अंधविश्वास अब बन गए हैं ब्रेकिंग न्यूज़
पिछले कई महीनों से हिंदी न्यूज़ चैनलों ने लगता है अंधविश्वास फैलाने की सुपारी ले रखी है। ज़ी ने जब लंका में अशोक वाटिका ‘खोज’ निकाली तो सभी चैनल इस ‘खोज’ के पीछे भाग निकले। उसके बाद तो चैनलों को परशुराम का धनुष मिल गया। उन्होंने शिव को सच साबित कर दिया। एक चैनल ने गांव से दो भूतों की लाइव करवेज की। लोग देखते रहे। आखिर में कुछ ने दोबारा वह चैनल न देखने की कसमें खाईं क्योंकि आधे घंटे के शो के अंत में दिखाया गया कि दोनों भूत बहुरूपिया थे।
मुझे समझ में नहीं आता कि क्या देश का कानून में इस तरह खुलेआम अंधविश्वास फैलाने की छूट देता है? तीसरा खंभा और अदालत शायद इसका बेहतर जवाब दे सकें। फिलहाल एक चैनल ने रावण की वायुसेना और हवाई अड्डों पर ब्रेकिंग न्यूज़ पेश की है। चौंकानेवाली बात ये है कि यह सारा कुछ शोधकर्ताओं के हवाले कहा जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि श्रीलंका सरकार ने इसे स्वीकार कर लिया है। बानगी पेश कर रहा हूं। आप भी गौर फरमाएं और थोड़ा-सा रो लें हमारे चैनलों की हालत पर...
रावण के पास थे 5 हवाई अड्डे!
सीता को सताने यहीं से उड़ा रावण
हरण के बाद यहीं लायी गईं सीता मैया
वारियपोला नाम के दो हवाई अड्डे थे
सिंघली में वारियपोला का अर्थ है हवाई अड्डा
कुरनांगला जिले में था एक अड्डा
दूसरा अड्डा मातली जिले में था
सबसे अहम था वेरेगनटोटा हवाई अड्डा
एक हवाई अड्डे का मालिक अहिरावण था
अहिरावण का हवाई अड्डा था तोतूपोलाकांडा
तोतूपोलाकांडा पर भी रावण का अधिकार था
सीताहरण के बाद तोतूपोलागोंड़ा पहुंचा रावण
यहीं हरण के बाद लाई गईं मां सीता
उस्सनगुड़ा रावण का हवाई अड्डा था
दस किमी का समतल मैदान है उस्सनगुड़ा
हनुमानजी ने जला दिया था उस्सनगुड़ा
उस्सनगुड़ा के पत्थर और मिट्टी जली हालत में
उस्सनगोड़ा से रावण ने भरी थी उड़ान
सीताहरण के लिए यहीं से उड़ा रावण
सीता हरण का साक्षी है उस्सनगोड़ा
लड़ाकू जहाजों के लिए था उस्सनगोड़ा
सैनिक हवाई अड्डा था उस्सनगुड़ा
रावण की फौजी ताकत के निशान
वेरेगनटोटा में था रावण का वायुसेना मुख्यालय
रावण के पास था विमानों का बेड़ा
त्रेता की कहानी कहते मैदान
मौन मैदानों की गवाही
यहां से उड़ता था पुष्पक
कुबेर का विमान था पुष्पक
रावण ने कुबेर से छीना था पुष्पक
पुष्पक था सीताहरण का साक्षी
सियाराम ने भी की थी पुष्पक की सवारी
सोने की तरह चमकता था पुष्पक
श्रीराम ने कुबेर को लौटाया पुष्पक
गोदावरी किनारे उतरा था पुष्पक
पर्णकुटी में रहते थे सियाराम
आंध्र प्रदेश में है पर्णकुटी
मुझे समझ में नहीं आता कि क्या देश का कानून में इस तरह खुलेआम अंधविश्वास फैलाने की छूट देता है? तीसरा खंभा और अदालत शायद इसका बेहतर जवाब दे सकें। फिलहाल एक चैनल ने रावण की वायुसेना और हवाई अड्डों पर ब्रेकिंग न्यूज़ पेश की है। चौंकानेवाली बात ये है कि यह सारा कुछ शोधकर्ताओं के हवाले कहा जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि श्रीलंका सरकार ने इसे स्वीकार कर लिया है। बानगी पेश कर रहा हूं। आप भी गौर फरमाएं और थोड़ा-सा रो लें हमारे चैनलों की हालत पर...
