मेरे नाम से की गई टिप्पणी फ्रॉड है
आज तबीयत थोड़ी नासाज थी तो न सुबह कुछ लिख सका और न ही शाम को कुछ लिखने का मन हो रहा था। लेकिन औरों को पढ़ने का लोभ संवरण नहीं कर सका। पहुंच गया ब्लॉगवाणी पर और वहां सबसे ज्यादा पढ़ी गई पोस्ट पर क्लिक किया तो विमल की अतीत-यात्रा की आखिरी किश्त पढ़कर मन खुश हो गया। लेकिन लेख के अंत में टिप्पणियों पर पहुंचा, तो मैं चौंक गया। पहली ही टिप्पणी मेरी है जिसमें लिखा गया है कि, “अविनाश के मोहल्ले को इस संस्मरण में आपने भी लिंक रहित करके एक सुखद काम किया है। अब साइडबार से भी उसको बेदखल करें।” और, मजे की बात है कि अजित भाई ने गंभीरता से लेते हुए तुरंत इसका जवाब भी दे डाला।
मैंने तुरंत अजित भाई को फोन मिलाया, लेकिन उनका फोन नहीं मिला। मुझे उन्हें यह बताना था कि यह टिप्पणी मेरी नहीं है। टिप्पणी की तिथि 24 मार्च और समय 10:00 PM लिखा है, जबकि उस समय मैं लोकल ट्रेन से घर जा रहा था। यकीन मानिए, मैं अंदर से हिल गया हूं कि इस तरह का फ्रॉड ब्लॉग-जगत में चलने लगा तो किसी की भी छवि मिनटों में बरबाद की जा सकती है।
मैं अपनी तरफ से साफ कर दूं कि मैंने कल ही शपथ ली है कि आगे से अविनाश और मोहल्ला के बारे में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कुछ नहीं लिखूंगा। न उनके ब्लॉग पर कोई टिप्पणी करूंगा। हुआ यह कि मेरी कल की पोस्ट पर दिल्ली में एनडीटीवी के आईपी एड्रेस से किसी राघव आलोक नाम के सज्जन ने बिना सिर-पैर की टिप्पणी की, जिसे मैंने मॉ़डरेशन में देखने के बाद रिजेक्ट कर दिया। मुझे लगता है कि वही सज्जन व्यथित होकर आज मेरे नाम से विवादास्पद टिप्पणी करके मेरी छवि बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
मेरा उनसे अनुरोध है कि कृपया ऐसा न करें। यह फ्रॉड है। देर-सबेर कानून भी इसे फ्रॉड मानेगा और आप फंस सकते हैं। बाकी आप सभी बंधुओं से गुजारिश है कि जब भी टिप्पणी में मेरे नाम पर क्लिक करने से मेरे प्रोफाइल के बजाय मेंरा ब्लॉग खुले तो आप समझ लीजिएगा कि वह टिप्पणी मैंने नहीं, किसी फ्रॉड ने की है। अजीब बात है। पहले इस खुराफात की गुंजाइश वर्डप्रेस के ब्लॉग पर थी, अब ब्लॉगर पर भी भाई लोगों ने इसका रास्ता खोज लिया है। इसे रोकना होगा। कैसे, मुझे नहीं पता। ब्लॉगिंग के तकनीकी गुरु इसका रास्ता खोजे, वरना ऐसे ‘चरित्र-हनन’ से किसी को भी कभी भी अविश्वसनीय बनाया जा सकता है।
मैंने तुरंत अजित भाई को फोन मिलाया, लेकिन उनका फोन नहीं मिला। मुझे उन्हें यह बताना था कि यह टिप्पणी मेरी नहीं है। टिप्पणी की तिथि 24 मार्च और समय 10:00 PM लिखा है, जबकि उस समय मैं लोकल ट्रेन से घर जा रहा था। यकीन मानिए, मैं अंदर से हिल गया हूं कि इस तरह का फ्रॉड ब्लॉग-जगत में चलने लगा तो किसी की भी छवि मिनटों में बरबाद की जा सकती है।
