कल ने किया था कल फोन
कल दोपहर की बात है। मानस कुछ उनींदा सा था। तभी मोबाइल की घंटी बजी। नंबर जाना-पहचाना नहीं था। मानस ने सोचा देखा जाए कि कोई परिचित है या रॉन्ग नंबर। उधर से आवाज आई, मैं गोपाल बोल रहा हूं, पहचाना। मानस के मन में गोपाल प्रधान से लेकर गोपाल सरकार के नाम तैर आए। वह आवाज से नहीं पहचान पाया कि दूसरी तरफ से कौन से गोपाल की आवाज है।
- नहीं, आप कौन से गोपाल बोल रहे हैं?
- गोरखपुर से गोपाल बोल रहा हूं। आप साथी किशोर बोल रहे हैं न...
अब मानस के चौंकने की बारी थी। कौन है ये गोपाल जो उसे सालों पीछे छूट गए नाम से बुला रहा है।
- हां, किशोर बोल रहा हूं। लेकिन आप मेरा ये नाम कैसे जानते हैं...
- साथी, याद है आप जहां कभी-कभी शेल्टर लिया करते थे।
अब मानस को पूरा याद आ गया। गोपाल संघर्ष वाहिनी के कार्यकर्ता हुआ करते थे और वह रेलवे मजदूरों या भूमिहीन किसानों के बीच काम से फुरसत पाकर घने पेड़ों के बीच बने उनके घर में दो-चार दिन गुजारने चला जाया करता था। उसे किशोर से मानस बनने की पूरी यात्रा याद हो आई। वह आंकने लगा कि क्या-क्या उसके अंदर बदला है और क्या-क्या बाहर बदल गया।
- साथी, मुझे पता है कि आप अब मानस हो गए हैं। लेकिन मैं तो किशोर से ही बात कर रहा हूं।
बात आगे बढ़ी। पता चला कि हरिद्वार अब फिर बीमार चल रहे हैं। चाची यानी हरिद्वार की मां, जो पूरा प्यार जताते हुए अक्सर उसे घरबार छोड़ने के लिए डांटती रहती थीं, तीन साल पहले गुजर गईं। एक महिला साथी, जिसे किशोर ही पार्टी में लाया था, इस समय कैंसर से पीड़ित हैं। हरिद्वार भाई के बड़े भाई का छोटा सा बेटा अब खुद बाप बन गया है।
गोपाल के फोन ने मानस के लिए गुजरे हुए अतीत को जिंदा कर दिया था। मानस बदल गया है। गोपाल भी अब पत्रकार हो गए हैं। बहुत सारे लोग बदल गए हैं। कल के बच्चे-बच्चियां अब खुद बाप या मां बन गए हैं। लेकिन साथी, हालात बहुत नहीं बदले हैं। नगाइचपार गांव में अब भी हरिजन बस्ती के सामनेवाले तालाब पर ब्राह्मणों का कब्जा है। होलटाइमर बन बिशुन देव कहीं गायब हो गए हैं। अपने बच्चों और बीवी से बेहद प्यार करनेवाले बिशुन देव की दुनिया आठ साल पहले तब उजड़ गई जब एक रात आग में उनका पूरा घर जल गया। इस आग ने उनके पूरे कुनबे को खत्म कर दिया। फिर कुछ समय बाद होलटाइमरी छोड़कर न जाने कहां चले गए। उधर, रेल मजदूर कपिल देव त्रिपाठी को उनके भाई ने ही अपना लीवर देकर नया जीवन दिया। लेकिन कपिल देव नहीं बच पाए तो उसी भाई ने उनकी जमीन और घर पर कब्जा करके भाभी को जवान बेटों समेत घर से निकाल दिया।
मानस को एहसास हो गया कि घटनाएं-दुर्घटनाएं उसके साथ ही नहीं घटी हैं। लेकिन साथ ही ये एहसास भी उसके भीतर फिर सिर उठाने लगा कि दुनिया को बदलने की जरूरत जैसी कल थी, वैसे आज भी है। कल आए कल के फोन ने उसे फिर अपने संसार के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया है।
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