लो, लौट आई पहली दुल्हिन
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ये खेल तब शुरू हुआ था कि चाचा की शादी में वह सहबाला बनकर घोड़ी पर बैठा था। वहां से लौटते ही उसने अइया और बुआ से जिद कर डाली कि उसकी भी शादी फौरन की जानी चाहिए। उसने जिद की तो एक साल बड़े भाई कहां चुप रहने वाले थे। दोनों अड़ गए कि शादी अभी और तुरंत होनी चाहिए। फिर एक दिन अइया ने शुभ संदेश दिया कि दोनों के लिए दुल्हिन ढूंढ़ ली गई है। मनहर की शादी आंगन में बराबर धान चुगने और पानी पीने आनेवाली लंगड़ी गौरैया से कर दी गई, जबकि बड़े भाई के लिए दुल्हिन चुनी गई छछूनरिया, वो छंछूदर जो बराबर घर के पंडोह (नाले) से बाहर-भीतर करती रहती थी। मनहर और अजहर में खूब लड़ाई होती कि तुम्हारी तो दुल्हिन लंगडी है कि तुम्हारी दुल्हिन तो छछूनर है।
मनहर के जेहन में यादों का झोंका हिलोरें मारने लगा। लेकिन उसने खुद को संभाला और किसी तरह नॉस्टैल्जिक न होने की कोशिश करने लगा। आखिर अब पुरानी यादों का करना क्या है! अइया को गुजरे 27 साल हो चुके हैं। बुआ पांच साल पहले विधवा हो गईं। वह अब खुद दो बेटियों और
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दिल्ली में काम भी मिला, नाम भी और पैसा तो फिर मिलना ही था। लेकिन मुंबई आने की ललक उसे बराबर खींचती रही क्योंकि यहां उसके कुछ ऐसे सखा थे जिनको वह तहेदिल से अपना मानता था, उनमें अपना ही विस्तार देखता था। आखिरकार करीब पांच महीने पहले वह किसी तरह जुगाड़ करके मुंबई आ पहुंचा। तो, लो अब मुंबई में गौरैया भी वापस आ गई। क्या बात है।
वैसे, बताते हैं कि महानगर में बढ़ते प्रदूषण, घटते पेड़ों और बिना मुंडेरों की ऊंची-ऊंची इमारतों की भरमार हो जाने के कारण गौरैया कहीं दूर गांवों की तरफ निकल गई थी। लेकिन सब चीजें तो वैसी ही हैं, फिर क्यों गौरैया वापस मुंबई लौट आई? क्या उसके मुंबई आने और लंगड़ी गौरैया के बालकनी पर फुदकने में कोई रिश्ता नहीं है?
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दिक्कत ये है कि अपने यहां गौरैया के इस तरह मिटते जाने की कोई खोज-खबर लेनेवाला नहीं है। उनकी गिनती तक किसी के पास नहीं है तो उसे गायब होने की फिक्र कौन करेगा। कुछ सालों पहले यूरोप में भी ऐसा हुआ था जब वहां की करीब 85 फीसदी गौरैया गायब हो गई थीं। उन्होंने बिना वक्त गंवाए फौरन इसे रोकने का इंतजाम किया। लेकिन अपने यहां जहां हर साल 45,000 इंसानी बच्चे गायब हो रहे हैं, वहां गायब हो रही चिड़िया का पता कौन लगाएगा।
खैर, इन बौद्धिक बातों को छोड़िए। फिलहाल मुंबई में बारिश शुरू हो गई है। लंगड़ी गौरैया के आने से मनहर के मन का गीलापन और तर हो गया है, मीठा हो गया है। वैसे भी मनहर को बारिश का मौसम बहुत अच्छा लगता है। ऊपर से पहली दुल्हिन की वापसी। लगता है आगे सब कुछ शुभ-शुभ ही होनेवाला है।
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