एक भ्रम जिसे पीएम ने चूर-चूर कर दिया
लोग यह नहीं समझते कि प्रति व्यक्ति आधार पर हम (भारत) प्राकृतिक संसाधनों के मामले में अच्छी स्थिति में नहीं हैं। और अगर हमें इस कमी को दूर करना है तो हमें दुनिया का एक प्रमुख व्यापारिक देश बनना होगा, जिसके लिए हमें विश्व का एक प्रमुख मैन्यूफैक्चरिंग देश भी बनना होगा। देश में प्राकृतिक संसाधनों का यह आकलन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का है। उन्होंने कल वाणिज्य मंत्री कमलनाथ की किताब - India’s century: The Age of Entrepreneurship in the world’s biggest democracy के विमोचन के मौके पर यह आकलन पेश किया। आज सुबह इस खबर को पढ़ने के बाद ही मैं बड़ा कन्फ्यूज़ हो गया हूं क्योंकि अभी तक मैं तो यही मान रहा था कि प्रकृति हमारे देश पर बड़ी मेहरबान रही है। उपजाऊ ज़मीन से लेकर खनिज़ों और जलवायु की विविधता के बारे में हम पूरी दुनिया में काफी बेहतर स्थिति में हैं। लेकिन जब मनमोहन सिंह जैसे अर्थशास्त्री ने यह बात कही है तो यकीनन इसे सच ही होना चाहिए। मैं अभी तक की अपनी जानकारी पर पछता रहा हूं। आपकी क्या हालत है? मनमोहन सिंह की काट के लिए आपके पास तथ्य हों तो ज़रूर पेश करें। मैं भी खोज में लगा हूं।