कुत्ते के बगैर राहुल को रास नहीं आती अमेठी
मनेका गांधी का पशु-प्रेम जगजाहिर है। लेकिन उनकी जेठानी सोनिया गांधी का परिवार भी जानवरों से बेहद प्रेम करता है। नहीं तो क्या वजह है कि जब राहुल गांधी पिछले दिनों अपने लोकसभा क्षेत्र अमेठी में थे तो वे अपने कुत्ते की जुदाई बरदाश्त नहीं कर सके। खबर है कि पिछले हफ्ते दस जनपथ से रेल मंत्रालय के पास खास अनुरोध भेजा गया कि राहुल गांधी के कुत्ते को गोमती एक्सप्रेस से लखनऊ भेजने का इंतज़ाम किया जाए। मैंने अभी तक भारतीय रेल में कुत्तों को सफर करते हुए नहीं देखा है। पता नहीं रेल से कुत्तों को ले जाने की इजाज़त है भी कि नहीं। लेकिन बताते हैं कि गोमती एक्सप्रेस में जगह न होने के बावजूद रेल मंत्रालय ने राहुल गांधी के कुत्ते को लखनऊ तक पहुंचाने की खास व्यवस्था की। उसके बाद ज़ाहिर है, गांधी परिवार के आगे दुम हिलाते कांग्रेसियों ने विशेष कार से इस वीवीआईपी कुत्ते को राहुल गांधी के पास अमेठी भेजा होगा।
राहुल गांधी के इस प्रिय कुत्ते की कोई तस्वीर नेट पर होती तो ज़रूर मैं इस पोस्ट के साथ लगाता। फिर भी सजावट के लिए कुत्ते की एक सांकेतिक फोटो लगा रहा हूं। लेकिन मेरे दिमाग में सहज सवाल उठता है कि जनता के बीच गए नेता को फुरसत ही नहीं होती कि वह किसी और चीज़ के बारे में सोच सके तो राहुल को कैसे अपने कुत्ते की इतनी जबरदस्त याद आ गई? अब राहुल गांधी को अगर अमेठी में रहते हुए अपने कुत्ते की इतनी याद सताती है कि वो उसे अपने पास बुला लेते हैं तो उनके जनता प्रेम पर सवाल तो उठता ही है। या हो सकता हो कि वो अमेठी की जनता से उतना ही प्रेम करते हों जितना अपने कुत्ते से।
वैसे, अच्छी बात है कि राहुल गांधी दिल्ली में रहते हैं क्योंकि अगर वो मुंबई में रह रहे होते तो उन्हें अपने कुत्ते का लाइसेंस लेना होता। बृहन्मुंबई महानगर निगम (बीएमसी) ने आज ही तमाम लोकल अखबारों में पब्लिक नोटिस निकालकर सूचित किया है कि शहर में तमाम कुत्तापालकों को 100 रुपए देकर अपने कुत्ते का लाइसेंस लेना होगा, अगर उनके कुत्ते की उम्र छह महीने से ज्यादा है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो उनके कुत्ते को मुंबई म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट की धारा 191-बी (3) (बी) के तहत हिरासत में ले लिया जाएगा।
फोटो सौजन्य: tadpoal299
राहुल गांधी के इस प्रिय कुत्ते की कोई तस्वीर नेट पर होती तो ज़रूर मैं इस पोस्ट के साथ लगाता। फिर भी सजावट के लिए कुत्ते की एक सांकेतिक फोटो लगा रहा हूं। लेकिन मेरे दिमाग में सहज सवाल उठता है कि जनता के बीच गए नेता को फुरसत ही नहीं होती कि वह किसी और चीज़ के बारे में सोच सके तो राहुल को कैसे अपने कुत्ते की इतनी जबरदस्त याद आ गई? अब राहुल गांधी को अगर अमेठी में रहते हुए अपने कुत्ते की इतनी याद सताती है कि वो उसे अपने पास बुला लेते हैं तो उनके जनता प्रेम पर सवाल तो उठता ही है। या हो सकता हो कि वो अमेठी की जनता से उतना ही प्रेम करते हों जितना अपने कुत्ते से।
वैसे, अच्छी बात है कि राहुल गांधी दिल्ली में रहते हैं क्योंकि अगर वो मुंबई में रह रहे होते तो उन्हें अपने कुत्ते का लाइसेंस लेना होता। बृहन्मुंबई महानगर निगम (बीएमसी) ने आज ही तमाम लोकल अखबारों में पब्लिक नोटिस निकालकर सूचित किया है कि शहर में तमाम कुत्तापालकों को 100 रुपए देकर अपने कुत्ते का लाइसेंस लेना होगा, अगर उनके कुत्ते की उम्र छह महीने से ज्यादा है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो उनके कुत्ते को मुंबई म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट की धारा 191-बी (3) (बी) के तहत हिरासत में ले लिया जाएगा।
फोटो सौजन्य: tadpoal299
Comments
और बम्बई में कुत्ता-लैसंस रूल चल गया है जानकर अच्छा लगा. राज ठाकरे के लैसंस के सौ रुपए किसी मालिक ने जमा कराए या नहीं, ज़रा खोज के बताइयेगा.
