डॉन का प्रेम-पत्र
ये खत अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम ने आर्थर रोड जेल से इसी साल 21 जनवरी को अपनी एक खास वकील दोस्त को लिखा है। खत से लगता है कि ये वकील साहिबा के किसी खत का जवाब है। रोमन लिपि में हिंदी-उर्दू जुबान में लिखे गए दस पन्नों के इस खत के कुछ अंश पेश कर रहा हूं।
अस सलाम आले कुम......
हाय, मेम साहब। कैसी हैं? वैसे आप ठीक होंगी, उम्मीद करता हूं। आपका बहुत हसीन लेटर मिला। पढ़कर एक उम्दा खुशी मिली। जैसी कि उम्मीद थी, आप अच्छा लिखती हैं, सचमुच मेम साहब। आपको समझ में नहीं आ रहा कि आपके लेटर मुझे कैसे अच्छे लगे और इतने? मेम साहब, एक तो उसमें एक अपनापन झलकता है, प्यारी-प्यारी बातें, प्यारे-प्यारे अंदाज। मुझे तो बेहद अच्छे लगते हैं। इस तनहाई में ऐसी प्यार भरी बातें मेरे लिए अनमोल खजाना हैं, जिसे हर पल याद करता रहता हूं। वो भी आपका लेटर मेरे लिए तो एक जिंदगी है। काश आप समझ सकतीं ऐसे हालात को। खैर, मेम साहब, मैं झूठ नहीं बोलता हूं। आप कसम से अच्छी हैं और आपका लेटर भी बहुत सुंदर है।
...आपको लिखते समय आपको ही सोचा करता हूं। एक उम्दा सी फीलिंग आ जाती है कि काश बाहर होता तो कितनी बातें करता। न जाने क्यों आपसे हर चीज बताने का दिल करता है। जिंदगी में क्या-क्या हुआ, कैसे-कैसे होता गया, सब कुछ बताने का मन करता है। फिर कभी सोचता हूं कि आपको मेरी क्या जरूरत पड़ेगी। आप सोच रही होंगी कि मैं अंदर हूं, इसलिए लिखता हूं।....मैं वाकई आपको पसंद करता हूं और एक अच्छी दोस्त मानता हूं, लेकिन कोई गलत रीजन से नहीं। कसम से मेरा यकीन करें सिर्फ यही कि हम कभी कोई गलतफहमी का शिकार न बनें। यानी आपस में। सच तो ये है कि मैं समझ नहीं पा रहा हूं, कैसे क्या कहूं आपको, बात है चाहत की, रिश्ते की। मेरी खुद भी समझ में नहीं आ रहा है। अब वक्त ही बताएगा कि क्या है, इन दो-तीन चीजों का क्या कहें।
...मेरा दिल अभी हुआ कि आपका निकनेम लिख दूं। फिर सोचा बाद में लिखूंगा। खैर, जिंदगी में कुछ लोग ऐसे मिल जाते हैं जो चलते-फिरते, उठते-बैठते, सोते, खाते-पीते हर वक्त याद आते हैं। ऐसे में से एक आप हैं जो हर वक्त याद आती रहती हैं। आप में क्या बात है, वो मैं भी नहीं जानता, लेकिन आप में कुछ न कुछ तो जरूर है रीयली।
...अच्छा अब इजाजत चाहता हूं। लिखने में जो गलती हो, उसके लिए माफी चाहता हूं। कभी थोड़ा टाइम निकाल लिया करें। मेरे लिए आपकी बहुत वैल्यू है। वैसे भी आपकी बहुत वैल्यू है। सलाम। अपना ख्याल रखें। ओ.के.
अस सलाम आले कुम......
हाय, मेम साहब। कैसी हैं? वैसे आप ठीक होंगी, उम्मीद करता हूं। आपका बहुत हसीन लेटर मिला। पढ़कर एक उम्दा खुशी मिली। जैसी कि उम्मीद थी, आप अच्छा लिखती हैं, सचमुच मेम साहब। आपको समझ में नहीं आ रहा कि आपके लेटर मुझे कैसे अच्छे लगे और इतने? मेम साहब, एक तो उसमें एक अपनापन झलकता है, प्यारी-प्यारी बातें, प्यारे-प्यारे अंदाज। मुझे तो बेहद अच्छे लगते हैं। इस तनहाई में ऐसी प्यार भरी बातें मेरे लिए अनमोल खजाना हैं, जिसे हर पल याद करता रहता हूं। वो भी आपका लेटर मेरे लिए तो एक जिंदगी है। काश आप समझ सकतीं ऐसे हालात को। खैर, मेम साहब, मैं झूठ नहीं बोलता हूं। आप कसम से अच्छी हैं और आपका लेटर भी बहुत सुंदर है।
...आपको लिखते समय आपको ही सोचा करता हूं। एक उम्दा सी फीलिंग आ जाती है कि काश बाहर होता तो कितनी बातें करता। न जाने क्यों आपसे हर चीज बताने का दिल करता है। जिंदगी में क्या-क्या हुआ, कैसे-कैसे होता गया, सब कुछ बताने का मन करता है। फिर कभी सोचता हूं कि आपको मेरी क्या जरूरत पड़ेगी। आप सोच रही होंगी कि मैं अंदर हूं, इसलिए लिखता हूं।....मैं वाकई आपको पसंद करता हूं और एक अच्छी दोस्त मानता हूं, लेकिन कोई गलत रीजन से नहीं। कसम से मेरा यकीन करें सिर्फ यही कि हम कभी कोई गलतफहमी का शिकार न बनें। यानी आपस में। सच तो ये है कि मैं समझ नहीं पा रहा हूं, कैसे क्या कहूं आपको, बात है चाहत की, रिश्ते की। मेरी खुद भी समझ में नहीं आ रहा है। अब वक्त ही बताएगा कि क्या है, इन दो-तीन चीजों का क्या कहें।
...मेरा दिल अभी हुआ कि आपका निकनेम लिख दूं। फिर सोचा बाद में लिखूंगा। खैर, जिंदगी में कुछ लोग ऐसे मिल जाते हैं जो चलते-फिरते, उठते-बैठते, सोते, खाते-पीते हर वक्त याद आते हैं। ऐसे में से एक आप हैं जो हर वक्त याद आती रहती हैं। आप में क्या बात है, वो मैं भी नहीं जानता, लेकिन आप में कुछ न कुछ तो जरूर है रीयली।
...अच्छा अब इजाजत चाहता हूं। लिखने में जो गलती हो, उसके लिए माफी चाहता हूं। कभी थोड़ा टाइम निकाल लिया करें। मेरे लिए आपकी बहुत वैल्यू है। वैसे भी आपकी बहुत वैल्यू है। सलाम। अपना ख्याल रखें। ओ.के.
Comments