भारत-निर्माण : देश कितना बना, कितना बिगड़ा
यूपीए सरकार का बेहद महत्वाकांक्षी कार्यक्रम रहा है भारत-निर्माण। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने 28 फरवरी 2005 को वित्त वर्ष 2005-06 का बजट पेश करते हुए इसकी रूपरेखा पेश की थी। वादा किया था कि इस कार्यक्रम के तहत चार सालों में यानी मार्च 2009 तक देश के ग्रामीण इलाकों के इंफ्रास्ट्रक्चर की सूरत बदलकर रख दी जाएगी। इसमें छह क्षेत्रों के लिए खास लक्ष्य निर्धारित किए गए थे।
1. एक करोड़ हेक्टेयर नई ज़मीन में सिंचाई सुविधाएं मुहैया कराना।
2. एक हज़ार आबादी (पहाड़ी और आदिवासी इलाकों में 500 आबादी) तक के सभी गांवों को सड़क से जोड़ना
3. गरीबों के लिए 60 लाख नए घरों का निर्माण
4. देश की बाकी बची 74,000 बस्तियों में पीने का पानी पहुंचाना
5. बचे हुए 1.25 लाख गांवों तक बिजली पहुंचाना और 2.3 करोड़ घरों को बिजली का कनेक्शन देना
6. देश के बचे हुए 66,822 गांवों तक टेलिफोन सुविधा पहुंचाना
आपको बता दें कि 2001 की जनगणना के मुताबिक देश के कुल गांवों की संख्या 6.38 लाख है। चिदंबरम भारत निर्माण कार्यक्रम की घोषणा के वक्त मानकर चल रहे थे कि इनमें से 5.13 लाख गांवों तक बिजली पहुंच चुकी है और 5.81 लाख गांवों में टेलिफोन की सुविधा मौजूद है। इस मानने को परखने का कोई साधन मेरे पास नहीं है, इसलिए इसे सही ही मानकर चलते हैं। लेकिन मुझे लगता है कि भारत निर्माण कार्यक्रम के अमल की आधी मियाद पूरी हो जाने के बाद देखना ज़रूरी है कि इसमें हासिल क्या हुआ है। खासकर, बिजली, सड़क और पानी के वादे कहां तक पहुंचे हैं। सो, अगले हफ्ते यानी सोमवार से मैं इन तीन मुद्दों पर अलग-अलग लिखने की सोच रहा हूं। आशा है आप अभी से उनको पढ़ने की हिम्मत जुटा लेंगे।
आज मैं बस वह बातें पेश कर रहा हूं जो वित्त मंत्री ने इस कार्यक्रम को लेकर पिछले दो बजट भाषणों में बताई है ताकि सरकारी पक्ष से आप वाकिफ हो सकें।
वित्त वर्ष 2006-07 के बजट भाषण में चिदंबरम ने संसद को बताया था कि ...
1. सिंचाई सुविधाओं के लिए 944.18 करोड़ रुपए अनुदान के रूप में जारी किए गए हैं और इस साल 6 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि सिंचित हो जाएगी।
2. 56,279 बस्तियों के लक्ष्य में से 47,546 बस्तियों तक पीने के पानी की सुविधा जनवरी, 2006 तक पहुंचा दी गई थी।
3. सितंबर 2005 तक 5337 गांवों तक सड़क पहुंचा दी गई और इस काम के लिए 3749 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं।
4. जनवरी 2006 तक गांवों में गरीबों के लिए 8.70 लाख नए घर बनाए गए हैं। इस मद में 2260 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं।
5. ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए निर्धारित पूरे 1100 करोड़ रुपए जारी कर दिए गए हैं और मार्च 2007 तक 10,366 गांवों तक बिजली पहुंचा दी जाएगी।
6. दिसंबर 2005 तक 17,182 गावों तक टेलिफोन सुविधा पहुंचा दी गई है।
साल भर बाद वित्त वर्ष 2007-08 के बजट में वित्त मंत्री ने बताया कि ....
