प्यासा... गुरुदत्त की ये फिल्म अब भी बार-बार याद आती है। 1957 में बनी इस फिल्म का गाना, जिन्हें नाज़ है हिंद पर, वो कहां हैं... इस बात का गवाह है कि आज़ादी के दस साल बाद ही अवाम का मोहभंग शुरू हो गया था। इस गाने को देखना-सुनना इतिहास की एक अनुभूति से गुजरना है...
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5 comments:
पूरी की पूरी फिल्म ही अद्वितीय है।
adhbhut.. saath hi vichlit kar jaataa hai
वाह!! अति सुन्दर.
स्वतंत्रता दिवस की आपको बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.
वँदे मातरम !
इस गीत को सुनकर हमारा भी मोह भंग हो गया..लेकिन कहा गया है जब तक साँस है तब तक आस है...आज़ादी दिवस का अगला साल पूरी दुनिया के लिए मंगलमय हो.
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