राष्ट्रपति के खजाने में 7 लाख करोड़ के शेयर
आज यूं ही एजेंसी की खबरों पर नज़र डाल रहा था तो बड़ी चौंकानेवाली बात पता लगी। प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के मुताबिक, भारत के राष्ट्रपति इस समय देश के सबसे अमीर शेयरधारक है। उनके नाम में स्टॉक एक्सचेंजों में लिस्टेड कंपनियों के जो शेयर हैं, उनका बाजार मूल्य इस समय तकरीबन 7,00,000 करोड़ रुपए है। अगर पांच सबसे अमीर भारतीयों – लक्ष्मी मित्तल, मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी, कुशलपाल सिंह और अज़ीम प्रेमजी की कुल शेयरधारिता को भी मिला दिया जाए, तब भी वह राष्ट्रपति के शेयरों की कीमत से कम बैठेगी।
ये अलग बात है कि राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठनेवाला शख्स इस राशि का महज कस्टोडियन होता है, मालिक नहीं। भारतीय संविधान के मुताबिक भारत सरकार का सारा कारोबार राष्ट्रपति के नाम पर होता है। इसलिए केंद्र सरकार की सारी शेयरधारिता राष्ट्रपति या उनके नॉमिनी के नाम पर दर्ज है। लगभग 50 लिस्टेड कंपनियों में खुद राष्ट्रपति के नाम पर चढ़े शेयरों की बाज़ार कीमत 6,00,000 करोड़ रुपए है, जबकि दस और कंपनियों के 1,00,000 करोड़ रुपए मूल्य के शेयर केंद्र सरकार में राष्ट्रपति के मनोनीत प्रतिनिधियों के पास हैं।
राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम ने 25 जुलाई 2002 को जब अपना कार्यकाल शुरू किया था, तब राष्ट्रपति के स्वामित्व वाले शेयरों की कीमत 1,18,000 करोड़ रुपए थी। लेकिन उसके बाद शेयर बाजार का संवेदी सूचकांक, सेनसेक्स 3000 अंक से बढ़ते-बढ़ते 15,000 अंक के ऊपर पहुंच चुका है। इसी के अनुरूप राष्ट्रपति की शेयर संपदा भी करीब छह गुना हो गई। अभी देश के सभी शेयरधारकों की कुल संपदा, यानी सभी लिस्टेड कंपनियों का बाज़ार पूंजीकरण (शेयर की कीमत और कुल जारी शेयरों की संख्या का गुणनफल) 45,00,000 करोड़ रुपए है। इस तरह 7,00,000 करोड़ रुपए की शेयर संपदा के साथ अकेले हमारे राष्ट्रपति के पास सभी शेयरधारकों की संपदा का 15 फीसदी से ज्यादा हिस्सा पड़ा हुआ है।
राष्ट्रपति के पोर्टफोलियो में सबसे कीमती शेयर है ओएनजीसी का। इसके बाद नंबर आता है एनटीपीसी का। इसके अलावा देश के प्रथम नागरिक के खजाने के दूसरे कुछ खास रत्न हैं – इंडियन ऑयल, नेशनल एल्युमीनियम, एमएमटीसी, नैवेली लिग्नाइट, पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन, पंजाब नेशनल बैंक, सेल, हिंद कॉपर, हिंदुस्तान ज़िंक, बीएचईल और कंटेनर कॉरपोरेशन।
ये अलग बात है कि राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठनेवाला शख्स इस राशि का महज कस्टोडियन होता है, मालिक नहीं। भारतीय संविधान के मुताबिक भारत सरकार का सारा कारोबार राष्ट्रपति के नाम पर होता है। इसलिए केंद्र सरकार की सारी शेयरधारिता राष्ट्रपति या उनके नॉमिनी के नाम पर दर्ज है। लगभग 50 लिस्टेड कंपनियों में खुद राष्ट्रपति के नाम पर चढ़े शेयरों की बाज़ार कीमत 6,00,000 करोड़ रुपए है, जबकि दस और कंपनियों के 1,00,000 करोड़ रुपए मूल्य के शेयर केंद्र सरकार में राष्ट्रपति के मनोनीत प्रतिनिधियों के पास हैं।
राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम ने 25 जुलाई 2002 को जब अपना कार्यकाल शुरू किया था, तब राष्ट्रपति के स्वामित्व वाले शेयरों की कीमत 1,18,000 करोड़ रुपए थी। लेकिन उसके बाद शेयर बाजार का संवेदी सूचकांक, सेनसेक्स 3000 अंक से बढ़ते-बढ़ते 15,000 अंक के ऊपर पहुंच चुका है। इसी के अनुरूप राष्ट्रपति की शेयर संपदा भी करीब छह गुना हो गई। अभी देश के सभी शेयरधारकों की कुल संपदा, यानी सभी लिस्टेड कंपनियों का बाज़ार पूंजीकरण (शेयर की कीमत और कुल जारी शेयरों की संख्या का गुणनफल) 45,00,000 करोड़ रुपए है। इस तरह 7,00,000 करोड़ रुपए की शेयर संपदा के साथ अकेले हमारे राष्ट्रपति के पास सभी शेयरधारकों की संपदा का 15 फीसदी से ज्यादा हिस्सा पड़ा हुआ है।
राष्ट्रपति के पोर्टफोलियो में सबसे कीमती शेयर है ओएनजीसी का। इसके बाद नंबर आता है एनटीपीसी का। इसके अलावा देश के प्रथम नागरिक के खजाने के दूसरे कुछ खास रत्न हैं – इंडियन ऑयल, नेशनल एल्युमीनियम, एमएमटीसी, नैवेली लिग्नाइट, पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन, पंजाब नेशनल बैंक, सेल, हिंद कॉपर, हिंदुस्तान ज़िंक, बीएचईल और कंटेनर कॉरपोरेशन।
Comments
धन्यवाद इसे यहां बांटने के लिये।
लगे रहें। अच्छा है।
कस्टोडियन ही सही, कुछ देर के लिए इस भाव से तो उबर जाएंगे कि कर्जदार ही नहीं इस देश का नागरिक होने के नाते कुछ माल-मत्ता भी है.
फिक्र मत करिये. अब बहुत जल्द ही ये सारे शेयर व्यक्तिगत संपदा में तब्दील होने वाले हैं. इसीलिए तो मैडम ला रहीं हैं, इस कुर्सी पर मैडम को.
शुक्रिया!!
...WOW...!!! or OOHHHH...!!!
.............?????????