बड़ा खास है आज का दिन, चलो सेलिब्रेट करें
मेरी पहली नौकरी को कुछ ही दिन हुए थे। ऑफिस में एक सज्जन थे, जो काफी बड़े दारूबाज थे। उम्र में मुझसे ज्यादा बड़े नहीं थे। यूं ही परिचय हुआ। परिचय बढ़ते-बढ़ते कैंटीन में साथ चाय-वाय पीने तक पहुंच गया। एक दिन यूं ही तपाक से बोले – गुरु आज मेरी जिंदगी का बड़ा खास दिन है, आज शाम मेरे साथ चलो, सेलिब्रेट करते हैं।
मैंने पूछा – आज आपका जन्मदिन है क्या या आपकी शादी की सालगिरह। बोले – बच्चू, अभी तो मेरी शादी ही नहीं हुई है तो सालगिरह काहे की। मैंने पूछा – फिर...। बोले – आज कितनी तारीख है। मैंने बता दी। बोले – ये तारीख बड़ी खास है क्योंकि अब ये दोबारा लौटकर नहीं आएगी। साल भर बाद लौटकर तो आएगी, लेकिन तब साल बदल चुका होगा। इसलिए इस तारीख के हमेशा-हमेशा के लिए जुदा होने के गम और इस तारीख के जाने के हम गवाह रहे हैं, इस खुशी में इसे मनाना ज़रूरी है। मैंने कहा – आपको तो बस पीने का कोई न कोई बहाना चाहिए। खैर, मैं तीन और दोस्तों के साथ उस शाम उनके घर धमक गया। जमकर गाना-बजाना और पीना-पिलाना हुआ। सभी रात भर वहीं जमे रहे। सुबह अपने-अपने घर गए।
आज उनकी बात याद आ गई तो मैंने सोचा कि क्यों न हम भी आज की तारीख, 7 सितंबर 2007 को सेलिब्रेट कर लें। वाकई, पल-पल में जीना कितना सुखद होता है। शायद किसी गुरू ने भी कहा है कि हर दिन इस तरह जिओ कि ये तुम्हारी जिंदगी का आखिरी दिन है। हर दिन जन्म, हर दिन मौत। काश, कोई जिम्मेदारियां न होतीं तो हम भी बिंदास होकर हर दिन जीने-मरने का खुलकर अहसास कर पाते। दारू भले ही नहीं पीते, लेकिन अपने उस दारूबाज मित्र के अंदाज़ में हर पल का छककर मज़ा लेते।
मैंने पूछा – आज आपका जन्मदिन है क्या या आपकी शादी की सालगिरह। बोले – बच्चू, अभी तो मेरी शादी ही नहीं हुई है तो सालगिरह काहे की। मैंने पूछा – फिर...। बोले – आज कितनी तारीख है। मैंने बता दी। बोले – ये तारीख बड़ी खास है क्योंकि अब ये दोबारा लौटकर नहीं आएगी। साल भर बाद लौटकर तो आएगी, लेकिन तब साल बदल चुका होगा। इसलिए इस तारीख के हमेशा-हमेशा के लिए जुदा होने के गम और इस तारीख के जाने के हम गवाह रहे हैं, इस खुशी में इसे मनाना ज़रूरी है। मैंने कहा – आपको तो बस पीने का कोई न कोई बहाना चाहिए। खैर, मैं तीन और दोस्तों के साथ उस शाम उनके घर धमक गया। जमकर गाना-बजाना और पीना-पिलाना हुआ। सभी रात भर वहीं जमे रहे। सुबह अपने-अपने घर गए।
आज उनकी बात याद आ गई तो मैंने सोचा कि क्यों न हम भी आज की तारीख, 7 सितंबर 2007 को सेलिब्रेट कर लें। वाकई, पल-पल में जीना कितना सुखद होता है। शायद किसी गुरू ने भी कहा है कि हर दिन इस तरह जिओ कि ये तुम्हारी जिंदगी का आखिरी दिन है। हर दिन जन्म, हर दिन मौत। काश, कोई जिम्मेदारियां न होतीं तो हम भी बिंदास होकर हर दिन जीने-मरने का खुलकर अहसास कर पाते। दारू भले ही नहीं पीते, लेकिन अपने उस दारूबाज मित्र के अंदाज़ में हर पल का छककर मज़ा लेते।
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सेलिब्रेट करने ही तो आते हैं हमेशा आपके ब्लोग पर!