किसान और कृषक कैसे एक हो गए!!...
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अपने बजट भाषण के अंत में कहा है कि यह बजट आम आदमी का है। यह किसानों, कृषकों, उद्यमियों और निवेशकों का है। इसमें बाकी सब तो ठीक है, लेकिन किसान और कृषक का फर्क समझ में नहीं आया। असल में वित्त मंत्री ने अपने मूल अंग्रेजी भाषण में फार्मर और एग्रीकल्चरिस्ट शब्द का इस्तेमाल किया है। लेकिन वित्त मंत्रालय के अनुवादक बाबुओं ने शब्दकोष देखा होगा तो दोनों ही शब्दों का हिंदी अनुवाद किसान, कृषक और खेतिहर लिखा गया है तो उन्होंने बजट भाषण के हिंदी तर्जुमा में इसमें से एक के लिए किसान और दूसरे के लिए कृषक चुन लिया। वैसे तो फार्मर और एग्रीकल्चरिस्ट का अंतर भी साफ नहीं है क्योंकि अपने यहा फार्मर बड़े जोतवाले आधुनिक खेती करनेवाले किसानों को कहा जाता है और एग्रीकल्चरिस्ट भी वैज्ञानिक तरीके से खेती करनेवाले हुए। हो सकता है कि प्रणब मुखर्जी अपने मंतव्य में स्पष्ट हों क्योंकि जब वे उद्यमियों और निवेशकों के साथ इनका नाम ले रहे हैं तो जाहिर है उनका मतलब बड़े व आधुनिक किसानों से होगा। नहीं तो वे स्मॉल व मार्जिनल फार्मर/पीजैंट कह सकते थे। लेकिन बाबुओं ने तो बेड़ा गरक क...