सारी सुविधाओं के ऊपर तनख्वाह हुई तीन गुना

राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति और राज्यपाल भारतीय जनता के सबसे बड़े सेवक हैं। यह सेवा करने के लिए उन्हें जो सुविधाएं मिलती हैं, उसमें उन्हें अगर एक धेला भी तनख्वाह न मिले तो उनकी ही नहीं, उनके खानदान की सेहत पर भी कोई असर नहीं पड़नेवाला। लेकिन हमारी सरकार ने इन सबकी तनख्वाह तीन गुनी कर दी है। राष्ट्रपति को पहले महीने के 50,000 रुपए मिलते थे, अब 1.50 लाख रुपए मिलेंगे।

उप-राष्ट्रपति को जहां 40,000 रुपए मिलते थे, अब 1.25 लाख मिलेंगे और राज्यपालों को 36,000 रुपए के बदले महीने के 1.10 लाख रुपए मिलेंगे। आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आज इस फैसले पर अंतिम मुहर लगा दी।

देश और राज्यों के शीर्ष संवैधानिक प्रमुखों को यह बढ़ा हुआ वेतन जनवरी 2007 से मिलेगा। यानी, 20 महीने का लाखों रुपए का एरियर ऊपर से मिलेगा। सरकार इससे पहले छठें वेतन आयोग की सिफारिशों को मानते हुए करीब 65 लाख सरकारी कर्मचारियों की तनख्वाहें पहले से बढ़ा चुकी है। इसके तहत कैबिनेट सचिव का मूल वेतन 30,000 रुपए से बढ़ाकर 90,000 रुपए किया जा चुका है। बाकी कर्मचारियों की भी तनख्वाहें अच्छी-खासी बढ़ाई गई हैं।

संदर्भवश बता दूं कि सरकार ने लीक तोड़ते हुए इस बार किसी नौकरशाह के बजाय एक सामाजिक कार्यकर्ता शैलेश गांधी को सूचना अधिकार से जुड़ा केंद्रीय पद सौंपा है। वो 18 सितंबर 2008 से केंद्रीय सूचना आयुक्त का पदभार संभाल लेंगे। शैलेश गांधी आईआईटी मुंबई से निकले इंजीनियर हैं। फिर उन्होंने अपनी एक प्लास्टिक कंपनी डाली। लेकिन पिछले कई सालों से सूचना अधिकार की मुहिम छेड़े हुए हैं। नया पद मिलने के बाद शैलेश गांधी ने घोषणा की है कि वे महीने में केवल एक रुपए की सांकेतिक तनख्वाह लेंगे। साथ ही किसी भी सरकारी सुविधा का उपयोग नहीं करेंगे। उनका कहना है कि अपनी मेहनत से उन्होंने इतनी बचत कर ली है कि उन्हें महीने में 60,000 रुपए ब्याज के रूप में मिल जाते हैं जितने में उनके कुटुम्ब का भरण-पोषण हो जाता है।

सवाल उठता है कि एक अदना-सा सामाजिक कार्यकर्ता जब एक रुपए महीने में जनसेवा कर सकता है तो हमारे इतने बड़े ‘जनसेवकों’ की तनख्वाह क्या 300 फीसदी बढ़ानी ज़रूरी थी?

Comments

apka sawaal sahi hai lekin je har viyakti par alag alag lagu hoti hai....jaankari dene ke liye shukriya
शैलेश गांधी के बारे में सुन कर अच्छा लगा. सरकारी पदों पर एवं देश के नियंत्रण में लगे लोग भला क्यों यह करने लगे. वे इस कार्य के लिये थोडी इन पदों पर आसीन हुए हैं.



-- शास्त्री जे सी फिलिप

-- समय पर प्रोत्साहन मिले तो मिट्टी का घरोंदा भी आसमान छू सकता है. कृपया रोज कम से कम 10 हिन्दी चिट्ठों पर टिप्पणी कर उनको प्रोत्साहित करें!! (सारथी: http://www.Sarathi.info)
Abhishek Ojha said…
३०० की जगह ६०० फीसदी भी बढ़ा दें और इन पोस्ट पर बैठे लोग उतने में ही इमानदारी से काम करें तो बहुत भला हो जाए.... शैलेशजी के बारे में पढ़कर बहुत अच्छा लगा, कल ही उनके बारे में एक मित्र से चर्चा हुई.
वेतन बढ़ाना तो मैं अनुचित नहीं मानता। लेकिन वे इस का त्याग तो कर सकते हैं।
खुशी हुई शैलेश जी के बारे मे जानकर!

सवाल बहुत ही सटीक है।
जवाब न हम खोज सकते हैं न ही वे जिनकी तनख्वाह इतनी बढ़ी है।
Anil Pusadkar said…
sahi sawal aur jawab bhi aapne shailesh jee ke jariye de hi diya hai.shailesh jee jaise logon ki aaj sakht zarurat hai

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