Tuesday 26 August, 2008

किससे घात की तैयारी में हैं ये बजरंगी

वे खुलकर नहीं, छिपकर वार करते हैं। सीने पर नहीं, कमर के नीचे प्रहार करते हैं। वे रामभक्त हनुमान के नाम को बदनाम करते हैं। वे बजरंगी हैं। बम बनाने में उस्ताद हैं। बमों में टाइमर लगाने का अभ्यास कर रहे हैं। वे माओवादियों और मुस्लिम आतंकवादियों के बाद हिंदुस्तान के नए उभरते आतंकवादी हैं। वे आम मुसलमानों ही नहीं, आम ईसाइयों और कम्युनिस्टों से भी नफरत करते हैं। हिंदुस्तान को हिंदुस्थान बनाने का सब्जबाग दिखाते हैं। दुनिया का एकमात्र हिंदू राष्ट्र नेपाल लोकतांत्रिक गणराज्य बना तो वे अवाम के खिलाफ राजा को बचाने में जुट गए। वे जनता की नहीं, शासकों की सोच के वाहक हैं।

बीते रविवार को जन्माष्टमी के दिन उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में दो ऐसे बजरंगी हॉस्टल के अपने ही कमरे में रखे बम के सामानों के फटने से मारे गए। पुलिस कहती है कि वे बम बनाने की कोशिश में मारे गए। एक का नाम राजीव मिश्रा था और दूसरे का भूपिंदर सिंह। उनके दूसरे कमरे से बड़ी मात्रा में हैंड ग्रेनेड का सामान, लेड ऑक्साइड, पोटैशियम नाइट्रेट, बम के पिन, टाइमर और बैटरियां बरामद की गईं। साथ रहनेवालों को ज़रा-सा भी अंदेशा नहीं था कि उनके बगल में बम बनाने के माहिर रहते हैं। उनके बमों का निशाना किनको बनना था, इसकी जांच चल रही है। वैसे, भूपिंदर ने जे.के. मंदिर के पास में एक फोटो स्टूडियो खोल रखा था। सोचिए। रविवार को जन्माष्टमी थी और इस दिन जे.के. मंदिर में हिंदू श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा होनी थी। लेकिन कुछ अघट घटता, आतंकवादी हमले का बवंडर उठता, इससे पहले ही दोनों बजरंगी अपने ही कर्मों का शिकार हो गए।

केंद्रीय गृहराज्य मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती को चिट्ठी लिखी है। जांच कराने की मांग की है क्योंकि कानून-व्यवस्था राज्यों का मसला है। शुरुआती जांच से पता चला है कि आतंकवादी साजोसामान जुटानेवाले दोनों ही बजरंगी राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के लड़ाकू संगठन बजरंग दल से जुड़े रहे हैं। बजरंग दल भी इन सच्चाई को स्वीकार करता है। लेकिन वो यह नहीं बताता कि इन्होंने धमाकों के सामान क्यों जुटाए थे। अहमदाबाद धमाकों में गिरफ्तारी के बाद बैंगलोर से लेकर जयपुर धमाकों की साजिश का पर्दाफाश हो गया है। बताते हैं कि इन सभी में सिमी का हाथ है। लेकिन सूरत में लगातार मिले बमों का राज़ अभी नहीं खुल पाया है। कुछ लोग कहते हैं कि सूरत में ये सारे बम खुद एक महा-बजरंगी ने रखवाए थे।

खैर, बीजेपी प्रवक्ता सुषमा स्वराज ने जब यूपीए सरकार पर अहमदाबाद और बैंगलोर धमाकों का आरोप लगाया तो कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा था कि उनके पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद बम बनाते हैं। कानपुर की घटना ने इसकी आंशिक पुष्टि कर दी है। पूरी पुष्टि होनी अभी बाकी है। यह भी पता लगना बाकी है कि जिन्ना को लोकतांत्रिक बतानेवाले आडवाणी और जिन्ना की आत्मा के बीच का क्या रिश्ता है। और यह भी कि... कहीं किसी चोटी पर जाकर सिमी और संघी बिरादर-बिरादर का खेल तो नहीं खेलते।

7 comments:

nadeem said...

Anil aapne ek kadve tpc par post likhi hai jispar adhiktar log baat hi nahi karna chahenge. Main is baare mein kuchh bolunga to log kahenge Bolta hai. Magar ye is baat kii pushti karta hai jismein pichhle dino pakde gaye ek maowadi ne Shiv sena aur BJPki yuva Ikayi ka naam liya tha ki wo unki madad karte hain aur maharashtra ke ek theatre mein phate bomb ke baad jab Kisi Hindu gut ka naam aaya tha to uspar Baale saheb Thakre ek prakaar se iski sarahna kii thi.
baki haan ye Zaroor batana chahunga ki hamari dharm nirpaksh Media ne is mudde ko ab tak nahi Uthaya hai aur na hi use kal aur parso Christian Logon par hue hamle dikhayi de rahe hai.Ho sakta hai in sab mein kuch dino baad ye pata chale ki inke peechhe bhi videshi hath hai ya yun kahu ki ISI ka haath hai.

डा. अमर कुमार said...

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सहमत तो हूँ, अनिल
किंतु कहीं पर असहमत भी हूँ, आपने इस तथ्य को अनदेखा कर दिया कि बेचारे ये आतंकवादी सत्ता
के षड़यंत्र के वाहक मात्र हैं ।
बेचारे बोले तो.. यह खुद ही नहीं जानते कि यह क्या कर रहे हैं या क्या हासिल होने वाला है ।
संतोष बस यही है, कि इन पर लिखने की सोची और इनके प्रतिक्रियावाद की पैरवी नहीं की !
आज मंगलवार है, और मेरा व्रत भी..
सो, प्रेम से बोलिये.. जय श्रीराम !

दिनेशराय द्विवेदी said...

अनिल जी सारे आतंकवाद की उत्पत्ति का स्रोत एक ही है। वह किसी भी रंग का हो। आतंक का उपयोग हमेशा सत्ता ही करती है। जनता का उस की मूल समस्याओं पर ध्यान केन्द्रित नहीं हो यह सत्ता की सब से बड़ी आवश्यकता है। बजरंगी हों या फिर मुजाहिदीन सब का दाता एक ही है।

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

विघटनवादी विषबेल कोई धर्म संप्रदाय देखकर नहीं फैलती। हर समाज में कमोवेश इनकी उपस्थिति पायी जाती है। समाज की जिम्मेदारी है कि इनके कुप्रभाव से मानवता की रक्षा करे।

अनूप शुक्ल said...

अभी तक जांच चल रही है। रोज रिपोर्ट आ रही है।

Unknown said...

अनिल जी,पूरे तथ्य आनें के पहले ही आप निष्कर्ष निकालनें की जल्दबाजी करते दिख रहे हैं। और अगर यह सच ही है तो यह एक खतरनाक संकेत है कि हम मध्यमार्गी हिन्दू, सेक्युलरिस्ट,साम्य्वादी एवं नास्तिकों की दोगली/दोमुही नीतियों के कारण हिन्दू युवाओं में भी कट्टरवादी पनप रहे हैं जो सही को सही और गलत को गलत कहनें से न केवल बचता रहता है वरन्‌ सच को भी पूरी तरह गैंग अप होकर दबानें का काम करता है।जहाँ तक श्रीप्रकाश जी का सवाल है,आसन्न चुनावों और कानपुर की ड़ेमोग्राफी को देखते हुए उन्हॆ सूट करता है।

Arun Aditya said...

खरी बात, खरी भाषा।