Monday 7 January, 2008

ब्लॉगिंग से निजात मिले तो नौकरी चल जाए!!!

बड़ी मुसीबत है। मैं अपनी नौकरी से इतना प्यार करता हूं। फिर भी लोगबाग कहते हैं कि मियां क्यों अपनी energy waste कर रहे हो। बेहद ईमानदारी से बताऊं तो सच यही है कि मैं सालों से मेहनत किए जा रहा हूं। इसलिए किए जा रहा हूं क्योंकि मुझे ऐसा करना अच्छा लगता है। खाली-पीली कमाई के लिए थोड़े ही 10-12 घंटे की नौकरी करता हूं? देखिए न मेरे जैसे लोगों के नौकरी-प्रेम का अंदाज-ए-बयां! (एनीमेटेड तस्वीर पर ज़रूर क्लिक करें)

वैसे, दिक्कत बस इतनी है कि मुझे अपने बॉस की छाया से भी डर लगता है। कहते हैं न कि बॉस के अगाड़ी और घोड़े के पिछाड़ी कभी नहीं पड़ना चाहिए। नियमित दफ्तर तो जाता हूं। छुट्टियां भी बेहद कम लेता हूं। अब देखिए न। पिछले साल की मेरी आठों कैजुअल लैप्स हो गईं। लेकिन किसी भी सूरत में बॉस की नजर से बचता हूं। बॉस का शाम को एक बार आना तय रहता है। लेकिन हरचंद कोशिश रहती है कि वो आएं, इससे पहले ही अपुन कहीं धीरे से खिसक लें। (एनीमेटेड तस्वीर पर ज़रूर क्लिक करें)

चलिए। मज़ाक-मज़ाक में काफी कुछ कह गया। वैसे, जिस तरह से नौकरीपेशा लोग ब्लॉगिंग में उतर रहे हैं और अपने ब्लॉग पर जहां से मिले, वहां से शादी से लेकर कंप्यूटर तक के विज्ञापन लगा देते हैं, उससे मुझे लगता है कि इनमें से ज्यादातर लोग या तो अपनी नौकरी से ऊबे हुए हैं, या नौकरी से मिलने वाले पैसे उनके लिए कम पड़ रहे हैं। खैर, जो भी हो। दोनों ही स्थितियों से मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है। मैं भी उसी दिन की प्रतीक्षा कर रहा हूं जब हिंदी में ऑनलाइन लिखना आय का नियमित और अच्छा साधन बन जाएगा।
सोमवार को नौकरी के पहले दिन के लिए आज इतना ही।

14 comments:

Bhupen said...

तस्वीरें पसंद आईं.

पारुल "पुखराज" said...

duusri tasveer dekhkar SEEMA pic kaa vo gana yaad aa gaya ANIL JI ...कहाँ जा रहा है ,तू ऐ जाने वाले……

परमजीत सिहँ बाली said...

बढिया तस्वीरे हैं।आप के लेख में कही बात सही है ऑनलाइन आय का साधन हो सके तो अच्छा ही है।इस से ब्लोग लिखने का उत्साह बढेगा।

सुनीता शानू said...

हा हा हा अनिल जी सुबह-सुबह आपने तो हँसा दिया क्या तस्वीरें है...

mamta said...

एनीमेशन अच्छा है। :)

मीनाक्षी said...

:) किसी कारण माथे पर सिलवट थी लेकिन आपके यहाँ आते ही मुस्करा दिए.
हम तो नौकरी छोड़कर बैठे थे, आराम से कुछ और काम करने के लिए..ब्लॉग में फँस गए.

ghughutibasuti said...

बहुत बढ़िया हैं सारे चित्र । लगता तो नहीं कि आप बॉस से दुखी हैं ।
घुघूती बासूती

Sanjay Tiwari said...

लेकिन आप नौकरी क्या करते हैं यह तो बताया ही नहीं.

नीरज गोस्वामी said...

पढ़ के मजा आया...काश मेरे साथ काम करने वाले मुझे उस नज़र से न देखें जिस से आप अपने बॉस को देखते हैं...कोई सो सवासो लोग मेरे साथ हैं अगर ऐसा ही सब सोचने लगते तो अपना तो बोरिया बिस्तर कब का गोल हो चुका होता.
नीरज

Sandeep Singh said...

ज्यादा
तर नौकरी करने वाले लोगों की यही हालत है।

Unknown said...

अनिल जी - कठिन दिन को मुस्करा दिया इस पोस्ट ने - बॉस की अगाड़ी, दिहाड़ी का अनचाहा भाग है [भाग सके तो भाग कंकाल अपने भाग से भाग :-)] - आज अच्छी साज-सज्जा बदली. आप मोर लाये हैं और मोड़ भी लाये हैं - नया साल मुबारक - मनीष [पुनश्च - (पोस्ट करते वक्त) - संदीप ने अपनी टिप्पणी में "ज़्यादा" और "तर" के बीच गैप जानबूझकर दिया क्या ?]

Sanjeet Tripathi said...

आमीन!!

सागर नाहर said...

संदीपजी असही कहते हैं
ज्यादा-तर नौकरी करनेवालों का... :)
इनीमेटेड चित्र बढ़िया बनाये आपने, क्यों ना एक ट्यूटोरियल पोस्ट हो जाये?

अनिल रघुराज said...

संजय तिवारी जी, नौकरी तो खबरिया चैनल स्टार न्यूज में करता हूं। लेकिन यहां संदर्भ किसी भी नौकरी करनेवाले का है। मेरे बॉस तो दिल्ली में बैठते हैं और मैं मुंबई में, जहां कोई बॉस नहीं है।
और सागर भाई, दो साल पहले सीएनबीसी आवाज़ में था तो वहां किसी ने ये दोनों एनीमेटेड तस्वीरें मेल में भेजी थीं। सो मौका देखकर उन्हें ही मैंने इस्तेमाल कर लिया। अपुन को कहां आएगा इस तरह का एनीमेशन। हां, कभी आपने सीखने की विधि बता दी तो ज़रूर सीख लूंगा।
शुक्रिया...