सारी गड़बड़ लोकल है, बाकी सब ठीक है
विदेश गए बबुआ को बाबूजी का खत...
बेटा दपिन्दर, तुमको आदत है घर-परिवार से अलग हटकर देश-समाज की चिंता करने की, इसलिए ये खत लिख रहा हूं। नहीं तो आठ साल से लगातार तुमसे फोन पर बातचीत तो होती रहती है। हर हफ्ते तू ही फोन करके सारा हाल ले लेता है। हमको कहां कुछ करना पड़ता है। तू इधर-उधर की बात सुनकर भागकर आने की हड़बड़ी मत करना, इसलिए सारी बात साफ-साफ बता रहा हूं।
मुझे पता है कि तुझे कोसी की बाढ़ से ज्यादा तकलीफ इस बात से हुई होगी कि बाहुबली सब राहत खा जा रहे हैं। मदद करने गए पुलिस वाले ने ही महिला से बलात्कार किया। इलाके के अधिकारी भ्रष्ट हैं। लेकिन बेटा, ये सारी गड़बड़ लोकल है, बाकी सब ठीक है।
अमरनाथ में मंदिर को ज़मीन दी। घाटी उबल पड़ी। ज़मीन छीन ली। जम्मू सड़कों पर आ गया। चुनाव नजदीक हैं। बलवा हुआ, बवाल हुआ। फायरिंग में बहुत से लोग मारे गए। मामला तप गया तो समझौता हो गया। ये सच है कि अमरनाथ यात्रा में बराबर की मदद करनेवाले हिंदुओ-मुसलमानों में तनाव है, तल्खी है। लेकिन बेटा, ये पूरी गड़बड़ लोकल है, बाकी सब ठीक है।
हरियाणा में मास्टर स्थाई नियुक्ति की मांग कर रहे थे। पुलिस क्या करती। पहले लाठियां चलाईं, फिर गोलियां। एक मास्टरनी मर गई। लोग भड़क गए हैं। लेकिन बेटा, पूरा मामला लोकल है, बाकी सब ठीक है।
आज़मगढ़ में आतंकवाद के खिलाफ रैली करने जा रहे थे अपने गोरखनाथ मंदिर के योगी आदित्यनाथ। अरे, वही आदित्यनाथ जिन्होंने दंगे में मुसलमानों को खींच-खींचकर मरवाया था। रैली के पहले ही उनके काफिले पर हमला हो गया। कई गाड़ियां तोड़फोड़ डाली गई। लेकिन रैली हुई। एक कातिल मुस्कान के साथ आदित्यनाथ बोले। आज उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल बंद है। पर बेटे, फिक्र की बात नहीं। मामला लोकल है, बाकी सब ठीक है।
कंधमाल में पहले स्वामी को माओवादियों ने मार डाला। फिर वीएचपी वालों ने आदिवासियों को मारा पीटा। घरों में आग लगा दी। क्या बुरा किया? हमारी सहनशीलता की भी हद है। हमारे चलते ही ये मु्ट्ठी भर लोग इतना बमकने लगे हैं। हमारा बहुमत और हम्हीं को धौंस। हम्हीं पर हमले। लेकिन बेटा, चिंता मत करना। सब लोकल मामला है, यहां तो सब ठीक है।
तुम्हारी अम्मा के सीने में बड़ा दर्द रहता था। सीढ़ी चढ़ने पर सांस फूलती थी। डॉक्टर को दिखाया। जांचा-परखा। बोला – हार्ट में चार जगह ब्लॉकेज है। बेटा जी, फिक्र मत करना। ब्लॉकेज़ तो हार्ट में ही न है। बाकी अम्मा का हाथ-पैर, दिल-दिमाग सब दुरुस्त हैं। दर्द भी है तो लोकल है। बाकी सब नॉर्मल है। आठ साल से नहीं आए तो अब आने की हड़बड़ी करने की ज़रूरत नहीं है। खुश रहना। बहू को हम सभी का आशीर्वाद पहुंचे। तुम्हारा भेजा पैसा सीधे बैंक खाते में आ गया था। हम सब ठीक हैं। देश-समाज भी ठीकै है। जो थोड़ी-बहुत गड़बड़ी है, सब लोकल है। बाकी सब ठीक है।
