आओ, आतंकवाद-आतंकवाद खेलें!!
अयोध्या में विवादित राम मंदिर से सटे सरयू कुंज मंदिर के महंत युगल किशोर शरण शास्त्री ने मांग की है कि बीजेपी के पूर्व सांसद राम विलास वेदांती को फौरन गिरफ्तार किया जाए। वेदांती विश्व हिंदू परिषद के जानेमाने नेता हैं और बीजेपी ने अगले लोकसभा चुनावों के लिए उन्हें गोंडा से अपना उम्मीदवार घोषित किया है। हुआ यह कि 30 अगस्त को वेदांती ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि अलकायदा और सिमी के आतंकवादी उन्हें जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। ज़िला प्रशासन ने इस शिकायत को पूरा भाव देते हुए फौरन वेदांती का सुरक्षा घेरा मजबूत कर दिया और उनकी एक्स-श्रेणी की सुरक्षा में और ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात कर दिए।
साथ ही पुलिस ने वेदांती का मोबाइल फोन इलेक्ट्रॉनिक सर्विलिएंस पर डाल दिया ताकि उन्हें धमकी देनेवालों की पहचान की जा सके। पुलिस धमकी देनेवाले नंबरों का पता लगने के बाद सकते में आ गई क्योंकि दोनों फोन गोंडा ज़िले के कटरा कस्बे से किए गए थे और इन्हें करनेवाले दोनों ही लोग संघ परिवार से जुड़े संगठनों से ताल्लुक रखते थे। इनमें से एक थे पवन पांडे जो बजरंग दल के नगर अध्यक्ष हैं, जबकि दूसरे सज्जन हैं रमेश तिवारी जो हिंदू युवा वाहिनी के स्थानीय संयोजक हैं।
पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया। ज़िले के एसपी ज्ञानेश्वर तिवारी के मुताबिक पवन पांडे ने पूछताछ में बताया कि, “मेरे गुरुजी (वेदांती) को उस तरह की जेड-श्रेणी की सुरक्षा नहीं मिल रही थी, जिस तरह की सुरक्षा अशोक सिंघल और प्रवीण तोगड़िया जैसे वीएचपी के नेताओं को मिली हुई है। इसलिए गुरुजी के हामी भरने पर हमने इस तरह के फोन किए।” क्या गज़ब का शातिराना दिमाग पाया है इन गुरुजी, यानी राम विलास वेदांती ने। मजे की बात ये है कि इन लोगों की गिरफ्तारी के बाद वेदांती ने एसपी से गुजारिश की कि वे इन दोनों को जानते हैं और इनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई न की जाए। एसपी महोदय का कहना है कि इसके बाद उन्होंने इन दोनों को बाइज्जत बरी कर दिया।
अयोध्या में सरयू कुंज मंदिर के महंत युगल किशोर शरण शास्त्री का तो यहां तक कहना है कि वेदांती अयोध्या और आसपास के पूरे इलाके में इस तरह अलकायदा और सिमी की धमकियों का सहारा लेकर सांप्रदायिक तनाव फैलाना चाहते थे ताकि अगले लोकसभा चुनावों में बीजेपी को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का फायदा मिल सके। शास्त्री ने इस मामले के उजागर होने के बाद अपने मंदिर के अहाते में अयोध्या के करीब 500 साधुओं और महंतों की बैठक की। शनिवार को हुई इस बैठक के बाद करीब 100 प्रमुख साधुओं ने एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जिसमें वेदांती को फौरन गिरफ्तार करने की मांग की गई है। उन्होंने अपना यह ज्ञापन जिला प्रशासन के अलावा राज्य की मुख्यमंत्री मायावती को भी भेजा है।
