
बिल गेट्स का बिल एंड मेरिंडा गेट्स फाउंडेशन इसका उम्दा उदाहरण है। आज यह अगर दुनिया का अपनी तरह का सबसे बड़ा फाउंडेशन बन गया है तो इसके पीछे रही है बिल गेट्स की वैश्विक सोशल इंजीनियरिंग। दुनिया भर के बाज़ारों पर किसी का आधिपत्य यूं ही नहीं बन जाता है। इसके लिए चलाया जाता है व्यापक प्रचार अभियान ताकि लोगों के दिमाग पर कब्जा किया जा सके। Alex Carey ने कहा था कि, “बीसवीं सदी में राजनीतिक महत्व की तीन खास चीजें हुई हैं: लोकतंत्र का विकास, कॉरपोरेट ताकत का विकास और लोकतंत्र के सामने कॉरपोरेट ताकत को बचाने के साधन के रूप में कॉरपोरेट प्रोपैगेंडा का विकास।”
बहुत सारी वजहें हैं जिनके चलते कॉरपोरेट दिग्गज परोपकार/फिलैंथ्रॉपी करते हैं। एक तो उन्हें इसका राजनीतिक फायदा मिलता है। लेकिन दूसरी अहम बात है कि ऐसे कल्याणकारी कामों से अवाम के दिमाग में उनकी बड़ी सकारात्मक छवि बनती है जिससे परोक्ष रूप ने उनकी बाज़ार हिस्सेदारी बढ़ती है। गेट्स फाउंडेशन जैसे उदार प्रतिष्ठान कई तरह की प्रगतिशील गतिविधियां चलाते हुए दिखते हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं होता कि जिस उद्योग साम्राज्य (माइक्रोसॉफ्ट) के ज़रिए उन्होंने दरियादिली का ये माद्दा हासिल किया है, वो अपने धंधे में लोकतंत्र-विरोधी जोड़तोड़ नहीं करते। वो astroturf groups जैसे ग्रासरूट संगठनों के ज़रिए अपनी कॉरपोरेट सत्ता को बचाने के लिए हर तरह के कृत्य-कुकृत्य करते रहते हैं।
मसलन, माइक्रोसॉफ्ट ने 1999 में Americans for Technology Leadership नाम का एक ग्रुप बनाया था। दो साल बाद इस पर आरोप लगा कि इसके ज़रिए माइक्रोसॉफ्ट के एकाधिकार को बचाने का राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया गया था। इस ग्रुप से जुड़े लोगों ने माइक्रोसॉफ्ट के खिलाफ चलनेवाले एंटी-ट्रस्ट मुकदमे में कंपनी की मदद की। 1995 में एक चौंकानेवाली बात सामने आई थी कि माइक्रोसॉफ्ट ने कुछ consultants के जरिए रिपोर्टरों के लेखों के विश्लेषण से लेकर पत्रकारों की निजी ज़िंदगी तक का ब्यौरा तैयार करवाया था। इसका साफ मसकद था ये पता लगाना कि मीडिया को कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है।
कारनेगी कॉरपोरेशन, फोर्ड फाउंडेशन और रॉकफेलर फाउंडेशन का अमेरिका की बदनाम खुफिया एजेंसी सीआईए से गहरा जुड़ाव रहा है। बिल गेट्स की कंपनी माइक्रोसॉफ्ट भी इसमें पीछे नहीं रही है। 1999 में खुलासा हुआ था कि खुफिया तंत्र के साथ माइक्रोसॉफ्ट के सीधे रिश्ते हैं क्योंकि अमेरिकी नेशनल सिक्यूरिटी एजेंसी (एनएसए) द्वारा इस्तेमाल किये जानेवाले special access कोड गुपचुप तरीके से विंडोज़ ऑपरेटिंग सिस्टम के सभी वर्जन्स में डाल दिए गए हैं।
अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन माइक्रोसॉफ्ट का खास क्लाएंट है। यही नहीं, माइक्रोसॉफ्ट के निदेशक बोर्ड में दुनिया के तीसरी सबसे बड़े हथियार निर्माता समूह Northrop Grumman Corporation से जुड़े Charles Noski जैसे लोग शामिल हैं। खुद माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ Steven Ballmer का ताल्लुक विवादास्पद Jewish National Fund (JNF) से रहा है। जेएनएफ कहने को पर्यावरण संबंधी संगठन है, लेकिन असल में इसे फिलिस्तीनियों के दमन का Zionist tool माना जाता है।
तो ये थी बिल गेट्स के सर्वजन हिताय अंदाज़ के कॉरपोरेट आधार की एक झलक। उनके फाउंडेशन का पूरा हाल आप Michael James Barker के ब्लॉग पर दिए गए लिंक्स से हासिल कर सकते हैं। Barker अपने खुलासे के दो भाग लिख चुके हैं। तीसरा भाग अभी आना बाकी है।
9 comments:
कारपोरेट जगत की हर हस्ती की यही कहानी है। व्यक्तित्व का विघटन सब पढ़ते हैं और उस से बचने के सारे उपाय अपनाते हैं। लेकिन समाज जब बदलता है तो व्यक्तित्व का विघटन अवश्यंभावी है।
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गहन मनन को उद्देपित करती एक पोस्ट..
अभी टिप्पणी की रस्म अदा करना समीचीन न होगा...ग्रेट !
आप ढूँढ-ढूँढ कर ऐसे ही नंगा करते जाइये, अंधेरा छँटता जाएगा और हमें भी कुछ साफ देखने को मिलता जाएगा। बधाई और धन्यवाद भी...
kuch bura kar rahe hain to kuch achcha bhi kar rahe hain. aur waise bhi kaha jata hai ki jo hai nam wal wahi to badnam hai,
आदमी के भीतर की सारी मक्कारी की अभिव्यक्ति है कॉर्पोरेशन..
क्या करें हमारे संस्कार ही ऐसे हैं। कामयाब इंसान के सहस्र खून आसानी से माफ कर देते हैं।
बहुत सही कहा अनिल भाई।
शुक्रिया
इस गणित का थोड़ा बहुत आईडिया तो था पर जिस विस्तार से आपने बताया है....आँखे ओर खुल गयी है....
अच्छा लिखा जी। बाकी गेट्स के कामयाबी के सूत्र तो हम ढ़ूंढ़ने का प्रयास जरूर करेंगे। मक्कार कौन नहीं है?
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आज ध्यान से पढ़ा, वाकई महत्वपूर्ण तथ्य रखे हैं, आपने ।
साधुवाद !
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