चोखेर बालियों के लिए अच्छी खबर है

जिस देश में 36 साल तक तानाशाही रही हो, जहां लोकतंत्र अभी 30 साल का हुआ हो, वहां के मंत्रिमंडल में पुरुषों से ज्यादा महिलाओं का होना चौकानेवाली बात है। लेकिन इससे भी ज्यादा चौंकानेवाली बात ये है कि वहां की रक्षामंत्री एक महिला है। यह उस स्पेन की बात है जहां एक दशक पहले तक सेना के दरवाज़े महिलाओं के लिए एकदम बंद थे। आज सुबह मैंने अखबारों में स्पेन की रक्षामंत्री Carme Chacon की तस्वीरें देखीं जिसमें वे सैनिकों का निरीक्षण कर रही हैं तो मैं वाकई आश्चर्य-मिश्रित कुतूहल से भर गया।इन तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि Carme Chacon गर्भवती हैं। मैंने पूरी खबर पढ़ी तो पता चला कि Carme Chacon की उम्र महज 37 साल है और वो सात महीने के गर्भ से हैं। एक महिला का रक्षामंत्री बनना और फिर गर्भवती मंत्री का सैनिक परेड का निरीक्षण करना दिखाता है कि दुनिया में महिलाओं के अधिकारों की स्थिति बदल रही है। स्पेन में इस समय प्रधानमंत्री जोस लुइ रोड्रिग्ज ज़ापातेरो के 17 सदस्यीय मंत्रिमंडल में से नौ महिलाएं हैं। ज़ापातेरो ने एक अलग समानता मंत्रालय भी बना रखा है जिसकी जिम्मेदारी उन्होंने 31 साल की Bibiana Aido को सौंपी है।ऐसा नहीं है कि स्पेन बहुत खुला हुआ समाज है। वहां की सोच भी बाकी दुनिया की तरह पुरुष-प्रधान है। लेकिन ज़ापातेरो की अगुआई में वहां की स्पैनिश सोशलिस्ट वर्कर्स पार्टी (PSOE) की सरकार महिला-पुरुष बराबरी के नए-नए प्रयोग रही है। स्पेन की सेना में शामिल 1.30 लाख सैनिकों में 15 फीसदी महिलाएं हैं। Carme Chacon ने इसी सोमवार, 14 अप्रैल को औपचारिक रूप से रक्षामंत्री का पद संभाला है। उन्होंने सैनिकों का निरीक्षण करते हुए कहा - Long live Spain, long live the King...

चौंकिए मत। संसदीय लोकतंत्र आने के बाद भी स्पेन में अभी तक राजा का पद कायम है। हालांकि ब्रिटेन की रानी की तरह स्पेन के राजा की स्थिति भी महज सजावटी है।

Comments

yeh vaaqayee hriday ko prafullit kar dene vaalee tasveer hai.
वाकई रोचक खबर है।
Anonymous said…
naari kae liyae bhi
बहुत ही बेहतरीन खबर । कितनी खुशी हुई और कैसा सुकून मिला यह पढकर क्या बतायें !
धन्यवाद !
वेरी गुड!!
शुक्रिया!!
ghughutibasuti said…
धन्यवाद। जब कोई स्त्री बच्चे को जन्म देती है तो वह समाज को आगे बढ़ाती है । यदि इस स्थिति में उसे महत्व दिया जाता है तो आप समाज को महत्व देते हैं ।
घुघूती बासूती
खुद में आत्मविश्वास पैदा करने वाली पोस्ट है यह...बहुत-बहुत शुक्रिया अनिल जी...
दिल खुश हो गया ..बहुत ही रोचक खबर :)
वाह अनिल जी, क्या खबर खोज कर लाए हैं। मौका मिले तो हर जगह अपनी योग्यता साबित कर सकती हैं महिलाएं। उम्मीद है हिंदुस्तान में भी औरतों के लिए भी वो सुबह कभी तो आएगी।
तबीयत खुश कर दी आप के इस फीचर ने, साथ में सबूत भी चित्रों के रुप में। हमें हमारे पिताजी खाना पकाना सिखा गए थे। थोड़ी बहुत मेहनत से शानदार खाना पका सकते हैं, घर की सफाई और कपड़े दुरूस्त करने का काम भी कर सकते है। रही बात कपड़ों की धुलाई तो वह अब वाशिंग मशीन ने आसान कर दी है। बच्चे पैदा करने की उम्र रही नहीं, नहीं तो उस का भी कोई न कोई उपाय सोचते ही सही। हम कमाते कमाते थक भी गए हैं। अब बाकी जिन्दगी कामों को आपस में बदल लें तो मजा आ जाए। थोड़ा हमारी श्रीमती जी भी आनन्द ले लें।
vikas pandey said…
ज़मा बदल रहा है. मानसिकता भले ही पुरषवादी हो पर महिलाओं की भागीदारी को आज नकारना मुश्किल है. हिन्दुस्तान मे भी परिवर्तन हो रहा है पर सिर्फ़ बड़े शहरों में. अभी वक़्त बदलने में और समय लगेगा.
mamta said…
ये तो वाकई मे अच्छी और रोचक ख़बर है ।
Udan Tashtari said…
रोचक खबर.
स्त्री के लिये स्पेन में जो हो पाया हमारे यहां तो अभी भी कठिन है इस लिये जब स्त्री का ये हाल है तो लैंगिक विकलांगो के लिये तो अभी संघर्ष जन्मों तक लम्बा है लेकिन उम्मीद है कि कभी तो दिन बदलेंगे......
जानदार खबर !
शानदार प्रस्तुति !!
मानदार संदेश !!!

प्रामाणिक,पारदर्शी और वस्तुनिष्ठ
जानकारी से समझ के रास्ते साफ़ होते हैं.

शुभकामनाएँ
डा.चंद्रकुमार जैन
मन खुश हो ऐसी खबर देखकर… बहुत खूब… धन्यवाद...
बढ़िया खबर ढूंढ कर लाएं रघुराजजी

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