वरना क्या वजह है कि आईपीएल में शामिल आठ टीमों की मूल्य-तालिका में सबसे निचले पायदान पर मौजूद टीम राजस्थान रॉयल्स आज 22 अंकों के साथ आईपीएल 2008 की अंकतालिका में सबसे ऊपर है और उसका +0.632 का रन-रेट भी सबसे ज्यादा है। राजस्थान रॉयल्स की कीमत थी 6.70 करोड़ डॉलर, जबकि मुंबई इंडियंस 11.19 करोड़ डॉलर की कीमत के साथ सबसे महंगी टीम थी। बाज़ार ने इसके बाद बैंगलोर की रॉयल चैलेंजर्स की कीमत 11.16 करोड़ डॉलर और हैदराबाद की डेक्कन चार्जर्स की कीमत 10.71 करोड़ डॉलर आंकी थी। लेकिन आईपीएल की ये तीनों सबसे महंगी टीमें टूर्नामेंट से बाहर निकल चुकी हैं। बाज़ार का नज़रिया सही निकला है तो सिर्फ कोलकाता की नाइट राइडर्स के बारे में जिसकी कीमत आंकी गई थी 7.51 करोड़ डॉलर। कीमत के मामले में वो नीचे से दूसरे नंबर पर थी और सेमीफाइनल तक नहीं पहुंच पाई। लेकिन यह कोई प्रोफेशनल नहीं, बल्कि सौरव गांगुली के प्रति गुटबाज़ी और पूर्वाग्रह से भरे नज़रिये का नतीजा था।
सबसे सस्ती टीम उपलब्धि में सबसे ऊपर। उसके बाद तीसरे नंबर की सस्ती (कीमत 7.60 करोड़ डॉलर) 20 अंकों के साथ दूसरे स्थान पर। फिर चेन्नई सुपरकिंग्स (कीमत 9.10 करोड़ डॉलर) 16 अंकों से साथ तीसरे और दिल्ली डेयरडेविल्स (कीमत 8.40 करोड़ डॉलर) चौथे नंबर पर है। उपलब्धि के इन असल आंकड़ों ने बाज़ार के सारे आकलन को धराशाई कर दिया है और साबित कर दिया है कि हमारा बाज़ार performance और potential की नहीं, चेहरों की कीमत लगाता है। आज मुंबई इंडियंस के मालिक मुकेश अंबानी रो रहे हैं, रॉयल चैलेंजर्स के मालिक विजय माल्या सिर धुन रहे हैं, कोलकाता नाइट राइडर्स के मालिक शाहरुख खान विलाप कर रहे हैं और डेक्कन चार्जर्स का मालिक डेक्कन क्रोनिकल समूह रो रहा है तो उन्हें खिलाड़ियों पर तोहमत लगाने के बजाय बाज़ार की चाल की विवेचना करनी चाहिए।
आज सबसे ज्यादा खुश हैं तो राजस्थान रॉयल्स पर दांव लगानेवाली कंपनी इमर्जिंग मीडिया। इस कंपनी में तीन लोगों का पैसा लगा है। एक हैं मनोज बडाले जो Blenheim Chalcot नाम के निवेश समूह के संस्थापक और मैनेजिंग पार्टनर है। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि राजस्थान रॉयल्स के मालिकों में मीडिया सम्राट रूपर्ट मरडोक के बेटे लैचलान मरडोक भी शामिल हैं जिन्होंने अपनी निजी निवेश कंपनी Illyria के ज़रिए इसमें पैसा लगाया है, हालांकि निवेश की रकम ज्यादा नहीं है। मनोज बडाले को उम्मीद है कि वो राजस्थान रॉयल्स की साख के दम पर विदेशियों के बीच राजस्थान के पर्यटन के प्रचार से भी अतिरिक्त कमाई कर ले जाएंगे।
खैर अभी आईपीएल में शामिल सभी आठों टीमों को अपनी लागत निकालने में दो से तीन साल लग जाएंगे। उम्मीद पर दुनिया कायम है तो इन्हें भी आनेवाले सालों में मुनाफा कमाने का पूरा भरोसा है। लेकिन आईपीएल की आयोजक बीसीसीआई की हालत यह है कि वर मरे या कन्या, सुमंगली से मतलब। मरे कोई पंडितजी को अपनी दक्षिणा से मतलब है। वैसे महाबाभन और गिद्ध तो औरों की मौत पर ही खिलखिलाते हैं। तो, इस साल बीसीसीआई को आईपीएल से 350 करोड़ रुपए का मुनाफा होने का अनुमान है।
आईपीएल की बदौलत मैच को दिखाने वाले चैनल सेट मैक्स की झोली में भी करोड़ों आने का अनुमान है। कितने करोड़? इसका पक्का आकलन तो नहीं है, लेकिन पहले वह हर मैच में 10 सेकंड के विज्ञापन का 2 लाख रुपए ले रहा था। अब सेमी-फाइनल और फाइनल में यह दर दस लाख रुपए प्रति 10 सेकंड हो चुकी है। अभी दो सेमी-फाइनल और एक फाइनल में कम से कम 9 घंटे का मैच होना है। इन 540 मिनटों में से अगर हर मिनट में औसतन 10 सेकंड का एक विज्ञापन भी दिखाया गया तो दो दिनों में ही सेट मैक्स को 54 करोड़ रुपए की कमाई हो जाएगी। अगले साल के लिए सोनी का अनुमान ज़रूर है कि वह 45 दिनों चलनेवाले इस टूर्नामेंट से लगभग 650 करोड़ रुपए कमाएगा।
चलिए, आईपीएल का पहला सेमी-फाइनल शुरू होनेवाला है। आप भी देखिए। मैं भी देखूंगा। कल दूसरा सेमी-फाइनल और परसों यानी रविवार को फाइनल। मनोरंजन का बाप आपका इंतज़ार कर रहा है। चलते-चलते एक बात और बता दूं कि चेहरों की चकाचौंध के पीछे बाज़ार और मनोरंजन उद्योग ही नहीं, मीडिया के बड़े-बड़े दिग्गज भी भागते रहे हैं। प्रणव रॉय ने जनवरी 2003 में अपने हिंदी चैनल एनडीटीवी इंडिया की शुरुआत से पहले आजतक से तमाम चेहरे तोड़ लिए थे। उन्होंने अपना USP इन्हीं चेहरों को बनाया था। इन चेहरों से सजे मोबाइल होर्डिंग महानगरों में घुमाए गए थे। लेकिन नतीज़ा? पांच साल बाद भी एनडीटीवी इंडिया हिंदी न्यूज़ के नए-पुराने 12 चैनलों में 7 फीसदी टीआरपी के साथ छठे नंबर पर त्रिशंकु बना अटका पड़ा है।
मतदाता जागरूकता गीत
1 month ago
12 comments:
ये बात तो आज सभी कह रहे हैं. आईपीएल शुरू होने से पहले कोई नही कह रहा था.
