
अमोस ओज़ इस समय 69 साल के हैं। नियमित रूप से लिखे जानेवाले लेखों के अलावा उन्होंने अपनी मातृभाषा हीब्रू में 25 किताबें लिखी हैं, जिनमें से 17 उपन्यास हैं। पिछले साल छपा उनका ताज़ा उपन्यास है - Rhyming Life and Death। उनकी रचनाओं का अनुवाद दुनिया की तकरीबन 30 भाषाओं में हो चुका है। उनकी सबसे चर्चित रचना है साल 2003 में छपी उनकी आत्मकथा A Tale of Love and Darkness। इसमें उन्होंने अपनी तीन पीढियों की त्रासद यात्रा का ब्यौरा दिया है।
जब वे महज 12 साल के थे, तब उनकी मां फानिया ने आत्महत्या कर ली। मां की उम्र उस समय 38 साल थी। वो अपने-आप में डूबी चुप-चुप रहनेवाली महिला थीं। ओज़ बताते हैं कि शब्दों से उनको जबरदस्त लगाव था और वो उन्हें चमत्कारों से लेकर दानवों की कहानिय़ां सुनाया करती थीं। ओज़ को लगता है कि उनकी मां चाहती थीं कि वे बड़े होकर वो सारी बातें सामने लाएं जो वे नहीं कह सकीं। और इस तरह ओज़ ऐसे ‘शब्द शिशु’ बन गए जो ‘बड़ा होकर किताब’ बनना चाहता था।
न्यूज़वीक के इंटरव्यू में ओज़ से पूछा गया कि क्या वे कभी अपनी मां की आवाज़ सुनते हैं तो उनका जवाब था: हां, कभी-कभी। मैं अक्सर मृत लोगों की आवाज़ें सुनता हूं। मेरे लिए मरे हुए लोगों की बड़ी अहमियत है। ... जब मैंने A Tale of Love and Darkness लिखी तो एक तरीके से मैंने मृत लोगों को अपने घर कॉफी के लिए आमंत्रित किया। मैंने उनसे कहा – बैठिए। कॉफी पीते हैं और कुछ बात करते हैं। जब आप ज़िंदा थे तो हमने ज्यादा बातें नहीं की थीं। हमने राजनीति के बारे में बात की, ताज़ा घटनाक्रमों के बारे में बात की, लेकिन उन चीज़ों के बारे में बात नहीं की जो मायने रखती है.. बात करते हैं, क़ॉफी पीते हैं। फिर आप चले जाना। आप यहां मेरे साथ मेरे घर में रहने के लिए नहीं आ रहे। लेकिन कभी-कभार कॉफी का एक कप मेरे साथ पीने के लिए आप आएंगे तो मुझे अच्छा लगेगा।
अमोस ओज़ कहते हैं कि उनकी राय में मृत लोगों के सम्मान का यही सही तरीका है। मुझे उनकी यह अदा बहुत पसंद आई। वैसे तो ओज़ अंध-राष्ट्रवादी हैं। उन्होंने जुलाई 2006 में लेबनॉन पर किए गए इसराइली हमले का समर्थन किया था। लेकिन फिलिस्तीन-इसराइल संघर्ष पर उनकी दो-टूक राय है, "यह न तो धर्म की लड़ाई है, न संस्कृति या परंपरा की। यह रीयल एस्टेट का झगड़ा है। यह ज्यादा आपसी समझ या समझदारी से हल नहीं होगा। इसके लिए दोनों पक्षों को कुछ कष्टप्रद समझौते करने होंगे।"
12 comments:
कितनी सुंदर पोस्ट! ऐसी ही चीजों के लिए आपकी बाट जोहता रहता हूं।
अमोस मस्त लेखक हैं. उदासी और सूनेपन के उखड़े बीहड़ लैंडस्केप्स. मन उन्हीं दुनियाओं में टहलता, धीमे-धीमे गुज़रते दिन की तरह खुद को गुनता. पढ़ने और उस संगीत में रमने के लिए बड़े धीरज की ज़रूरत होती है. जो औरों ने तो खोया है, आप भी अपनी नौकरी में भूल आये हैं. और इसके बाजू में स्मायली नहीं लगाऊंगा.
अमोस की अभी तक कोई पुस्तक नहीं पढ़ी । अगली बार किसी बड़े शहर गई तो इनकी पुस्तकें भी सूची में रहेंगी । लेख अच्छा लगा ।
ऐसे ही यदि हम जिन लेखकों को पसन्द करते हैं या जिन्हें पढ़ रहे हैं उनके बारे में जानकारी देते रहेंगे तो लाभप्रद रहेगा । मैं निर्मल वर्मा की लम्बी कहानियाँ समाप्त कर आज Paulo Coelho की The Zahir पढ़ रही हूँ व कुछ अंश तो इतने अच्छे लगे कि आलसी ना होती तो यहाँ quote कर देती ।
घुघूती बासूती
दिन बना दिया आपने . शुक्रिया !
बहुत-बहुत सुंदर पोस्ट। बहुत अच्छा लगा पढकर। ऐसी चीजों का इंतजार रहता है।
उत्कृष्ट!
अनिलभाई,वाकई नायाब पोस्ट,आपकी वजह से जाना अमोस को,बहुत बहुत शुक्रिया
अच्छा लगा अमोस को जानना.
bara achha laga amos ke baare me kajkar, jaldi hi library me ye book dekhta hoon.
आपका आलेख पढ़नें के बाद लेखक की आवाज़ एक बार पुन:यहाँ सुनी http://www.npr.org/programs/atc/transcripts/2004/dec/041205.amos.html
बहुत बढ़िया । इन्हें तो पढ़ना ही पड़ेगा ।
सुन्दर, शानदार!
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