मोर मारकर खा गया कांग्रेस का कॉरपोरेटर
कांग्रेस पार्टी के युवराज राहुल गांधी इधर जब से भारत की खोज पर निकले हैं, लगातार पार्टी के अंदरूनी लोकतंत्र की बात कर रहे हैं। कहते फिर रहे हैं कि, “भारत एक लोकतांत्रिक देश है, लेकिन व्यावहारिक स्तर पर यहां की किसी भी पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र नहीं है, चाहे वह कांग्रेस हो, बीजेपी हो या कोई दूसरी पार्टी।” यह अलग बात है कि राहुल गांधी के पार्टी लोकतंत्र की पहुंच केवल निचली इकाइयों तक है और कांग्रेस वर्किंग कमेटी में लोकतंत्र का वो जिक्र तक नहीं करते। लेकिन उस पार्टी में निचली इकाइयों तक वे लोकतंत्र कैसे लाएंगे जो ऊपर से लेकर नीचे तक निहित स्वार्थों का जमघंट बन चुकी है, जिसके नेताओं को लोकशाही तो छोड़िए राष्ट्रीय प्रतीकों तक की परवाह नहीं है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में सांगली की पुलिस ने दो दिन पहले ही कांग्रेस के एक कॉरपोरेटर को गिरफ्तार किया है जिस पर आरोप है कि उसने पुणे में कटराज के राजीव गांधी चिड़ियाघर से दो पिजड़ों में बंद पांच मोरों को चुरा लिया था। सांगली के एसपी कृष्ण प्रकाश के मुताबिक, इस कॉरपोरेटर ने मोरों की चोरी खाने के मसकद से की थी। अल्लाबक्श काज़ी नाम का यह कॉरपोरेटर एक हिस्ट्रीशीटर है और उस पर चंदन की तस्करी के भी कई मामले दर्ज हैं। मोरों को चुराकर खा जाने का ये मामला सितंबर 2007 का है। पुलिस उसके बाद आठ आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है, लेकिन उनका सरगना अल्लाबक्श तभी से फरार चल रहा था। बुधवार, 2 अप्रैल को उसे तब पकड़ा गया, जब वह नगर निगम के एक वार्ड के चुनावों में वोट देने के लिए मिराज आया हुआ था।
वैसे तो देश के कई हिस्सों में मोरों का शिकार किया जाता है, कहीं इसके खूबसूरत पंखों के लिए तो कहीं खाने के लिए। आपको पता ही होगा कि मोरों का शिकार करना या उन्हें मारना एक गैर-जमानती अपराध है जिसके लिए जुर्माने के अलावा तीन साल कैद की सज़ा का प्रावधान है। लेकिन स्थानीय सोच और रिवाज़ों से बंधे आम लोग इसकी ज्यादा परवाह नहीं करते। मगर, कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी से जुड़ा कोई नेता अगर ऐसा करता है तो उसका अपराध अक्षम्य माना जाएगा। खासकर, कांग्रेस कॉरपोरेटर अल्लाबक्श काज़ी का अपराध इसलिए भी अक्षम्य और जघन्य है क्योंकि उसने पिजड़े में बंद निरीह राष्ट्रीय पक्षी को चुराकर उसे मारा है।
चौंकानेवाली बात ये है कि कांग्रेस ने अभी तक इस कॉरपोरेटर को पार्टी से बाहर नहीं निकाला है। कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी ने अगर अभी तक इस खबर पर गौर नहीं किया है तो उन्हें शर्म आनी चाहिए। और अगर पता है तो उन्हें पार्टी की निचली इकाइयों में लोकतंत्र लाने की सोच पर ज़रा गहराई से गौर करना चाहिए क्योंकि अवाम को बिना शक्तसंपन्न किए लोकशाही नहीं कायम की जा सकती। वैसे, हमें पता है कि राहुल गांधी को कांग्रेस की हकीकत अच्छी तरह पता है जिसे उनकी अम्मा और वो कभी नहीं बदलना चाहेंगे क्योंकि इसी की बदौलत देश और पार्टी में उनकी बपौती कायम है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में सांगली की पुलिस ने दो दिन पहले ही कांग्रेस के एक कॉरपोरेटर को गिरफ्तार किया है जिस पर आरोप है कि उसने पुणे में कटराज के राजीव गांधी चिड़ियाघर से दो पिजड़ों में बंद पांच मोरों को चुरा लिया था। सांगली के एसपी कृष्ण प्रकाश के मुताबिक, इस कॉरपोरेटर ने मोरों की चोरी खाने के मसकद से की थी। अल्लाबक्श काज़ी नाम का यह कॉरपोरेटर एक हिस्ट्रीशीटर है और उस पर चंदन की तस्करी के भी कई मामले दर्ज हैं। मोरों को चुराकर खा जाने का ये मामला सितंबर 2007 का है। पुलिस उसके बाद आठ आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है, लेकिन उनका सरगना अल्लाबक्श तभी से फरार चल रहा था। बुधवार, 2 अप्रैल को उसे तब पकड़ा गया, जब वह नगर निगम के एक वार्ड के चुनावों में वोट देने के लिए मिराज आया हुआ था।
वैसे तो देश के कई हिस्सों में मोरों का शिकार किया जाता है, कहीं इसके खूबसूरत पंखों के लिए तो कहीं खाने के लिए। आपको पता ही होगा कि मोरों का शिकार करना या उन्हें मारना एक गैर-जमानती अपराध है जिसके लिए जुर्माने के अलावा तीन साल कैद की सज़ा का प्रावधान है। लेकिन स्थानीय सोच और रिवाज़ों से बंधे आम लोग इसकी ज्यादा परवाह नहीं करते। मगर, कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी से जुड़ा कोई नेता अगर ऐसा करता है तो उसका अपराध अक्षम्य माना जाएगा। खासकर, कांग्रेस कॉरपोरेटर अल्लाबक्श काज़ी का अपराध इसलिए भी अक्षम्य और जघन्य है क्योंकि उसने पिजड़े में बंद निरीह राष्ट्रीय पक्षी को चुराकर उसे मारा है।
चौंकानेवाली बात ये है कि कांग्रेस ने अभी तक इस कॉरपोरेटर को पार्टी से बाहर नहीं निकाला है। कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी ने अगर अभी तक इस खबर पर गौर नहीं किया है तो उन्हें शर्म आनी चाहिए। और अगर पता है तो उन्हें पार्टी की निचली इकाइयों में लोकतंत्र लाने की सोच पर ज़रा गहराई से गौर करना चाहिए क्योंकि अवाम को बिना शक्तसंपन्न किए लोकशाही नहीं कायम की जा सकती। वैसे, हमें पता है कि राहुल गांधी को कांग्रेस की हकीकत अच्छी तरह पता है जिसे उनकी अम्मा और वो कभी नहीं बदलना चाहेंगे क्योंकि इसी की बदौलत देश और पार्टी में उनकी बपौती कायम है।
Comments
वैसे यह चरित्र किसी भी दल में पाया जा सकता है।
मुर्गी, बकरी मछली और आदि पशु-पक्षी भी तो निरीह ही होते है ना अनिल जी जिन्हें इन्सान बड़े चाव से खा जाता है!
http://www.editorspeaksout.blogspot.com