चेहरों की बोली नही लगाई गई थी, उनके परफॉर्मेंस की ही बोली लगी थी. और साथ थे आईपीएल के कई सारे नियम. NDTV को TRP नही चाहिए. अगर चाहिए होती तो भूत दिखा कर लाया जा सकता था. ऐसा मुझे लगता है
राजेश रोशन जी, बड़ी विनम्रता से कहना चाहता हूं कि बाज़ार में जो उतरता है उसका मकसद मुनाफा कमाना ही होता है। और, चैनलों के मुनाफे का सीधा रिश्ता ब्रांड वैल्यू के अलावा टीआरपी से भी होता है। टीआरपी नहीं चाहिए की हकीकत यही है कि मौका मिला तो व्यभिचारी, नहीं तो ब्रह्मचारी।
पड़ताल काफी गहरी है। ये भी सच है किसी की हो न हो लेकिन बीसीसीआई की बल्ले-बल्ले है। रही बात खिलाड़ियों की तो नए पुराने की कोई बात नहीं दिखी कई दिग्गज नए सिकंदर पैदा हुए तो सौरव, शेनवार्न, मैग्रा जैसे खिलाड़ियों का प्रदर्शन भी किसी से अछूता नहीं रहा।
आप ही की पोस्ट से लग रहा है दौड़ लम्बी है। और उलटफेर बहुत होंगे। मैच फिक्सिंग के अन्दाज में भी कुछ हो सकता है। समय बतायेगा।
माफ़ कीजियेगा अनिल जी. इतना बढ़िया आर्टिकल लिखा आपने. अच्छे आंकडे और लिंक भी दिए. मगर हर पैराग्राफ में एक शिकायती सुर बेमतलब ही आलाप भरता दिखता है. "क्या वजह है कि राजस्थान रौयल्स आज सबसे ऊपर है?" अरे भई वजह क्या होगी? जो अच्छा खेल गया वो ऊपर है. पहले से पता होता है क्या कि कौन कैसा खेलेगा? एक तो क्रिकेट वो भी अन्डरवीयर क्रिकेट, तो कोई पूर्वानुमान लगाना असंभव ही है. वैसे अगर कागज़ पर देखें तो हैदराबाद की ही टीम सबसे सशक्त दिखती है.
अगर आप अपनी जेब से पूँजी लगाकर किसी टीम की फ्रेंचाइजी लेते तो किस प्रकार के खिलाड़ियों को चुनते? फ्री फोकट किसी की भी टांग खींचना आसान काम है.
और जहाँ तक सवाल है टीवी का तो लगभग एक साल होने आया है बुद्धू बक्से (मतलब चैनल्स) को लात जमा कर घर से निकाल बाहर किया है. आई-पी-एल का एक भी मैच नहीं देखा और ना ही देखने की तमन्ना है.
आपने तो सर पूरी बैलेंस शीट उतार दी आई पी एल की.
जवाब नहीं.
देखते जरुर हैं हम भी बड़े शौक से पर इतनी जानकारी नहीं थी.
"बल्कि सौरव गांगुली के प्रति गुटबाज़ी और पूर्वाग्रह से भरे नज़रिये का नतीजा था।"
ये लाइन कुछ समझ नही आई?
जहा आपने अपनी बात खत्म की मैं वही से अपनी बात शुरू करता हू... लोगो के अपने नैतिक मूल्य होते हैं, इससे आप इनकार नही कर सकते... टीआरपी सबको प्यारी होती है... सबको... लेकिन कुछ चीजो के साथ समझौता करके यह नही किया जा सकता... हिट और टीआरपी पाने के कई तरीके हैं, लेकिन हर कोई यही नही करने लगता
अनिल जी, पिछले कमेन्ट में हुई धृष्टता के लिए क्षमा मांगने आए हैं. भाषा में थोडी अशिष्टता हो गयी थी. आशा है आप बड़प्पन का परिचय देंगे और माफ़ करेंगे.
गजब का कैलकुलेशन है भई, इतने सूक्ष्म विश्लेषण के लिए बधाई स्वीकारें।
नीर-क्षीर विवेक सम्मत
सार-गर्भ पोस्ट.... आपके
गहन चिंतन से सोच के
नए द्वार खुलते हैं.... ऐसी
सूक्ष्म अन्वेषी प्रस्तुति
निःसंदेह दुर्लभ है.
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डा.चंद्रकुमार जैन
कमाल का पोस्ट
Anilji,
Aapa blog badaahi waachneey hai...
mere blogpe tippani deke protsahit karneke liye bohot dhanyawaad!!
Shama
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