आत्मा जैसे होते हैं विचार
जिस तरह आत्मा अजर-अमर होती है, उसी तरह विचार भी कभी नहीं मरते। क्यूबा के राष्ट्रपति फिडेल कास्त्रो का आत्मा के बारे में तो नहीं, लेकिन विचारों के बारे में यही मानना है। दस दिन पहले 23 जून 2007 को नौजवानों से अपने संदेश में उन्होंने ऐसा ही कुछ कहा था। उनके संदेश के कुछ अंश...
विचारों के बिना जीवन का क्या मूल्य है? मारती (क्यूबा के स्वाधीनता आंदोलन के नेता और कवि) ने एक बार कहा था, मुट्ठी भर विचार पत्थरों की खदान से ज्यादा कीमती होते हैं। क्या विचार किसी इंसान के साथ जन्मते और मर जाते हैं? मानव जाति के पूरे इतिहास के दौरान विचार पैदा होते रहे हैं और जब तक मानव जाति रहेगी, तब तक वो कायम रहेंगे। लेकिन मानव जाति इस समय समाज के अल्प राजनीतिक विकास और प्रौद्योगिकी के आत्मघाती इस्तेमाल के चलते अभूतपूर्व संकट से गुज़र रही है। जिधर देखो, उधर जनसंहारक युद्ध, जलवायु परिवर्तन, भूख, प्यास और असमानता ही नज़र आती है।
हम मानव जाति के सुंदर भविष्य के प्रति आशावान हैं और हमारी उम्मीदों को पूरा करने में विज्ञान हमारा मददगार होगा। हमें यकीन है कि कल की दुनिया में उस भयंकर अन्याय की कोई जगह नहीं होगी, जिसका पोषण आज के विकसित देश दुनिया भर में अधिनायकवाद के तहत कर रहे हैं।
शेक्सपियर ने अपने एक नाटक में लिखा था, “To be or not to be”... आज की युवा पीढ़ी को यही चुनाव करना है। इसे नज़रअंदाज करके आप अपनी मनोरम शांत दुनिया में मस्त रह सकते है, लेकिन ज्यादा से ज्यादा चंद दशकों तक...और आप जानते ही हैं कि चंद दशकों का वक्त इतिहास के चंद सेकेंडों से भी कम होता है।
हम मानव जाति के सुंदर भविष्य के प्रति आशावान हैं और हमारी उम्मीदों को पूरा करने में विज्ञान हमारा मददगार होगा। हमें यकीन है कि कल की दुनिया में उस भयंकर अन्याय की कोई जगह नहीं होगी, जिसका पोषण आज के विकसित देश दुनिया भर में अधिनायकवाद के तहत कर रहे हैं।
शेक्सपियर ने अपने एक नाटक में लिखा था, “To be or not to be”... आज की युवा पीढ़ी को यही चुनाव करना है। इसे नज़रअंदाज करके आप अपनी मनोरम शांत दुनिया में मस्त रह सकते है, लेकिन ज्यादा से ज्यादा चंद दशकों तक...और आप जानते ही हैं कि चंद दशकों का वक्त इतिहास के चंद सेकेंडों से भी कम होता है।
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