1. मार्च 2007 तक 24 लाख हेक्टेयर कृषि ज़मीन सिंचित बना दी जाएगी।
2. 73,120 बस्तियों में पेयजल पहुंचाने के लक्ष्य में से दिसंबर 2006 तक 55,512 बस्तियों तक यह सुविधा पहुंचा दी गई है।
3. दिसंबर 2006 तक 12,198 किलोमीटर ग्रामीण सड़कें बना दी गई हैं। इस मद के लिए अलग से 4000 करोड़ रुपए का सालाना फंड बनाया जा रहा है।
4. दिसंबर 2006 तक गांवों में 7.83 लाख घर बनाए जा चुके थे, जबकि 9.14 लाख घर निर्माणाधीन हैं। इस तरह 15 लाख घरों के सालाना लक्ष्य से ज्यादा काम हो चुका होगा।
5. अभी तक राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तरह 19,758 गांवों तक बिजली पहुंचाई जा चुकी है।
6. 20,000 गांवों तक टेलिफोन कनेक्शन पहुंचाने का लक्ष्य मार्च 2007 तक पूरा कर लिया जाएगा। इसमें से 15,054 गांवों तक यह सुविधा पहुंचाई जा चुकी है।
इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार के पास केवल डेढ़ साल बचे हैं। और, अगर यूपीए सरकार बीच में ही नहीं गिर गई तो इस कार्यक्रम की समाप्ति का साल 2009 ही नए लोकसभा चुनावों का साल होगा।
टेलिफोन का लक्ष्य उद्योग की सेवा के लिए है तो दो साल में ही लक्ष्य के आधे से ज्यादा (37,182) गांवों तक टेलिफोन कनेक्शन पहुंचाया जा चुका है। एक करोड हेक्टेयर ज़मीन को सिंचित बनाने के लक्ष्य का केवल 30 फीसदी पूरा किया गया है। गरीबों के लिए घर बनाने का लक्ष्य भी लगभग आधा पूरा हो चुका है। लेकिन सबसे अहम सवाल ये है कि ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए ज़रूरी बिजली, सड़क, पानी का हाल क्या है?...पढ़िए सोमवार से
1. एक करोड़ हेक्टेयर नई ज़मीन में सिंचाई सुविधाएं मुहैया कराना।
2. एक हज़ार आबादी (पहाड़ी और आदिवासी इलाकों में 500 आबादी) तक के सभी गांवों को सड़क से जोड़ना
3. गरीबों के लिए 60 लाख नए घरों का निर्माण
4. देश की बाकी बची 74,000 बस्तियों में पीने का पानी पहुंचाना
5. बचे हुए 1.25 लाख गांवों तक बिजली पहुंचाना और 2.3 करोड़ घरों को बिजली का कनेक्शन देना
6. देश के बचे हुए 66,822 गांवों तक टेलिफोन सुविधा पहुंचाना
आपको बता दें कि 2001 की जनगणना के मुताबिक देश के कुल गांवों की संख्या 6.38 लाख है। चिदंबरम भारत निर्माण कार्यक्रम की घोषणा के वक्त मानकर चल रहे थे कि इनमें से 5.13 लाख गांवों तक बिजली पहुंच चुकी है और 5.81 लाख गांवों में टेलिफोन की सुविधा मौजूद है। इस मानने को परखने का कोई साधन मेरे पास नहीं है, इसलिए इसे सही ही मानकर चलते हैं। लेकिन मुझे लगता है कि भारत निर्माण कार्यक्रम के अमल की आधी मियाद पूरी हो जाने के बाद देखना ज़रूरी है कि इसमें हासिल क्या हुआ है। खासकर, बिजली, सड़क और पानी के वादे कहां तक पहुंचे हैं। सो, अगले हफ्ते यानी सोमवार से मैं इन तीन मुद्दों पर अलग-अलग लिखने की सोच रहा हूं। आशा है आप अभी से उनको पढ़ने की हिम्मत जुटा लेंगे।
आज मैं बस वह बातें पेश कर रहा हूं जो वित्त मंत्री ने इस कार्यक्रम को लेकर पिछले दो बजट भाषणों में बताई है ताकि सरकारी पक्ष से आप वाकिफ हो सकें।
वित्त वर्ष 2006-07 के बजट भाषण में चिदंबरम ने संसद को बताया था कि ...