बेटा दपिन्दर, तुमको आदत है घर-परिवार से अलग हटकर देश-समाज की चिंता करने की, इसलिए ये खत लिख रहा हूं। नहीं तो आठ साल से लगातार तुमसे फोन पर बातचीत तो होती रहती है। हर हफ्ते तू ही फोन करके सारा हाल ले लेता है। हमको कहां कुछ करना पड़ता है। तू इधर-उधर की बात सुनकर भागकर आने की हड़बड़ी मत करना, इसलिए सारी बात साफ-साफ बता रहा हूं।
मुझे पता है कि तुझे कोसी की बाढ़ से ज्यादा तकलीफ इस बात से हुई होगी कि बाहुबली सब राहत खा जा रहे हैं। मदद करने गए पुलिस वाले ने ही महिला से बलात्कार किया। इलाके के अधिकारी भ्रष्ट हैं। लेकिन बेटा, ये सारी गड़बड़ लोकल है, बाकी सब ठीक है।
अमरनाथ में मंदिर को ज़मीन दी। घाटी उबल पड़ी। ज़मीन छीन ली। जम्मू सड़कों पर आ गया। चुनाव नजदीक हैं। बलवा हुआ, बवाल हुआ। फायरिंग में बहुत से लोग मारे गए। मामला तप गया तो समझौता हो गया। ये सच है कि अमरनाथ यात्रा में बराबर की मदद करनेवाले हिंदुओ-मुसलमानों में तनाव है, तल्खी है। लेकिन बेटा, ये पूरी गड़बड़ लोकल है, बाकी सब ठीक है।
हरियाणा में मास्टर स्थाई नियुक्ति की मांग कर रहे थे। पुलिस क्या करती। पहले लाठियां चलाईं, फिर गोलियां। एक मास्टरनी मर गई। लोग भड़क गए हैं। लेकिन बेटा, पूरा मामला लोकल है, बाकी सब ठीक है।
आज़मगढ़ में आतंकवाद के खिलाफ रैली करने जा रहे थे अपने गोरखनाथ मंदिर के योगी आदित्यनाथ। अरे, वही आदित्यनाथ जिन्होंने दंगे में मुसलमानों को खींच-खींचकर मरवाया था। रैली के पहले ही उनके काफिले पर हमला हो गया। कई गाड़ियां तोड़फोड़ डाली गई। लेकिन रैली हुई। एक कातिल मुस्कान के साथ आदित्यनाथ बोले। आज उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल बंद है। पर बेटे, फिक्र की बात नहीं। मामला लोकल है, बाकी सब ठीक है।
कंधमाल में पहले स्वामी को माओवादियों ने मार डाला। फिर वीएचपी वालों ने आदिवासियों को मारा पीटा। घरों में आग लगा दी। क्या बुरा किया? हमारी सहनशीलता की भी हद है। हमारे चलते ही ये मु्ट्ठी भर लोग इतना बमकने लगे हैं। हमारा बहुमत और हम्हीं को धौंस। हम्हीं पर हमले। लेकिन बेटा, चिंता मत करना। सब लोकल मामला है, यहां तो सब ठीक है।
तुम्हारी अम्मा के सीने में बड़ा दर्द रहता था। सीढ़ी चढ़ने पर सांस फूलती थी। डॉक्टर को दिखाया। जांचा-परखा। बोला – हार्ट में चार जगह ब्लॉकेज है। बेटा जी, फिक्र मत करना। ब्लॉकेज़ तो हार्ट में ही न है। बाकी अम्मा का हाथ-पैर, दिल-दिमाग सब दुरुस्त हैं। दर्द भी है तो लोकल है। बाकी सब नॉर्मल है। आठ साल से नहीं आए तो अब आने की हड़बड़ी करने की ज़रूरत नहीं है। खुश रहना। बहू को हम सभी का आशीर्वाद पहुंचे। तुम्हारा भेजा पैसा सीधे बैंक खाते में आ गया था। हम सब ठीक हैं। देश-समाज भी ठीकै है। जो थोड़ी-बहुत गड़बड़ी है, सब लोकल है। बाकी सब ठीक है।
Comments
लिखी जाने वाली चिट्ठियों की याद दिला दी. गांव में चिट्ठी लिखने का यही अंदाज था, जिसे आपने अपने ही
अंदाज में बखूबी पेश कर देश की ताजा तरीन किंतु हैरान करने वाली समस्याओं पर ध्यान खींचा है. देशज अंदाज
में चिट्ठी के लिए बधाई.
एसपी सिंह
और वह लोकल नहीं,अब ग्लोबल है भाई !
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