
इन दोनों चेहरों को ज़रा गौर से देखिए। दोनों में
गजब की समानता है। एक हैं बहुराष्ट्रीय कंपनी पेप्सीको की सीईओ इंदिरा नूई और दूसरी हैं उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती। इंदिरा नूई का जन्म 28 अक्टूबर 1955 को चेन्नई में हुआ था, जबकि मायावती का जन्म 15 जनवरी 1956 को दिल्ली में। इंदिरा नूई ने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स में बीएससी करने के बाद आईआईएम कोलकाता से फाइनेंस व मार्केटिंग में एमबीए किया। बाद में उन्होंने येल यूनिवर्सिटी से पब्लिक व प्राइवेट मैनेजमेंट में भी स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल की।
मायावती ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कालिंदी कॉलेज से बीए किया, बीएड की
डिग्री मेरठ यूनिवर्सिटी से जुड़े गाज़ियाबाद
के बीएमएलजी कॉलेज से ली और दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी किया। वो अपनी किताबी पढ़ाई के दम पर आईएएस बनना चाहती थीं। लेकिन कांशीराम ने कहा कि तुम आ

ईएएस बनने के लिए नहीं, आईएएस लोगों पर हुक्म चलाने के लिए पैदा हुई हो। इसके बाद मायावती ने किताबी ज्ञान को दरकिनार कर ज़िंदगी की पढ़ाई शुरू कर दी। उन्होंने राजनीति की डगर चुनी और आज उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री हैं। यही नहीं, वो अब भारत की प्रधानमंत्री बनना चाहती हैं और उनका ये सपना अब पूरा होता दिखाई दे रहा है। दस राजनीतिक दलों से बना तीसरा मोर्चा उन्हें देश के अगले प्रधानमंत्री के रूप में पेश कर रहा है।

दूसरी तरफ इंदिरा नूई ने अपनी किताबी पढ़ाई के दम पर कॉरपोरेट क्षेत्र में जगह बनाने का फैसला किया। वो एबीबी से होती हुई 1994 में पेप्सीको पहुंचीं और अब अमेरिका की इस सबसे बड़ी बीवरेज और स्नैक्स बनानेवाली कंपनी की सीईओ हैं। फोर्ब्स मैगज़ीन ने उन्हें दुनिया की सबसे प्रभावशाली सौ महिलाओं की सूची में चौथे नंबर पर रखा है। जबकि न्यूज़वीक मैगज़ीन ने मायावती को दुनिया की आठ सबसे ताकतवर महिलाओं में शुमार किया है। दोनों में एक समानता और है। साल 2007 में इंदिरा नूई की सालाना तनख्वाह करीब 60 करोड़ रुपए रही है और मायावती की तरफ से भरे गए आयकर रिटर्न के हिसाब से उस साल उनकी भी आमदनी 60 करोड़ रुपए के आसपास थी।
लेकिन समानता यहीं खत्म हो जाती है। इंदिरा नूई एक पढ़े-लिखे संपन्न परिवार से आती हैं। उनके पिता स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद में अधिकारी थे, जबकि बाबा जिला जज थे। दूसरी तरफ मायावती एक गरीब दलित परिवार की बेटी हैं। उनके पिता सरकारी डाक विभाग में क्लर्क रहे हैं। इंदिरा नूई विवाहित हैं और उनकी दो बेटियां हैं। जबकि मायावती ने बहुजन समाज की सेवा के लिए आजीवन अविवाहित रहने का व्रत ले रखा है।
आप जानते ही हैं कि चेहरे मिलाने का
अपना पुराना शगल है। लेकिन इंदिरा नूई और मायावती की तुलना से मैं बस इतनी-सी बात कहना चाहता हूं कि गरीब परिवार के मेधावी बच्चे राजनीति से वो मुकाम हासिल कर सकते हैं, जो अमीर परिवार के बच्चे किताबी पढ़ाई के बल पर हासिल करते हैं।
Comments
पढ़ कर अच्छा लगा.
और क्या कहें?
अच्छा है आपने हमारे विचार नहीं पूछे।
पोस्ट भी...शगल भी.
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डा.चन्द्रकुमार जैन
अशोक मधुप
अच्छी तुलना की है। मुझे एक आईपीएस अधिकारी का बयान याद आ गया। श्रीप्रकाश शुक्ला जब उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस के लिए आतंक बना हुआ था तो, प्रदेश के एक बड़े पुलिस अधिकारी से एक पत्रकार ने पूछा कि आपकी पुलिस उसे क्या पकड़ेगी उससे तो, आपके अच्छे-अच्छे दरोगा-एसपी डलते हैं। उसके जवाब में आईपीएस अधिकारी ने कहा था कि गली-मोहल्ले के बदमाश और प्रदेश के आतंक बने बदमाश को पकड़ने के लिए भी तो पुलिस में अलग स्तर के लोग होंगे।
मतलब सिर्फ इतना ही है कि काबिलियत तो कहीं भी ऊपर का स्थान हासिल करने में उतनी ही लगती है। फिर वो कॉरपोरेट हो, अधिकारी हो, बदमाश हो, दलाल हो या फिर राजनीति।