मैं अपनी तरफ से साफ कर दूं कि मैंने कल ही शपथ ली है कि आगे से अविनाश और मोहल्ला के बारे में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कुछ नहीं लिखूंगा। न उनके ब्लॉग पर कोई टिप्पणी करूंगा। हुआ यह कि मेरी कल की पोस्ट पर दिल्ली में एनडीटीवी के आईपी एड्रेस से किसी राघव आलोक नाम के सज्जन ने बिना सिर-पैर की टिप्पणी की, जिसे मैंने मॉ़डरेशन में देखने के बाद रिजेक्ट कर दिया। मुझे लगता है कि वही सज्जन व्यथित होकर आज मेरे नाम से विवादास्पद टिप्पणी करके मेरी छवि बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
मेरा उनसे अनुरोध है कि कृपया ऐसा न करें। यह फ्रॉड है। देर-सबेर कानून भी इसे फ्रॉड मानेगा और आप फंस सकते हैं। बाकी आप सभी बंधुओं से गुजारिश है कि जब भी टिप्पणी में मेरे नाम पर क्लिक करने से मेरे प्रोफाइल के बजाय मेंरा ब्लॉग खुले तो आप समझ लीजिएगा कि वह टिप्पणी मैंने नहीं, किसी फ्रॉड ने की है। अजीब बात है। पहले इस खुराफात की गुंजाइश वर्डप्रेस के ब्लॉग पर थी, अब ब्लॉगर पर भी भाई लोगों ने इसका रास्ता खोज लिया है। इसे रोकना होगा। कैसे, मुझे नहीं पता। ब्लॉगिंग के तकनीकी गुरु इसका रास्ता खोजे, वरना ऐसे ‘चरित्र-हनन’ से किसी को भी कभी भी अविश्वसनीय बनाया जा सकता है।
Comments
एक अंजुरी मिट्टी का तर्पण करें।
रही बात कि वो टिप्पणी कहाँ से आई थी, तो अगर अजित जी ने अपने ब्लॉग पर sitemeter या getip जैसी कोई युक्ति लगा रखी हो तो रेकॉर्ड से पता कर सकते हैं.
क्या किया जाए..
एक और अंजुरी मिट्टी
(१) इस तरह की चिरकुटई के लिए Name/URL ऑप्शन का प्रयोग करना होगा. अगर सभी ब्लागर एकमत होकर कमेंट्स के लिए anonymous का ऑप्शन हटा दें तो फिर ऐसा करना सम्भव नहीं होगा.
(२) सभी ब्लागर्स को अपने प्रोफाइल में अपना चित्र जरूर शामिल करना चाहिए जो कि कमेन्ट के साथ दिखता है. Name/URL फील्ड के साथ दुष्कर्म करने वाले सज्जन ये फोटो तो नहीं दे पायेंगे.
क्योंकि ब्लॉग को खुली किताब बनाना है तो उसमें अनजाने पाठकों का भी स्वागत करना होगा। ब्लॉग को क्लब कैरेक्टर से मुक्त करना चाहिए। क्योंकि जिन्हे आप जानते हैं केवल उनके सामने अपनी इमेज बिल्डिंग करनी हो तो बात अलग है। मुझे नहीं लगता कि आपके साथ ऐसा है।
सफाई के पीछे भी क्यों पड़ा जाय जब कोई पूछे कि आपने लिखा है तो साफतौर पर कहा जा सकता है कि नहीं लिखा है।
लेकिन बेनामी कमेंट्स सामाजिक वर्चस्व की ताकत के खिलाफ विद्रोह है और उसे बने रहना चाहिए। वर्ना सबकुछ अच्छा-अच्छा सुनने की आदत पड़ जाएगी। और दिमाग हो जाएगा चौपट। बस मॉडरेशन का ऑप्शन रखिए गालियां या फिर ठेस पहुंचाने वाले पर्सनल कमेंट्स न जाए।