वाह रे तेज़ी कि फु्र्ती भी शरमा जाए
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इस कृषि नीति में साफ-साफ मेरिट के आधार पर कृषि जोत में 12.5 एकड़ की सीलिंग सीमा में छूट देने की बात कही गई थी, लेकिन अब मायावती कह रही हैं कि विपक्षी अफवाह फैला रहे थे कि नई नीति में सीलिंग की सीमा घटाई जा रही है। क्या वाकई उत्तर प्रदेश में विपक्षी इतने संघी हो गए हैं कि सच के बजाय झूठ का ढिढोरा पीट रहे हैं? माया जी, वाकई आपकी माया निराली है कि जो करने जा रही थीं, उसी की उल्टी बात का खंडन कर रही हैं, वह भी विपक्षियों के
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अब एक और कमाल देखिए। मायावती की नई कृषि में बिचौलियों को खत्म करने की बात से सभी ने निष्कर्ष निकाला था कि असल में सरकार किसानों के नाम पर संगठित रिटेल में उतर रहे उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने जा रही है। तो, अब मायावती ने मुकेश अंबानी के रिलायंस फ्रेश से लेकर आरपी गोयनका ग्रुप के स्पेंसर स्टोर्स को बंद करने का फरमान जारी कर दिया है। कहा जा रहा है कि ये एक तात्कालिक कदम है और इसे कानून-व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है क्योंकि पिछले कुछ दिनों में मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी ने इन रिटेल स्टोर्स के खिलाफ तोड़फोड़ की थी। हो सकता है कि अनिल अंबानी मुलायम और अमर सिंह के खास-म-खास हैं, इसलिए उन्होंने बड़े भाई के रिलायंस फ्रेश के खिलाफ इनसे राजनीतिक उपद्रव कराया हो, लेकिन बहनजी बीस दिन में ही कैसे अपनी नीयत से बदल गईं, समझ में आना मुश्किल है। वाकई, माया की माया तो भगवान भी नहीं समझ सके, तो हम इंसान क्या चीज़ हैं?
खैर, बहनजी ने इस मसले पर कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह की अध्यक्षता में एक कमिटी बना दी है जो कानून-व्यवस्था ही नहीं, स्वास्थ्य और सफाई जैसे पहलुओं पर भी ध्यान देकर एक महीने के भीतर रिटेल स्टोरों पर नई सिफारिशें पेश करेगी। मजे की बात ये है कि जिन अंग्रेजी अखबारों और उद्योग चैंबर्स ने कृषि नीति पर मायावती के कसीदे काढ़े थे, उनकी बोलती अब बंद हो गई है। उनसे न कुछ निगलते बन रहा है और न ही उगलते। हम भी मायूस हैं क्योंकि हमें ज़रा-सा भी इलहाम नहीं था कि इस नीति पर लिखे हमारे लेख बीस दिन में ही अप्रासंगिक हो जाएंगे।
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