चीन ने फिर कहा – हम तो भाई-भाई हैं
जब पूरे देश में चर्चाएं गरम है कि चीन भारत को कमज़ोर देखना चाहता है, इसीलिए वह भारत-अमेरिका परमाणु संधि में रोड़े अटका रहा है, तब खुद चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ (नाम का असली उच्चारण अभी-अभी चीन की यात्रा पूरी कर चुके अज़दक बता सकते हैं) ने आज बयान दिया कि चीन और भारत को एक-दूसरे से कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत-चीन के रिश्तों की मुख्य धारा दोस्ती की है। इन दोनों देशों के बीच दो हज़ार सालों से ज्यादा के दोस्ताना संबंध हैं, जबकि रिश्तों में आई खटास की मियाद महज दो से तीन साल की रही है।
चीनी प्रधानमंत्री के मुताबिक दोनों देशों का विकास एक दूसरे का पूरक है। यह दोनों की समृद्धि और ताकत हासिल करने का मौका देगा, न कि एक दूसरे के लिए खतरा पैदा करेगा। उन्होंने कहा कि इस साल जब भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चीन की यात्रा पर आएंगे तो उनका जबरदस्त स्वागत किया जाएगा। इस ‘बिग इवेंट’ के लिए अभी से तैयारियां शुरू हो गई हैं।
दिक्कत ये है कि भारतीय जनमानस में चीनी नेताओं के बयानों को अब भी संदेह की निगाह से देखा जाता है, क्योंकि हिंदी-चीनी भाई-भाई का सबक पूरा देश 1962 में युद्ध के रूप में झेल चुका है। लेकिन हालात हमेशा एक-से नहीं रहते।
(कल पढ़िए – न्यूक्लियर डील पर नीर-क्षीर)
चीनी प्रधानमंत्री के मुताबिक दोनों देशों का विकास एक दूसरे का पूरक है। यह दोनों की समृद्धि और ताकत हासिल करने का मौका देगा, न कि एक दूसरे के लिए खतरा पैदा करेगा। उन्होंने कहा कि इस साल जब भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चीन की यात्रा पर आएंगे तो उनका जबरदस्त स्वागत किया जाएगा। इस ‘बिग इवेंट’ के लिए अभी से तैयारियां शुरू हो गई हैं।
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