लेफ्ट यूनियन सीटू की डाकिया बनी रिलायंस इंडस्ट्रीज
देश की सबसे बड़ी वामपंथी ट्रेड यूनियन और देश के सबसे बड़े पूंजीपति में जाहिरा तौर पर रिश्ता तो टकराव का ही होना चाहिए। लेकिन इन दिनों मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज सीपीएम से जुड़ी ट्रेड यूनियन सीटू की डाकिया बनी हुई है। वह सीटू की तरफ से प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को लिखी गई एक ऐसी चिट्ठी मीडिया में बंटवा रही है जिसमें छोटे भाई अनिल अंबानी की कंपनियों को निशाना बनाया गया है और मांग की गई है कि अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कैपिटल को दिया गया कर्मचारी भविष्यनिधि कोष के शेयर बाजार में निवेश का काम उससे छीन लिया जाए।
सीटू के पत्र को मीडिया तक पहुंचाने का काम रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रचार विभाग द्वारा बड़े गोपनीय अंदाज में किया जा रहा है। उनके लोग यह पत्र फैक्स या ई-मेल के जरिए नहीं भेज रहे हैं, बल्कि बंद लिफाफा सीधे मीडियाकर्मियों तक पहुंचा रहे हैं। पूछने पर कहते हैं कि यह पत्र इतना संवेदनशील है कि हम फैक्स या ई-मेल से नहीं भेज सकते। लेकिन लिफाफे में बंद पत्र को पढऩे पर पता चलता है कि वह एक सामान्य पत्र है और उसमें ऐसी कोई सनसनी नहीं है।
सीटू के लेटरहेड पर उसके अध्यक्ष एम के पंधे द्वारा लिखा गया यह पत्र 2 मार्च 2009 का है। पत्र में प्रेस में छपी खबरों के आधार पर कहा गया है कि सत्यम और मेटास जैसा ही घोटाला अनिल अंबानी की कंपनियों - रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर, रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस नेचुरल रिसोर्सेज में चल रहा है। इन कंपनियों ने विदेशी कॉरपोरेट उधार (ईसीबी) से जुटाई गई भारी-भरकम राशि का निवेश भारतीय म्यूचुअल फंडों और शेयर बाजार में किया है। ये कंपनियां अब घरेलू वित्तीय संस्थाओं और सरकारी बैंकों से कर्ज जुटाने में लगी हुई हैं। सीटू का आरोप है कि बैंकों व वित्तीय संस्थाओं से जुटाई गई रकम अनिल अंबानी की कंपनियां वाजिब मकसद के बजाय शेयर बाजार मे लगाएंगी और यह सारा ऋण एक दिन बैंकों के लिए एनपीए (गैर-निष्पादित आस्तियां) बन जाएगा।
रिलांयस इंडस्ट्रीज की तरफ से बंटवाए जा रहे इस पत्र के बाबत जब अनिल अंबानी समूह के लोगों से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमारे पास भी मुकेश अंबानी के खिलाफ 18,000 करोड़ रुपए के घोटाले की खबर है और हम भी इसे प्रचारित करवा सकते हैं। सीटू का यह पत्र काफी महत्वपूर्ण बन गया है क्योंकि इसी तरह का एक पत्र रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के अध्यक्ष व सांसद रामदास अठावले ने 18 अगस्त 2003 को सेबी के तत्कालीन चेयरमैन जी एन बाजपेयी को लिखा था, जिसमें सत्यम के प्रवर्तकों के बेनामी खातों और घोटालों की शिकायत की गई थी। सीबीआई इस समय सेबी से अठावले का यह पत्र हासिल करने में जुटी हुई है।
सीटू के पत्र को मीडिया तक पहुंचाने का काम रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रचार विभाग द्वारा बड़े गोपनीय अंदाज में किया जा रहा है। उनके लोग यह पत्र फैक्स या ई-मेल के जरिए नहीं भेज रहे हैं, बल्कि बंद लिफाफा सीधे मीडियाकर्मियों तक पहुंचा रहे हैं। पूछने पर कहते हैं कि यह पत्र इतना संवेदनशील है कि हम फैक्स या ई-मेल से नहीं भेज सकते। लेकिन लिफाफे में बंद पत्र को पढऩे पर पता चलता है कि वह एक सामान्य पत्र है और उसमें ऐसी कोई सनसनी नहीं है।
सीटू के लेटरहेड पर उसके अध्यक्ष एम के पंधे द्वारा लिखा गया यह पत्र 2 मार्च 2009 का है। पत्र में प्रेस में छपी खबरों के आधार पर कहा गया है कि सत्यम और मेटास जैसा ही घोटाला अनिल अंबानी की कंपनियों - रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर, रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस नेचुरल रिसोर्सेज में चल रहा है। इन कंपनियों ने विदेशी कॉरपोरेट उधार (ईसीबी) से जुटाई गई भारी-भरकम राशि का निवेश भारतीय म्यूचुअल फंडों और शेयर बाजार में किया है। ये कंपनियां अब घरेलू वित्तीय संस्थाओं और सरकारी बैंकों से कर्ज जुटाने में लगी हुई हैं। सीटू का आरोप है कि बैंकों व वित्तीय संस्थाओं से जुटाई गई रकम अनिल अंबानी की कंपनियां वाजिब मकसद के बजाय शेयर बाजार मे लगाएंगी और यह सारा ऋण एक दिन बैंकों के लिए एनपीए (गैर-निष्पादित आस्तियां) बन जाएगा।
रिलांयस इंडस्ट्रीज की तरफ से बंटवाए जा रहे इस पत्र के बाबत जब अनिल अंबानी समूह के लोगों से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमारे पास भी मुकेश अंबानी के खिलाफ 18,000 करोड़ रुपए के घोटाले की खबर है और हम भी इसे प्रचारित करवा सकते हैं। सीटू का यह पत्र काफी महत्वपूर्ण बन गया है क्योंकि इसी तरह का एक पत्र रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के अध्यक्ष व सांसद रामदास अठावले ने 18 अगस्त 2003 को सेबी के तत्कालीन चेयरमैन जी एन बाजपेयी को लिखा था, जिसमें सत्यम के प्रवर्तकों के बेनामी खातों और घोटालों की शिकायत की गई थी। सीबीआई इस समय सेबी से अठावले का यह पत्र हासिल करने में जुटी हुई है।
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