मर्द झल्लाते हैं, महिलाएं जिलाती हैं

अपने देश की नहीं, सारी दुनिया की यही रीत है। ज्यादातर मर्द शादी के दस साल बीतते-बीतते चाहने लगते हैं कि उन्हें किसी तरह अपनी बीवी से छुटकारा मिल जाए। अपने भारत और पाकिस्तान में ऐसे अनगिनत चुटकुले सुनने को मिल जाएंगे, जिनमें बीवियों के बारे में कहा जाता है कि वो किसी के साथ भाग जाएं या भगवान को प्यारी हो जाएं तो अच्छा है। हरियाणा के मशहूर हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा ने तो ‘घरआली’ पर कित्ती सारी हिट कविताएं बना रखी हैं। लेकिन आज मैंने एक रिपोर्ट पढ़ी, जिसने एक नए पहलू से परिचित कराया और यह भी दिखाया कि हम मर्द लोग हमेशा छतरी बनकर अपने ऊपर तनी घरवाली से कितनी निर्ममता से पेश आते हैं।

आज महिला दिवस के मौके पर मैं इस रिपोर्ट की कुछ बातें आप से बांटना चाहता हूं। इसमें कहा गया है कि पत्नियां न होतीं तो मर्द 90 साल के बजाय साठ साल में ही मर जाते। कारण यह है कि घरवाली आपकी सिरगेट से लेकर शराब पीने की लत पर चिकचिक करती है। उम्र बढ़ने पर आप हाई ब्लड-प्रेशर के शिकार हो गए तो वह आपको बराबर दवा लेने की हिदायत देती है। आप डॉक्टर के पास जाने से कतराते हैं, लेकिन बीवी है कि मौका मिलते ही आपको छोटी-सी छोटी परेशानी के लिए भी डॉक्टर के पास ले जाती है।

वह आपको रोज़ कसरत करने के लिए मजबूर कर देती है। खाने में तेल-मसाला कम देती है। टीवी देखने से लेकर दिन में सोने तक पर पाबंदियां लगा देती है। मुझे और आपको यह सारा अनुशासन बहुत परेशान करता है। लेकिन अगर यह सारी किचकिच न हो और हम अपने ही भरोसे रहें तो सचमुच इतनी सिगरेट और शराब पिएंगे, इतने लस्टम-पस्टम रहेंगे कि मौत से बीस-तीस साल पहले ही मर जाएंगे। आप महिला दिवस पर यह रिपोर्ट आप ज़रूर पढ़ें और घर में अपने ‘अलग स्पेस’ के नाम पर कुढ़ना बंद कर दें, सभी विवाहित पुरुषों को मेरी यही सलाह है। और, गैर शादीशुदा ‘बुजुर्ग’ तो ऐलानिया तौर पर इतने बौड़म हैं कि उनसे कुछ कहना ही बेकार है!!=:))

Comments

वस्तुतः नारी को लेकर पुरुष दुविधा में हैं क्योंकि नारी के बगैर काम चल नहीं सकता और इसे बराबरी का दर्जा देना भी मुश्किल है। पुरुष के पास शारीरिक ताकत है, लेकिन वह पीड़ा नहीं झेल सकता और अब मसल्स का काम तो मशीन करने लगी है,लेकिन पीड़ा झेलने का काम कोई मशीन नहीं कर सकती। आज जरूरत है एक नए समाज की
और इसकी रचना नारी ही करेंगी।
Srijan Shilpi said…
हम मर्द लोग हमेशा छतरी बनकर अपने ऊपर तनी घरवाली से कितनी निर्ममता से पेश आते हैं।

सही है.
सर्वे रिपोर्ट इस बात पर निर्भर करती हैं कि किस तरह के लोगों ने उसमें प्रतिभाग किया। उन ज्यादातर मर्दों के बारे में मैं नहीं जानता जो अपनी बीबी से छुटकारा पाने की सोचते हैं। लेकिन तमाम ऐसे मर्दों के बारे में मैं जानता हं जिनकी पत्नी के चले जाने के बाद उनकी जिन्दगी नरक हो गयी।
BESHAK JEEVAN SANGINI,SABSE BADI HAMDARD HOTI HAI.
REPORT NA BHI PADHEN TO AAPKI IS POST KE ISHARE HI BAHUT HAIN KI SAMAY RAHTE YAH SAMAJH AA JANI CHAHIYE KI PAANVON KE NICHE ZAMIN KI KHATIR SIR KI CHHATRI KA SAMMAN JAROORI HAI.
NAARI...NA..ARI...YANI SHATRU NAHIN HAI, AUR STREE KE SAHYOG MEIN HI PURUSH KA ISTAR NIRBHAR KARTA HAI.
BEHAD SAMAJHDAR POST KE LIYE DHANYAVAD.
हमारी तो पत्नीजी न हों तो हम तो चल ही न पायें। कल्पना ही नहीं कर सकता उनके बिना।
अच्‍छा है अनिल जी। लेकिन शादी के दस साल बाद औरतें क्‍या सोचती हैं, अपनी शादी और पति को लेकर, ये जानना भी काफी इंटरेस्टिंग होगा। शायद बड़ी तल्‍ख बात लगे, लेकिन एक अनुभव शेयर कर रही हूं । बहुत साल पहले एक कहानी पढ़ी थी, शायद मारग्रेट एटवुड की, जिसमें पति की मृत्‍यु की अचानक खबर सुनने के बाद शुरुआती दुख और सदमे से उबरकर एक स्‍त्री अंतिम रूप से थोड़ी राहत और आजादी-सी महसूस करती है। ऐसे ही इलाहाबाद में एक 45 वर्षीय स्‍त्री, जो 35 की उम्र में विधवा हो गई थीं ने एक बार कहा था कि अगर मेरे पति जिंदा होते तो मैं वो कभी नहीं कर पाती, जो आज कर रही हूं। मैं खुद को आजाद महसूस करती हूं। ये सिर्फ कुछ अनुभव हैं। इन्‍हें संदर्भों से काटकर न देखा जाए।
Batangad said…
अनिलजी एकदम सही है। अकेले के लिए स्पेस खोजने वालों को सचमुच कुछ कहना बेकार है। लेकिन, मनीषा वाले संदर्भ पर भी कुछ रोशनी पड़े तो, बेहतर है। वैसे मनीषा हर बात पर इस संदर्भ को जोड़ देना जरूरी नहीं होता। फिर भी अगर ऐसी कोई रिपोर्ट मिले तो पढ़ना चाहूंगा कि शादी के दस साल बाद औरतें क्‍या सोचती हैं, अपनी शादी और पति को लेकर

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