(अपने कॉमन स्कूल की परम्परा भी निभा रहा हूं आपको संबोधित करने में. वैसे आप किस में थे? - मैं ब्रेन्टन, जिम हॉल और नेहरू में था. १९८४ में पास आउट हुआ.)
Its a insignificant comment. Everybody needs some private time and affection. Probably his dog is his best friend.
BTW you may be surprised (I am not) Like any other national/international carrier our proud Indian railways has a provision to carry/transport the pets. We have used this facility in the past.
Take a look on this page:
http://www.nr.indianrail.gov.in/scripts/static/Miscellaneous.aspx
1. A passenger can take pet dog along with him in AC First Class or First Class only, provided he/she reserves either a two berth or a four berth compartment exclusively for his/her use, paying the due charges depending upon the type of train.
2. Passenger traveling in other classes are not permitted to carry the dog along with them. But the dog can be booked and carried in the Luggage/Brake Van paying the charges depending upon the type of train. Specially designed Dog Boxes are available in the Brake Van for this purpose.
3. Passengers may contact the Parcel Office to book their pet dogs. Passengers detected carrying dogs unbooked will be charged as per extant rules.
खैर, इतने लोकप्रिय (:)) जननेता की छींक भी चर्चा का विषय होती है. यह मोहर भी लग ही गई. :)
pj37, जानकारी देने के लिए शुक्रिया। मुझे नहीं पता था कि एसी में सफर करनेवाले अपने साथ कुत्ता ले जा सकते हैं। दूसरे क्लास के लोग ब्रेकवैन या लगेज में कुत्ता ले जा सकते हैं। वैसे दूसरे क्लास के लोगों की औकात ही कहां होती है कि वो अपने साथ कुत्ते को भी लटकाए फिरें।
और
ज्ञानदत्त जी,
गांव में देसी कुत्ते पाल रखे हैं घरवालों ने। मैं तो आवारा कुत्तों को भी अपना बना लेता हूं। कुत्ते ही नहीं गाय-भैंस और उनकी संतानों से मैं बेहद प्यार करता हूं।
मेरा तो बस ये कहना था कि देश मं जनता की राजनीति आज भी त्याग की मांग करती है, जहां घर-परिवार से लेकर तमाम प्रिय जनों को छोड़ना पड़ता है। इसलिए देखने की ज़रूरत है कि राहुल गांधी कौन-सी राजनीति कर रहे हैं, किसकी राजनीति कर रहे हैं। आदिवासियों या दलितों के घर चले जाना उनके लिए बस एक गिमिक्स है, दिखावा है। इस बारे में अगर मायावती राहुल की आलोचना करती हैं तो सही करती हैं।
I think you are making a issue out of nothing. As Udantashtari said, its a personal issue don't politicize it.
Also, on your remark on taking pets by AC/3rd class. The lower class already has lots of problems on its own. More significantly on sanitation/hygine of the compartment and toilets, crowd and open suites for travel [ no matter, one time while traveling with family in AC we found the cockroach infestation as well]. I am not advocating for Indian Railways but if the pets start traveling in the same non-AC compartments you can very well imagine the outcome. So avoid this behas and think positive. Your blog is getting full of negative writeups. Try putting something positive that appears in India given the type infrastructure we have. It motivates the people towards inspiration and encourages them to do wonderful things for themselves and the country by knowing more about what's good about them and not what's bad.