Thursday 14 August, 2008

जिन्हें नाज़ है हिंद पर, वो कहां हैं...

प्यासा... गुरुदत्त की ये फिल्म अब भी बार-बार याद आती है। 1957 में बनी इस फिल्म का गाना, जिन्हें नाज़ है हिंद पर, वो कहां हैं... इस बात का गवाह है कि आज़ादी के दस साल बाद ही अवाम का मोहभंग शुरू हो गया था। इस गाने को देखना-सुनना इतिहास की एक अनुभूति से गुजरना है...

5 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

पूरी की पूरी फिल्म ही अद्वितीय है।

पारुल "पुखराज" said...

adhbhut.. saath hi vichlit kar jaataa hai

Udan Tashtari said...

वाह!! अति सुन्दर.

स्वतंत्रता दिवस की आपको बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

वँदे मातरम !

मीनाक्षी said...

इस गीत को सुनकर हमारा भी मोह भंग हो गया..लेकिन कहा गया है जब तक साँस है तब तक आस है...आज़ादी दिवस का अगला साल पूरी दुनिया के लिए मंगलमय हो.