कुरान पर हाथ रखकर झूठी गवाही
हमारे धर्म-ग्रंथ सत्ता में बैठे लोगों के लिए किस तरह मजाक बन गए हैं, इसका सबूत है सरबजीत के मामले के मुख्य गवाह शौकत सलीम की ये स्वीकारोक्ति कि, “सरकारी वकील ने मुझे बताया कि इस आदमी ने विस्फोट किए और वह दोषी है। वकील ने मुझसे कहा कि मुझे भी ऐसा ही कहना है और मैंने कह दिया।” शौकत सलीम लाहौर का रहनेवाला वो शख्स है जिसके पिता और एक अन्य रिश्तेदार उस विस्फोट में मारे गए थे जिसका दोष सरबजीत पर लगाया गया है।
एजेंसी की खबर के मुताबिक सलीम ने एक भारतीय टीवी चैनल से बातचीत में कहा है कि उस पर सरबजीत के खिलाफ गवाही देने के लिए दबाव बनाया गया था और अदालत में सरबजीत के खिलाफ बोलने के अलावा उसके पास कोई चारा नहीं था। शौकत सलीम का कहना है कि उसने अदालत में पेशी से पहले न तो सरबजीत को कभी देखा था और न ही उसे यह भरोसा था कि वह विस्फोटों में शामिल हो सकता है।
शौकत सलीम ने यहां तक कहा कि पाकिस्तान में तमाम ताकतवर लोग तक पुलिस से डरे रहते हैं। सलीम ने बताया कि जब उसको अदालत में लाया गया तो उसने न्यायाधीश को बताया कि सरबजीत ने ही विस्फोट किए थे। सलीम के मुताबिक न्यायाधीश ने उसे सुना और जाने दिया। सलीम का कहना है कि जब वह अदालत मे गवाही दे रहा था तब सरबजीत ने अपनी सच्चाई साबित करने के लिए कहा कि वह कुरान पर हाथ रखकर कह दे कि उसने उसे (सरबजीत को) विस्फोट करते हुए देखा है। और, उसने सरकारी दबाव के चलते कुरान पर हाथ रखकर ऐसा कह दिया।
भारत में भी गवाहों से गीता पर हाथ रखकर ऐसा झूठ बुलवाया जाता होगा, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता। खैर, अब उम्मीद बन रही है कि पाकिस्तान की जेल में बंद सरबजीत की फांसी की सज़ा माफ कर दी जाए। फिलहाल उसकी फांसी की सज़ा 21 दिन के लिए टाल दी गई है। पहले उसे इसी गुरुवार, 1 मई को फांसी दी जानी थी।
फोटो साभार: अमन शर्मा/एपी
एजेंसी की खबर के मुताबिक सलीम ने एक भारतीय टीवी चैनल से बातचीत में कहा है कि उस पर सरबजीत के खिलाफ गवाही देने के लिए दबाव बनाया गया था और अदालत में सरबजीत के खिलाफ बोलने के अलावा उसके पास कोई चारा नहीं था। शौकत सलीम का कहना है कि उसने अदालत में पेशी से पहले न तो सरबजीत को कभी देखा था और न ही उसे यह भरोसा था कि वह विस्फोटों में शामिल हो सकता है।
शौकत सलीम ने यहां तक कहा कि पाकिस्तान में तमाम ताकतवर लोग तक पुलिस से डरे रहते हैं। सलीम ने बताया कि जब उसको अदालत में लाया गया तो उसने न्यायाधीश को बताया कि सरबजीत ने ही विस्फोट किए थे। सलीम के मुताबिक न्यायाधीश ने उसे सुना और जाने दिया। सलीम का कहना है कि जब वह अदालत मे गवाही दे रहा था तब सरबजीत ने अपनी सच्चाई साबित करने के लिए कहा कि वह कुरान पर हाथ रखकर कह दे कि उसने उसे (सरबजीत को) विस्फोट करते हुए देखा है। और, उसने सरकारी दबाव के चलते कुरान पर हाथ रखकर ऐसा कह दिया।
भारत में भी गवाहों से गीता पर हाथ रखकर ऐसा झूठ बुलवाया जाता होगा, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता। खैर, अब उम्मीद बन रही है कि पाकिस्तान की जेल में बंद सरबजीत की फांसी की सज़ा माफ कर दी जाए। फिलहाल उसकी फांसी की सज़ा 21 दिन के लिए टाल दी गई है। पहले उसे इसी गुरुवार, 1 मई को फांसी दी जानी थी।
फोटो साभार: अमन शर्मा/एपी
Comments
मानवता के कल्याण उनके माध्यम से कौन कर रहा है सिवाय अपनी जेबों के.
Holy books are being used just as a mere formality. It should be abolished from our juducial system.
That way we will be able to maintain respect for our holy books.
Vikas
गुम नहीं हुए अगर आप कहें तो घर से पकड़ कर ले आऊं मुम्बई इतनी छोटी जगह है पर लिखने को बाध्य न कर पाऊंगा वैसे मैं १० मई को इनके घर के आसपास रेंगने वाला हूं......