माओवादी इंसान नहीं, जानवर से भी बदतर!
मुझे अलग से कुछ नहीं कहना है। बस दो तस्वीरें लगा रहा हूं। पहली तस्वीर बुधवार की है जिसमें हमारे सिपाही पश्चिम बंगाल में इनकाउंटर के दौरान मारी गई एक महिला माओवादी को ढोकर ले जा रहे हैं। दूसरी तस्वीर देश की नहीं, विदेश की है जिसमें एक मरे हुए सुअर को दो लोग ढोकर ले जा रहे हैं।
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Comments
मृतक को ले जाने का यह तरीका बेहद आपत्तिजनक तो है ही, सरकार व सरकारी लोगों का यही रवैया नक्सलवादी बनाने में सहायक है। वैसे किसी दुर्घटना के बाद भी जिस तरह से मृतकों व घायलों को उठाया जाता है वह किसी विकसित या विकासशील देश को नहीं एक हजार साल पहले के युग में जीने वालों को दर्शाता है।
इस फोटो पर आपत्ति होनी ही चाहिए।
घुघूती बासूती
oh!!
shame!!shame!
हम तो भारत की ही तरफ थे, हैं और रहेंगे|
आप इस देश का नमक खाकर जारी रखें गद्दारी| आपकी मर्जी| हां ब्लॉग का नाम "एक नक्सलवादी की डायरी" रखें तो ज्यादा सार्थक रहेगा| डर-डर कर क्या समर्थन करना|
कभी समय मिले तो ७६ शहीदों की लाशों के चित्र देखना| उस समय तो आपकी जबान नहीं खुली| हम सब समझते हैं|
आप लोगों से निवेदन है बिना पूरी जानकारी के किसी को कृपया गलत ना ठहरायें।
आप लोगों से निवेदन है बिना पूरी जानकारी के किसी को कृपया गलत ना ठहरायें।