दांत क्यों नहीं ठीक करवा लेते!
मोती जैसे दांत हर किसी को कहां मयस्सर होते हैं। लेकिन कल डेंटिस्ट के यहां बैठा हुआ था तो सामने चिपके पोस्टर से पता चला कि आपके दांत कैसे भी आड़े-तिरछे, काले-पीले, टूटे-बिखरे हों, आप उन्हें सुंदर-सजीला और मोतियों जैसा बन सकते हैं। हां, इसमें थोड़े ज्यादा पैसे ज़रूर लगते हैं। इसे मैं अच्छी तरह जानता हूं क्योंकि इधर मैं अपने दांतों के स्वास्थ्य, स्वच्छता और सौदर्यीकरण अभियान में लगा हुआ हूं। कल डॉक्टर ने खाली नीचे के दांतों की सफाई के 800 रुपए ले लिये। ऊपर-नीचे के पूरे काम के लिए उसने करीब 35,000 रुपए का बजट पेश किया है। शायद इसीलिए विदेश में दांतों के कई तरह इलाज हेल्थ इंश्योरेंस से बाहर रखे जाते हैं।
लेकिन जिनके पास अकूत पैसे हैं, वे अपने दांत क्यों खराब रखते हैं? यह सवाल मेरे जेहन में सबसे पहले इफोसिस के चीफ मेंटर एनआर नारायणमूर्ति की तस्वीरों को देखकर उठा। आप भी देखिए उनके नीचे के दांत कैसे फैले-फैले और रिपल्सिव हैं, जैसे लगता है सड़क के किसी बूढ़े भिखारी के दांत हों। नारायणमूर्ति अरबपति हैं। दांत ठीक करवाने पर दस लाख भी लग जाएं तो उनकी जेब पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। फिर भी उनका ध्यान अपने दांतों पर नहीं जा रहा है। क्यों?
अपने दांतों और लुक से लापरवाह रहनेवाले दूसरे जानेमाने उद्योगपति हैं देश में लो-कॉस्ट एयरलाइन की शुरुआत करनेवाले कैप्टन जीआर गोपीनाथ। इनकी भी फोटो देखकर मुझे अजीब-सा लगा। इनके नीचे के सामनेवाले दो दांतों के बीच अच्छा-खासा फासला है जो इनके मुंह खोलने पर साफ नज़र आता है। लेकिन कैप्टन गोपीनाथ डेंटिस्ट के पास जाकर समय और पैसा खर्च करने को तैयार नहीं है। जबकि उनके पास पैसों की कोई कमी नहीं है। अभी एकाध महीने पहले ही उन्हें डेक्कन एयरवेज की बड़ी शेयरधारिता किंगफिशर ग्रुप के मालिक विजय माल्या को बेची है।
इन दोनों के बारे में चलो मान लेते हैं कि आम भारतीय मध्यवर्गीय पृष्ठभूमि से ऊपर उठे हैं। इसलिए कंजूसी की आदत अब भी बरकरार है। लेकिन दुनिया का सबसे अमीर शख्स जब अपने दांतों के प्रति लापरवाह रहता है तो बात मेरे एकदम गले नहीं उतरती। मैं बात कर रहा हूं बिल गेट्स को भी पीछे छोड़ देनेवाले दुनिया के सबसे बड़े अमीर व्यक्ति कार्लोस स्लिम हेलु की। मेक्सिको के टेलिकॉम सेक्टर में सक्रिय उद्योगपति स्लिम को फॉर्च्यून मैगजीन ने इसी 8 अगस्त को दुनिया का सबसे अमीर इंसान माना है। उनके पास खरबों की संपत्ति है। लेकिन ज़रा आप भी उनकी तस्वीर पर मेरी तरह गौर कीजिए। दाहिनीं तरफ ऊपर के माले का पिछला हिस्सा शायद एकदम खाली है और आगे के नमूनों की हालत भी दुरुस्त नहीं है।
मेरा तो इन तीनों से एक ही सवाल है। इतने पैसे होते हुए भी आप लोग अपने बदसूरत दांत ठीक क्यों नहीं करवा रहे?
