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ये तस्वीरें महज तस्वीरें नहीं हैं। ये राजधानी दिल्ली में जनवादी बुद्धिजीवियों के कल और आज का प्रतीक हैं। पहली तस्वीर है
आनंद स्वरूप वर्मा की और दूसरी तस्वीर है
अविनाश की। दोनों के सांसारिक दर्शन, बौद्धिक सोच और प्रतिबद्धता में काफी समानता है। दोनों दिमागी तौर पर धुर क्रांतिकारी हैं। रंग इतना गाढ़ा है कि कोई और रंग चढ़ ही नहीं सकता। इसके अलावा दोनों में और भी बहुत सारी समानताएं हैं।
Disclaimer: इस पोस्ट को चेहरे मिलाने के मेरे पुराने शगल से जोड़कर देखा जाए, व्यक्तिगत छिद्रान्वेषण के रूप में नहीं।
Comments
ऊँटों के विवाह में गदहे गीत गाने के लिये बुलाये गये। वे परस्पर प्रशंशा करने लगे। गदहों ने कहा - "अहो क्या रूप है!" ; ऊँटों ने कहा, "क्या ध्वनि है!"