1. सिंचाई सुविधाओं के लिए 944.18 करोड़ रुपए अनुदान के रूप में जारी किए गए हैं और इस साल 6 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि सिंचित हो जाएगी।
2. 56,279 बस्तियों के लक्ष्य में से 47,546 बस्तियों तक पीने के पानी की सुविधा जनवरी, 2006 तक पहुंचा दी गई थी।
3. सितंबर 2005 तक 5337 गांवों तक सड़क पहुंचा दी गई और इस काम के लिए 3749 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं।
4. जनवरी 2006 तक गांवों में गरीबों के लिए 8.70 लाख नए घर बनाए गए हैं। इस मद में 2260 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं।
5. ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए निर्धारित पूरे 1100 करोड़ रुपए जारी कर दिए गए हैं और मार्च 2007 तक 10,366 गांवों तक बिजली पहुंचा दी जाएगी।
6. दिसंबर 2005 तक 17,182 गावों तक टेलिफोन सुविधा पहुंचा दी गई है।
साल भर बाद वित्त वर्ष 2007-08 के बजट में वित्त मंत्री ने बताया कि ....
1. मार्च 2007 तक 24 लाख हेक्टेयर कृषि ज़मीन सिंचित बना दी जाएगी।
2. 73,120 बस्तियों में पेयजल पहुंचाने के लक्ष्य में से दिसंबर 2006 तक 55,512 बस्तियों तक यह सुविधा पहुंचा दी गई है।
3. दिसंबर 2006 तक 12,198 किलोमीटर ग्रामीण सड़कें बना दी गई हैं। इस मद के लिए अलग से 4000 करोड़ रुपए का सालाना फंड बनाया जा रहा है।
4. दिसंबर 2006 तक गांवों में 7.83 लाख घर बनाए जा चुके थे, जबकि 9.14 लाख घर निर्माणाधीन हैं। इस तरह 15 लाख घरों के सालाना लक्ष्य से ज्यादा काम हो चुका होगा।
5. अभी तक राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तरह 19,758 गांवों तक बिजली पहुंचाई जा चुकी है।
6. 20,000 गांवों तक टेलिफोन कनेक्शन पहुंचाने का लक्ष्य मार्च 2007 तक पूरा कर लिया जाएगा। इसमें से 15,054 गांवों तक यह सुविधा पहुंचाई जा चुकी है।
इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार के पास केवल डेढ़ साल बचे हैं। और, अगर यूपीए सरकार बीच में ही नहीं गिर गई तो इस कार्यक्रम की समाप्ति का साल 2009 ही नए लोकसभा चुनावों का साल होगा।
टेलिफोन का लक्ष्य उद्योग की सेवा के लिए है तो दो साल में ही लक्ष्य के आधे से ज्यादा (37,182) गांवों तक टेलिफोन कनेक्शन पहुंचाया जा चुका है। एक करोड हेक्टेयर ज़मीन को सिंचित बनाने के लक्ष्य का केवल 30 फीसदी पूरा किया गया है। गरीबों के लिए घर बनाने का लक्ष्य भी लगभग आधा पूरा हो चुका है। लेकिन सबसे अहम सवाल ये है कि ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए ज़रूरी बिजली, सड़क, पानी का हाल क्या है?...पढ़िए सोमवार से
Comments
मैत्री अतुल
खैर मजाक छोड़ें. सरकार के लक्ष्यों का तो बहुत महत्व नहीं - पर अगर इंकीमेण्टल पॉजिटिव चेंज हो रहा हो जो जनसंख्या वृद्धि को ऑफसेट करता हो - तो भी संतोष होगा. शायद वैसा हो. आपकी आगे की पोस्टें बतायेंगी.