आइए उखाड़ते हैं 61 साल पुराने कुछ गड़े मुर्दे
डॉक्टर के पास जाइए तो वह आपसे आपकी बीमारी का पूरा इतिहास पूछता है। इसी तरह अगर भारत की वर्तमान समस्याओं को समझना है तो हमें इसके इतिहास में जाना पड़ेगा, खासकर ब्रिटिश शासन से मुक्ति के लम्हे को समझना पड़ेगा। इसी संदर्भ में कुछ तथ्य पेश हैं। 15 अगस्त 1947 को आज़ादी के औपचारिक मौके पर पहले God Save the King की धुन बजी, उसके बाद जनगण मन अधिनायक जय हे का गान हुआ। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने ब्रिटिश के राजा के स्वास्थ्य की कामना की और वायसरॉय माउंटबेटन ने ब्रिटेन के राजा को ही प्रमुख माननेवाली भारत सरकार के स्वास्थ्य की। यह महज संयोग नहीं था कि जिस वक्त भारतीय ध्वज तिरंगा फहराया गया, उस वक्त अंग्रेज़ों के झंडे यूनियन जैक को झुकाया नहीं गया।
ऐतिहासिक दस्तावेजों के मुताबिक नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना इस बात के लिए राजी हो गए थे कि भारत और पाकिस्तान यूनियन जैक को साल में बारह दिन फहराएंगे, लेकिन इसे प्रचारित नहीं किया जाना चाहिए। माउंटबेटन ने लिखा है कि “दरअसल, वे इस बात से चिंतित हैं कि ब्रिटिश रिश्तों पर ज्यादा ज़ोर दिया गया तो अतिवादी बवाल मचा सकते हैं, हालांकि वो इसके लिए (माउंटबेटन की डिजाइन के मुताबिक भारतीय झंडे के ऊपरी हिस्से में यूनियन जैक को शामिल करने पर) पूरी तरह तैयार हैं।” यह सारा सच इतिहास की कब्र में समा चुका है। ताकि सनद रहे, इसलिए उस लम्हे का एक वीडियो पेश कर रहा हूं।
ऐतिहासिक दस्तावेजों के मुताबिक नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना इस बात के लिए राजी हो गए थे कि भारत और पाकिस्तान यूनियन जैक को साल में बारह दिन फहराएंगे, लेकिन इसे प्रचारित नहीं किया जाना चाहिए। माउंटबेटन ने लिखा है कि “दरअसल, वे इस बात से चिंतित हैं कि ब्रिटिश रिश्तों पर ज्यादा ज़ोर दिया गया तो अतिवादी बवाल मचा सकते हैं, हालांकि वो इसके लिए (माउंटबेटन की डिजाइन के मुताबिक भारतीय झंडे के ऊपरी हिस्से में यूनियन जैक को शामिल करने पर) पूरी तरह तैयार हैं।” यह सारा सच इतिहास की कब्र में समा चुका है। ताकि सनद रहे, इसलिए उस लम्हे का एक वीडियो पेश कर रहा हूं।
Comments
प्रिय अनिल, शनैः शनैः विश्वास ड्रुढ़ होता जा रहा है,कि यह
रघुराज भी मेरे जैसा सोचते हैं, और कहने का ज़ज़्बा रखते हैं ।
इस विषय पर लिखते लिखते हाथ थक जायेंगे,
किंतु मन में कड़वाहट बढ़ती ही जायेगी,