अयोध्या मंदिरों का शहर है। यहां करीब चार हज़ार मंदिर हैं। हर मंदिर में कम से कम पांच-दस साधू और महंत रहते हैं। यहां से साधू अखाड़ों में बंटे हुए हैं। मंदिर की संपत्ति को लेकर उनमें मारकाट चलती रहती है। कभी-कभी तो इस तरह के आरोप भी लगे हैं कि बिहार और उत्तर प्रदेश के तमाम शातिर अपराधी सज़ा से बचने के लिए अयोध्या में आकर साधू बन जाते हैं। लेकिन कुछ भी हो, फैज़ाबाद का होने के नाते मैं जानता हूं कि ये साधू कभी सांप्रदायिक तनाव नहीं चाहते। बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के बाद भी इस इलाके में सांप्रदायिक दंगे नहीं हुए। शायद इन साधुओं की यही शांतिप्रियता उन्हें विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे बलवाई संगठनों के खिलाफ खड़ा कर देती है।
वैसे, यह बेहद संगीन बात है कि जब पूरा देश सिमी या अलकायदा से जुड़े आतंकवादियों के हमलों को लेकर परेशान है, तब हमारे वेदांती जी आतंकवाद के नाम पर बड़े आराम से अपनी सुरक्षा बढ़ाने का खेल खेल रहे थे। उनके लिए अलकायदा या सिमी एक ऐसा मनगढंत ज़रिया बन गए जिनके दम पर वे अपनी निजी सुरक्षा और राजनीति का आधार तैयार कर सकें। यह तथ्य इस ज़रूरत को भी एक बार फिर सामने लाता है कि आतंकवाद के हौवे से राजनीतिक लाभ बटोरनेवालो लोगों को बेनकाब किया जाए।
इंदिरा गांधी के बारे में कहा जाता था कि अगर किसी वजह से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) खत्म हो गया तो वे आनन-फानन में दूसरा आरएसएस खड़ा कर लेंगी। तो, कहीं ऐसा तो नहीं है कि देश में बढ़ते आतंकवादी हमलों के पीछे इसी तरह की कोई राजनीति काम कर रही है? इतना तो तय है कि बिना राजनीतिक प्रश्रय के कोई आतंकवादी संगठन काम नहीं कर सकता है। सीमापार आतंकवाद तो ठीक है, लेकिन सीमा से भीतर आ जाने के बाद इनको कौन खाद-पानी दे रहा है, इसकी पड़ताल ज़रूरी है। प्रसंगवश बता दूं कि गोंडा से बीजेपी के निष्कासित सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह कुख्यात माफिया रहे हैं और उनके यहां एके-47 राइफलों से भरी जीपों का आना-जाना आम बात रही है। ब्रजभूषण अब बीजेपी का दामन छोड़कर अमर सिंह के साये में जा चुके हैं। और, अमर सिंह के बारे में भी कहा जाता है कि दाऊद और अनीस इब्राहिम कास्कर तक उनकी सीधी पहुंच है।
साथ ही पुलिस ने वेदांती का मोबाइल फोन इलेक्ट्रॉनिक सर्विलिएंस पर डाल दिया ताकि उन्हें धमकी देनेवालों की पहचान की जा सके। पुलिस धमकी देनेवाले नंबरों का पता लगने के बाद सकते में आ गई क्योंकि दोनों फोन गोंडा ज़िले के कटरा कस्बे से किए गए थे और इन्हें करनेवाले दोनों ही लोग संघ परिवार से जुड़े संगठनों से ताल्लुक रखते थे। इनमें से एक थे पवन पांडे जो बजरंग दल के नगर अध्यक्ष हैं, जबकि दूसरे सज्जन हैं रमेश तिवारी जो हिंदू युवा वाहिनी के स्थानीय संयोजक हैं।
पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया। ज़िले के एसपी ज्ञानेश्वर तिवारी के मुताबिक पवन पांडे ने पूछताछ में बताया कि, “मेरे गुरुजी (वेदांती) को उस तरह की जेड-श्रेणी की सुरक्षा नहीं मिल रही थी, जिस तरह की सुरक्षा अशोक सिंघल और प्रवीण तोगड़िया जैसे वीएचपी के नेताओं को मिली हुई है। इसलिए गुरुजी के हामी भरने पर हमने इस तरह के फोन किए।” क्या गज़ब का शातिराना दिमाग पाया है इन गुरुजी, यानी राम विलास वेदांती ने। मजे की बात ये है कि इन लोगों की गिरफ्तारी के बाद वेदांती ने एसपी से गुजारिश की कि वे इन दोनों को जानते हैं और इनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई न की जाए। एसपी महोदय का कहना है कि इसके बाद उन्होंने इन दोनों को बाइज्जत बरी कर दिया।