रावण के पास थे 5 हवाई अड्डे!
सीता को सताने यहीं से उड़ा रावण
हरण के बाद यहीं लायी गईं सीता मैया
वारियपोला नाम के दो हवाई अड्डे थे
सिंघली में वारियपोला का अर्थ है हवाई अड्डा
कुरनांगला जिले में था एक अड्डा
दूसरा अड्डा मातली जिले में था
सबसे अहम था वेरेगनटोटा हवाई अड्डा
एक हवाई अड्डे का मालिक अहिरावण था
अहिरावण का हवाई अड्डा था तोतूपोलाकांडा
तोतूपोलाकांडा पर भी रावण का अधिकार था
सीताहरण के बाद तोतूपोलागोंड़ा पहुंचा रावण
यहीं हरण के बाद लाई गईं मां सीता
उस्सनगुड़ा रावण का हवाई अड्डा था
दस किमी का समतल मैदान है उस्सनगुड़ा
हनुमानजी ने जला दिया था उस्सनगुड़ा
उस्सनगुड़ा के पत्थर और मिट्टी जली हालत में
उस्सनगोड़ा से रावण ने भरी थी उड़ान
सीताहरण के लिए यहीं से उड़ा रावण
सीता हरण का साक्षी है उस्सनगोड़ा
लड़ाकू जहाजों के लिए था उस्सनगोड़ा
सैनिक हवाई अड्डा था उस्सनगुड़ा
रावण की फौजी ताकत के निशान
वेरेगनटोटा में था रावण का वायुसेना मुख्यालय
रावण के पास था विमानों का बेड़ा
त्रेता की कहानी कहते मैदान
मौन मैदानों की गवाही
यहां से उड़ता था पुष्पक
कुबेर का विमान था पुष्पक
रावण ने कुबेर से छीना था पुष्पक
पुष्पक था सीताहरण का साक्षी
सियाराम ने भी की थी पुष्पक की सवारी
सोने की तरह चमकता था पुष्पक
श्रीराम ने कुबेर को लौटाया पुष्पक
गोदावरी किनारे उतरा था पुष्पक
पर्णकुटी में रहते थे सियाराम
आंध्र प्रदेश में है पर्णकुटी
Comments
ऐसा लगता है की चैनलों और ब्लोगों मे वाहियात्पन की होड़ लगी है.
आपसे सहमत हूँ सरजी.
ऐसी कम से कम 20 स्थान तो पूरे भारतवर्ष में होंगे ही।
अनिल जी, पुस्तकें ज्ञान का भंड़ार हैं, यह अक्सर कहा जाता है। लेकिन यह भी सही है कि पुस्तकें ज्ञान के साथ अज्ञान भी फैलाती हैं। यही बात हर माध्यम के साथ है। ब्लॉग के साथ भी। इस से बचा नहीं जा सकता। पर इस के विरुद्ध सतत अभियान चलाया जा सकता है।
आज की पोस्ट लिख कर आप ने यही दायित्व निभाया है।
हाँ कानून में तलाशने का प्रयत्न करता हूँ, शायद कोई उपाय हो। लेकिन अवस्था यह है कि जरुरतमंद को तो न्याय मिल नहीं रहा है। अदालतें अर्जियों का गोदाम बनती जा रही हैं।