लेकिन जिनके पास अकूत पैसे हैं, वे अपने दांत क्यों खराब रखते हैं? यह सवाल मेरे जेहन में सबसे पहले इफोसिस के चीफ मेंटर एनआर नारायणमूर्ति की तस्वीरों को देखकर उठा। आप भी देखिए उनके नीचे के दांत कैसे फैले-फैले और रिपल्सिव हैं, जैसे लगता है सड़क के किसी बूढ़े भिखारी के दांत हों। नारायणमूर्ति अरबपति हैं। दांत ठीक करवाने पर दस लाख भी लग जाएं तो उनकी जेब पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। फिर भी उनका ध्यान अपने दांतों पर नहीं जा रहा है। क्यों?
अपने दांतों और लुक से लापरवाह रहनेवाले दूसरे जानेमाने उद्योगपति हैं देश में लो-कॉस्ट एयरलाइन की शुरुआत करनेवाले कैप्टन जीआर गोपीनाथ। इनकी भी फोटो देखकर मुझे अजीब-सा लगा। इनके नीचे के सामनेवाले दो दांतों के बीच अच्छा-खासा फासला है जो इनके मुंह खोलने पर साफ नज़र आता है। लेकिन कैप्टन गोपीनाथ डेंटिस्ट के पास जाकर समय और पैसा खर्च करने को तैयार नहीं है। जबकि उनके पास पैसों की कोई कमी नहीं है। अभी एकाध महीने पहले ही उन्हें डेक्कन एयरवेज की बड़ी शेयरधारिता किंगफिशर ग्रुप के मालिक विजय माल्या को बेची है।
इन दोनों के बारे में चलो मान लेते हैं कि आम भारतीय मध्यवर्गीय पृष्ठभूमि से ऊपर उठे हैं। इसलिए कंजूसी की आदत अब भी बरकरार है। लेकिन दुनिया का सबसे अमीर शख्स जब अपने दांतों के प्रति लापरवाह रहता है तो बात मेरे एकदम गले नहीं उतरती। मैं बात कर रहा हूं बिल गेट्स को भी पीछे छोड़ देनेवाले दुनिया के सबसे बड़े अमीर व्यक्ति कार्लोस स्लिम हेलु की। मेक्सिको के टेलिकॉम सेक्टर में सक्रिय उद्योगपति स्लिम को फॉर्च्यून मैगजीन ने इसी 8 अगस्त को दुनिया का सबसे अमीर इंसान माना है। उनके पास खरबों की संपत्ति है। लेकिन ज़रा आप भी उनकी तस्वीर पर मेरी तरह गौर कीजिए। दाहिनीं तरफ ऊपर के माले का पिछला हिस्सा शायद एकदम खाली है और आगे के नमूनों की हालत भी दुरुस्त नहीं है।
मेरा तो इन तीनों से एक ही सवाल है। इतने पैसे होते हुए भी आप लोग अपने बदसूरत दांत ठीक क्यों नहीं करवा रहे?
Comments
दाँतो का कम है चबाना
और अगर बिना तकलीफ दिये चबाने काटने का काम दाँत कर रहे हैं तो फिर डॉक्टर को दूर से सलान कहना ही ठीक है।
सफेद मोतियों जैसे चमकते दाँत लिये सड़क पर खीसे निपोरे खड़े रहने से बेहतर ये थोड़े आडे तिरछे दाँत लिये बेहतर व्यापार का मनन कर होंगे, तभी सफल रहे.
ब तो मुझे भी आशा की किरण नज़र आ रही है, मेरे दाँत भी गुटका खा खाकर अपनी जवानी की अंतिम दहलीज पर ही समझो.
शायद यहाँ चौथी तस्वीर हमारी टांग कर भविष्य में आप उस पर अचरज जतायें-अब व्यापार में ध्यान लगाता हूँ पूरी आशा के साथ. समय पर आपको पूरा खुले मुँह तस्वीर भेज दे जायेगी.बस, व्यापार जम जाये यह दुआ करें.