एक विचार, एक सवाल
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क्या भारत और यहां के बाशिंदों के समग्र विकास के लिए जरूरी नहीं है कि रक्षा, मुद्रा, विदेश नीति, डाक और रेलवे को छोड़कर बाकी काम राज्यों के हवाले कर दिए जाएं? केंद्र की भूमिका उसी तरह की हो, जैसे यूरोपीय संघ की है? यूरोपीय संघ के अनुभव को पचास साल हो गए हैं, क्या हमें उसके अनुभव पर गौर नहीं करना चाहिए? वैसे, अपने यहां आनंदपुर साहिब प्रस्ताव के रूप में ऐसा विचार पहले भी आ चुका है।
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