अयोध्या में सरयू कुंज मंदिर के महंत युगल किशोर शरण शास्त्री का तो यहां तक कहना है कि वेदांती अयोध्या और आसपास के पूरे इलाके में इस तरह अलकायदा और सिमी की धमकियों का सहारा लेकर सांप्रदायिक तनाव फैलाना चाहते थे ताकि अगले लोकसभा चुनावों में बीजेपी को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का फायदा मिल सके। शास्त्री ने इस मामले के उजागर होने के बाद अपने मंदिर के अहाते में अयोध्या के करीब 500 साधुओं और महंतों की बैठक की। शनिवार को हुई इस बैठक के बाद करीब 100 प्रमुख साधुओं ने एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जिसमें वेदांती को फौरन गिरफ्तार करने की मांग की गई है। उन्होंने अपना यह ज्ञापन जिला प्रशासन के अलावा राज्य की मुख्यमंत्री मायावती को भी भेजा है।
अयोध्या मंदिरों का शहर है। यहां करीब चार हज़ार मंदिर हैं। हर मंदिर में कम से कम पांच-दस साधू और महंत रहते हैं। यहां से साधू अखाड़ों में बंटे हुए हैं। मंदिर की संपत्ति को लेकर उनमें मारकाट चलती रहती है। कभी-कभी तो इस तरह के आरोप भी लगे हैं कि बिहार और उत्तर प्रदेश के तमाम शातिर अपराधी सज़ा से बचने के लिए अयोध्या में आकर साधू बन जाते हैं। लेकिन कुछ भी हो, फैज़ाबाद का होने के नाते मैं जानता हूं कि ये साधू कभी सांप्रदायिक तनाव नहीं चाहते। बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के बाद भी इस इलाके में सांप्रदायिक दंगे नहीं हुए। शायद इन साधुओं की यही शांतिप्रियता उन्हें विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे बलवाई संगठनों के खिलाफ खड़ा कर देती है।
वैसे, यह बेहद संगीन बात है कि जब पूरा देश सिमी या अलकायदा से जुड़े आतंकवादियों के हमलों को लेकर परेशान है, तब हमारे वेदांती जी आतंकवाद के नाम पर बड़े आराम से अपनी सुरक्षा बढ़ाने का खेल खेल रहे थे। उनके लिए अलकायदा या सिमी एक ऐसा मनगढंत ज़रिया बन गए जिनके दम पर वे अपनी निजी सुरक्षा और राजनीति का आधार तैयार कर सकें। यह तथ्य इस ज़रूरत को भी एक बार फिर सामने लाता है कि आतंकवाद के हौवे से राजनीतिक लाभ बटोरनेवालो लोगों को बेनकाब किया जाए।
इंदिरा गांधी के बारे में कहा जाता था कि अगर किसी वजह से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) खत्म हो गया तो वे आनन-फानन में दूसरा आरएसएस खड़ा कर लेंगी। तो, कहीं ऐसा तो नहीं है कि देश में बढ़ते आतंकवादी हमलों के पीछे इसी तरह की कोई राजनीति काम कर रही है? इतना तो तय है कि बिना राजनीतिक प्रश्रय के कोई आतंकवादी संगठन काम नहीं कर सकता है। सीमापार आतंकवाद तो ठीक है, लेकिन सीमा से भीतर आ जाने के बाद इनको कौन खाद-पानी दे रहा है, इसकी पड़ताल ज़रूरी है। प्रसंगवश बता दूं कि गोंडा से बीजेपी के निष्कासित सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह कुख्यात माफिया रहे हैं और उनके यहां एके-47 राइफलों से भरी जीपों का आना-जाना आम बात रही है। ब्रजभूषण अब बीजेपी का दामन छोड़कर अमर सिंह के साये में जा चुके हैं। और, अमर सिंह के बारे में भी कहा जाता है कि दाऊद और अनीस इब्राहिम कास्कर तक उनकी सीधी पहुंच है।
Comments
इन्हें आइडिया के लिए रामगोपाल वर्मा या कोई अन्य पिटा फिल्ममेकर हायर क्यों नहीं कर लेता।
सहमति.. असहमति... तो अपनी जगह पर है, अनिल जी
यहाँ आकर, आलेख पढ़ कर अच्छा लगता है... यह और बात है,
कि एक आम भारतीय की तरह आप लिख रहे हैं, और मैं पढ़ रहा
हूँ । अभी कुछ घंटे बाद खाना खाकर सो जाऊँगा । यह क्षणिक
बेचैनी ही हम भारतीयों की गहन बीमारी है !