मेरे एक मित्र है, सहयोगी हैं। नया-नया ब्लॉग वंदे मातरम बनाया है। कुछ दिनों पहले उन्होंने एक पोष्ट लिखी जिसका शीर्षक है – क्यों न हिंदी के लिए बने सत्याग्रह का प्रारूप। अचंभा तब हुआ जब गूगल ने इसका अनुवाद किया – Why not English made for the format of Satyagraha?
जाहिर है कि यह यंत्रवत अनुवाद है। लेकिन यह बात समझ से परे है कि हिंदी का यंत्रवत अनुवाद इंग्लिश कैसे हो सकता है। ऐसी बात तो है नहीं कि हिंदी में सर्च से लेकर ब्लॉगिंग को प्रोत्साहित करनेवाले गूगल का अनुवादक सॉफ्टवेयर बनानेवाले को इतना भी नहीं पता हो कि हिंदी एक स्वतंत्र देश के कम से कम 42 करोड़ लोगों की मातृभाषा है? हकीकत जो भी हो। लेकिन अंग्रेजी के जिस साम्राज्य के खिलाफ मेरे सहयोगी अजीत सिंह मुहिम चलाकर हिंदी के लिए सत्याग्रह का प्रारूप बनाना चाहते हैं, गूगल उन्हीं के लेख को अंग्रेजी का पक्षधर बना दे रहा है? इसके पीछे गूगल का कोई गुप्त एजेंडा तो नहीं है?
बात जो भी हो। इस पोस्ट के जरिए मैं हिंदी, हिदुस्तान के अनुरागी अजीत का ब्लॉगिंग की दुनिया में स्वागत करता हूं। यकीन है कि आप भी उनका उत्साहवर्धन करेंगे।
मतदाता जागरूकता गीत
1 month ago
10 comments:
"क्यों न हिंदी के लिए बने सत्याग्रह का प्रारूप?"
यह स्वयं ही 'यन्त्रवत' हिन्दी का उदाहरण है। गूगल भैया 'कन्फ्यूज' हो गये होंगे।
मुझे तो ऐसा लगता है कि मशीन को हिन्दी वालों की इच्छाशक्ति का यथार्थ पता चल गया.
मेरा प्रयत्न तो दूसरा ही अनुवाद लाया -
Why not Hindi made for the format of Satyagraha.
क्या मजाक का कोई और तरीका नहीं मिला?
हो सकता है कि भाई अनिल ने गूगल जी की आवाज सुन ली हो और अनुनाद जी के परीक्षण करने से पहले ही सुधार कर लिया हो।...अब हम तो ऐसे ही मजाक करेंगे जी।
क्या वाकई ?
अनुनाद भाई, मजाक नहीं किया है। बाकायदा लिंक दिया है। उस पर क्लिक करके देख लीजिए कितने सत्यानाशी हैं अपने गूगल बाबा।
लगता है कोई तकनिकी गडबडी है, आपके अपने पोस्ट के अंग्रेजी अनुवाद को देखिये, उसमे तो सही दिख रहा है.
My friend, are collaborative. New - new blog Vande Mataram is made. A few days ago, he wrote the title Posht - Hindi, why not made for the format of Satyagraha. Surprise when a Google translated it - Why not made for the English format of Satyagraha?
हा ..हा ..हा ..हा .. मजा आ गया हमें तो गूगल चाचा की इस हरकत पर .....!!..........आगे-आगे देखिये की चचाजान करते हैं क्या.......!!
अनिल भैया...होली मुबारक हो आपको
आपका ब्लॉग अच्छा लगा । यूँ ही लिखते रहिये । धन्यवाद !
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