प्रकाशित हुआ। वैसे तो उन्होंने दर्जनों किताबें लिखी हैं। लेकिन सबसे चर्चिच उपन्यास रहा है 1962 में प्रकाशित द गोल्डन नोटबुक। उनके सबसे नए उपन्यास का नाम है – द क्लेफ्ट, जो इसी साल अमेरिका में प्रकाशित हुआ है। 87 साल की हो जाने के बावजूद डोरिस खूब सक्रिय रहती है। वो सोशल नेटवर्किंग साइट माईस्पेस की सदस्य हैं, जहां उनका अपना अलग पेज़ है। इस पेज पर उन्होंने अपने परिचय के साथ लिख रखा है, “आपकी मर्जी कि आप गलत सोचें, लेकिन सभी मामलों में अपने लिए सोचें।” इसके अलावा उन्होंने अपनी वेबसाइट भी बना रखी है, जिस पर उन्होंने लिखा है, “मैं उस नवीनतम वेवलेंथ पर लोगों से बात करके बहुत खुश हूं जो कुछ बूढे लोगों को जादू जैसी लगती है।”
यकीनन, डोरिस लेसिंग को पढ़ना बहुत दिलचस्प रहेगा। यहां मैं उनके दो उपन्यासों - द क्लेफ्ट और द गोल्डन नोटबुक की कहानी का सार पेश कर रहा हूं। द गोल्डन नोटबुक अन्ना नाम की एक आधुनिक महिला की बड़ी उलझी हुई कहानी है। अन्ना किसी पुरुष जैसी आज़ादी से जीने की कोशिश करती है। वह एक लेखिका है और उसका एक उपन्यास बहुत सफल रहा है। उसने चार नोटबुक बना रखी है। इसमें से काले कवर वाली नोटबुक में वह अपने बचपन के अनुभवों को दर्ज करती है। लाल कवर वाली नोटबुक में वह अपनी राजनीतिक ज़िदगी और कम्युनिस्ट विचारधारा से मोहभंग का ब्यौरा लिखती है। पीले कवर वाली नोटबुक में वह एक उपन्यास लिख रही है जिसकी नायिका में उसके निजी अनुभवों की ही झलक है। और, नीली नोटबुक में वह अपनी निजी डायरी लिखती है। आखिर में वह एक अमेरिकी लेखक के प्यार में पड़ जाती है जो पागलपन की कगार पर है। अन्ना इन चारों नोटबुक को आपस में पिरोकर बनाती है गोल्डन नोटबुक।
द क्लेफ्ट एक रोमन सीनेटर की कहानी है, जो अपनी ज़िंदगी के आखिरी सालों में मानव सृष्टि की कहानी कहने का बीड़ा उठाता है। वह समुद्री किनारों पर रहनेवाली महिलाओं के प्राचीन समुदाय, क्लेफ्ट की लगभग अनजान-सी कहानी को उद्घाटित करने में जुट जाता है। इन महिलाओं को पुरुषों की न तो कोई ज़रूरत है, न ही वो इनके बारे में कुछ जानती हैं। उनके यहां बच्चों का जन्म चंद्रमा की गति से नियंत्रित होता है और उनके केवल लड़कियां ही होती हैं। लेकिन अचानक उनमें एक महिला विचित्र बच्चे को जन्म देती है, जो लड़का होता है। इसके बाद पूरे समुदाय का तालमेल भंग हो जाता है, अफरातफरी मच जाती है।
दोनों ही उपन्यासों का कथानक बेहद रोचक है। नारी-पुरुष के संबंध से लेकर विचारधाराएं निजी जीवन से टकराकर कैसे बनती-बिगड़ती हैं, इसका शानदार लेखाजोखा होगा दादी डोरिस लेसिंग की रचनाओं में। पढ़ना दिलचस्प रहेगा।
Comments
शुकरिया.
घुघूती बासूती
डोरिस लेसिंग ने साम्यवादी पार्टी क्यों छोड़ी? कहीं पता चलेगा?