Tuesday 27 May, 2008

अंधविश्वास अब बन गए हैं ब्रेकिंग न्यूज़

पिछले कई महीनों से हिंदी न्यूज़ चैनलों ने लगता है अंधविश्वास फैलाने की सुपारी ले रखी है। ज़ी ने जब लंका में अशोक वाटिका ‘खोज’ निकाली तो सभी चैनल इस ‘खोज’ के पीछे भाग निकले। उसके बाद तो चैनलों को परशुराम का धनुष मिल गया। उन्होंने शिव को सच साबित कर दिया। एक चैनल ने गांव से दो भूतों की लाइव करवेज की। लोग देखते रहे। आखिर में कुछ ने दोबारा वह चैनल न देखने की कसमें खाईं क्योंकि आधे घंटे के शो के अंत में दिखाया गया कि दोनों भूत बहुरूपिया थे।

मुझे समझ में नहीं आता कि क्या देश का कानून में इस तरह खुलेआम अंधविश्वास फैलाने की छूट देता है? तीसरा खंभा और अदालत शायद इसका बेहतर जवाब दे सकें। फिलहाल एक चैनल ने रावण की वायुसेना और हवाई अड्डों पर ब्रेकिंग न्यूज़ पेश की है। चौंकानेवाली बात ये है कि यह सारा कुछ शोधकर्ताओं के हवाले कहा जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि श्रीलंका सरकार ने इसे स्वीकार कर लिया है। बानगी पेश कर रहा हूं। आप भी गौर फरमाएं और थोड़ा-सा रो लें हमारे चैनलों की हालत पर...

रावण के पास थे 5 हवाई अड्डे!
सीता को सताने यहीं से उड़ा रावण
हरण के बाद यहीं लायी गईं सीता मैया
वारियपोला नाम के दो हवाई अड्डे थे
सिंघली में वारियपोला का अर्थ है हवाई अड्डा
कुरनांगला जिले में था एक अड्डा
दूसरा अड्डा मातली जिले में था
सबसे अहम था वेरेगनटोटा हवाई अड्डा

एक हवाई अड्डे का मालिक अहिरावण था
अहिरावण का हवाई अड्डा था तोतूपोलाकांडा
तोतूपोलाकांडा पर भी रावण का अधिकार था
सीताहरण के बाद तोतूपोलागोंड़ा पहुंचा रावण
यहीं हरण के बाद लाई गईं मां सीता

उस्सनगुड़ा रावण का हवाई अड्डा था
दस किमी का समतल मैदान है उस्सनगुड़ा
हनुमानजी ने जला दिया था उस्सनगुड़ा
उस्सनगुड़ा के पत्थर और मिट्टी जली हालत में
उस्सनगोड़ा से रावण ने भरी थी उड़ान
सीताहरण के लिए यहीं से उड़ा रावण
सीता हरण का साक्षी है उस्सनगोड़ा

लड़ाकू जहाजों के लिए था उस्सनगोड़ा
सैनिक हवाई अड्डा था उस्सनगुड़ा
रावण की फौजी ताकत के निशान
वेरेगनटोटा में था रावण का वायुसेना मुख्यालय
रावण के पास था विमानों का बेड़ा
त्रेता की कहानी कहते मैदान
मौन मैदानों की गवाही

यहां से उड़ता था पुष्पक
कुबेर का विमान था पुष्पक
रावण ने कुबेर से छीना था पुष्पक
पुष्पक था सीताहरण का साक्षी
सियाराम ने भी की थी पुष्पक की सवारी
सोने की तरह चमकता था पुष्पक
श्रीराम ने कुबेर को लौटाया पुष्पक
गोदावरी किनारे उतरा था पुष्पक

पर्णकुटी में रहते थे सियाराम
आंध्र प्रदेश में है पर्णकुटी

6 comments:

Gyan Dutt Pandey said...

बहुत स्तरीय भूगोलवादी कविता है। कविता के इस वाद से ब्लॉग पर परिचय कराने के लिये धन्यवाद। :)

बालकिशन said...

रो तो रहे ही हैं चैनलों की हालत और ब्लोगों की हालत दोनों पर.
ऐसा लगता है की चैनलों और ब्लोगों मे वाहियात्पन की होड़ लगी है.
आपसे सहमत हूँ सरजी.

Sandeep Singh said...

काश... तंगहाली में भूखे पेट अकुलाते बच्चे को कहानी सुनाकर दुलराने की कोशिश में जुटी मां तक चैनल की ब्रेकिंग न्यूज का ये यथार्थ पहुंच पाता। कम से कम रोज एक ही कहनी सुन सुनकर ऊब चुका बच्चा फिर एक रात तो भूखे पेट भर नींद सो लेता।

दिनेशराय द्विवेदी said...

इसी तर्ज पर कोटा से भोपाल की ओर 50 कि.मि. पर एक स्थान है दरा वन्य जीव अभयारण्य वहाँ है एक बड़ा चबूतरा जिसे भीम-चौरा कहते हैं। भीम-चौरा भीम की ससुराल है। वहाँ उस ने हिडिम्बा से विवाह किया था जिस से घटोत्कच पैदा हुआ।
ऐसी कम से कम 20 स्थान तो पूरे भारतवर्ष में होंगे ही।
अनिल जी, पुस्तकें ज्ञान का भंड़ार हैं, यह अक्सर कहा जाता है। लेकिन यह भी सही है कि पुस्तकें ज्ञान के साथ अज्ञान भी फैलाती हैं। यही बात हर माध्यम के साथ है। ब्लॉग के साथ भी। इस से बचा नहीं जा सकता। पर इस के विरुद्ध सतत अभियान चलाया जा सकता है।
आज की पोस्ट लिख कर आप ने यही दायित्व निभाया है।
हाँ कानून में तलाशने का प्रयत्न करता हूँ, शायद कोई उपाय हो। लेकिन अवस्था यह है कि जरुरतमंद को तो न्याय मिल नहीं रहा है। अदालतें अर्जियों का गोदाम बनती जा रही हैं।

राजेश कुमार said...

अनिल जी आपने सही सवाल उठाया है। अंधविश्वास फैलाने वालों के खिलाफ कानूनी प्रावधान कितना मजबूत है और कितना कारगर होगा। इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन लोगों ने कवि की कल्पनाओं को सच सिद्ध करने कोशिश शुरू कर दी है। एक कहावत है कि एक झूठ को सौ लोग सौ जगह बोलने लगे तो झूठ भी सच लगने लगता है। यही होनो वाला है आने वाले दिनों में।

Arun Aditya said...

सीताहरण के साक्षी हैं ये चैनल। उस समय ये रावण के प्रवक्ता थे और आजकल द्रौपदी का चीरहरण इनका रोज का काम हो गया है।