tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post8348981839175141330..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: ऊल-जलूल कहानी, फ्रस्टेशन और खिन्न होते लोगअनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-30765685952177770562007-11-08T00:31:00.000+05:302007-11-08T00:31:00.000+05:30अपन तो पढ़ेंगे और जरुरत महसूस हुई तो वाह वाह भी करे...अपन तो पढ़ेंगे और जरुरत महसूस हुई तो वाह वाह भी करेंगे जी!!<BR/><BR/>आप तो बस जारी रखें!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-14268077658909184712007-11-07T18:52:00.000+05:302007-11-07T18:52:00.000+05:30वाह वाह तो हम भी कर रहे थे जी.क्योंकि कहानी हमको अ...वाह वाह तो हम भी कर रहे थे जी.क्योंकि कहानी हमको अच्छी लग रही थी.अब कोई वाह वाह कहने से नाराज हो रहा है तो जी चुप हो जाते हैं.अब तो वह भी सोच समझ कर करने पड़ेगी.हम पढ़ते रहेंगे.पर वाह वाह नहीं करेंगे ..डर लगता है जी.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-69472347197137456492007-11-07T18:33:00.000+05:302007-11-07T18:33:00.000+05:30एक बात और- किरन बेदी ने एक बहुत सुंदर आंखें खोलने ...एक बात और- किरन बेदी ने एक बहुत सुंदर आंखें खोलने वाला article लिखा है - Zero tolerance- zero tolerance गलत कार्यों के प्रति. मैं ढुंढ रही हूं मिल गया तो लिंक ज़रुर पेश करुंगी.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-91990673185363535102007-11-07T18:21:00.000+05:302007-11-07T18:21:00.000+05:30अनिल भाई, कोई आके रातोंरात इस देश में क्रांति कर द...अनिल भाई, कोई आके रातोंरात इस देश में क्रांति कर देगा, यह गलतफहमी मुझे नहीं है और शायद जो लोग माले पार्टी के होलटाइमर हैं, उनको भी नहीं है। पूंजीवादी, पार्टीविरोधी और जनविरोधी हो जाने की गालियां भी मुझे शायद आपसे ज्यादा ही पड़ी होंगी क्योंकि पिछले दस-एक सालों से आप माले के मित्रों का कुछ निजी फायदा कराने की स्थिति में रहे हैं, जो कि न तो मैं अब हूं, न आगे कभी होने की कोई संभावना है। किसी का स्वामिभक्त होकर मैं आपसे बहस नहीं कर रहा, न किसी से करता हूं। एक खुले दिमाग वाला व्यक्ति आपको मानकर आपसे दो अपेक्षाएं जरूर हैं- एक, बाहरी शक्तियों के अलावा खुद के बारे में भी वस्तुगत हों, अन्य लोगों के अलावा अपनी पेचीदगियों की भी तलाश करें, ताकि बात और गहराई में उतरकर हो सके। और दो, किसी नए समाज के सपने को हमेशा पार्टी-पव्वे से ऊपर उठकर देखें, उसे हर हाल में, विपरीत से विपरीत परिस्थिति में भी जिंदा रखें, क्योंकि यही एक चीज है जो हमें चिथ्थड़ यथास्थितिवादी बनने से रोकती है। इन दोनों बातों का संबंध माले या मार्क्स से नहीं, बुद्ध, कबीर, हेराक्लाइटस और न जाने उन किन-किन लोगों का है, जिनका हवाला आप अपने लिखे में अक्सर देते रहे हैं? आप जितने प्यार से 'अपनी मेहनत की कमाई खाने' का जिक्र कर रहे हैं, उससे तो लगने लगा है कि बुद्ध आदि के समय में उनके साथ जाने वाले सारे लोग लूट की कमाई खाते रहे होंगे। सतही वाहवाहियों पर जीने वाला आपका यह निषेध किस मुकाम तक जाकर ठहरेगा? आखिर किन शब्दों में यह बात मैं आपसे कहूं कि आपसे बहस करना मेरे लिए खुद से बहस करने जैसा है, क्योंकि आज जो-जो आप लिख रहे हैं, उसे ही होलटाइमर जीवन से हटे मेरे समेत ज्यादातर लोग न जाने कितनी बार अपने दिमाग में लिख-लिखकर पुनर्विचार की कलम से काट देते रहे हैं। यहां ब्लॉग पर लिखी गई आपकी कहानीनुमा टिप्पणियों पर एतराज जताना बिल्कुल सिरे से मेरी बेवकूफी ही कही जाएगी, क्योंकि लाख चाहकर भी यहां किसी का कोई कर ही क्या सकता है, और करे भी क्यों- जब घटिया से घटिया चीज पर वाह-वाह करके ही यहां सबका मार्केट बढ़ता है। लेकिन जब भी मुझे लगेगा, मैं यह काम जरूर करूंगा- क्योंकि और किसी को हो या न हो- किसी पार्टी या किसी क्रांति या किसी अमूर्त जीवन मूल्य की बिना पर नहीं, आपसे अपने उस इकतरफा वैचारिक-भावनात्मक रिश्ते की बिना पर, जो अभी तक मेरी एकाधिक कविताओं और कहानियों का आधार बना है- मुझे आपसे बेहतर की उम्मीद हमेशा बनी रहेगी। मेरा आग्रह है कि मेरे साथ ब्लॉगरी वाले मानदंड न अपनाएं- न सुनने में और न कहने में। ठीक यही, बल्कि इससे भी ज्यादा निर्मम रवैया आप मेरे लिखे-पढ़े के प्रति बरतें- कभी उफ भी करूं तो आपका जूता मेरा सिर।चंद्रभूषणhttps://www.blogger.com/profile/11191795645421335349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-73057754827590461722007-11-07T18:20:00.000+05:302007-11-07T18:20:00.000+05:30This comment has been removed by a blog administrator.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-88015996576386547002007-11-07T18:10:00.000+05:302007-11-07T18:10:00.000+05:30इनकी कहानी खत्म होने के बाद मैं एक पोस्ट लिखने वाल...इनकी कहानी खत्म होने के बाद मैं एक पोस्ट लिखने वाली थी. पर अब रहा नहीं गया इस वजह से 2-4 बात अभी ही लिख रही हूं.<BR/> <BR/>-ये कुछ 2-3 या 4 लोग हैं जो काइयां धमकियों के जरिए बराबर कहे जा रहें हैं कि चुप हो जाओ, मुंह बन्द कर लो वरना “ प्यारे“ अनिल तुम्हारा केरेक्टर असेसीनेशन करके रहेंगे. <BR/>-CPI-ML पार्टी नहीं भगवान है उसके चंद नेता कुछ भी करें सब सही है. जनता का कुछ भी हो इन नेताओं की वजह से, चलेगा. पार्टी के नेताओं की छवि बनी रहनी चाहिए कोई पोल-वोल नहीं खोली जानी चाहिए. जो लोग पोल नहीं खोलते बिचारे कितने अच्छे हैं चुप रह कर आखिर किनकी चाकरी कर रहे हैं?<BR/>-सच है हम वो लोग हैं जिन्हें राक्षस के दर्शन पहली बार किसी की हिम्मत की वजह से हो रहे हैं नहीं तो बड़े ‘सच्चे खिन्न होने वाले लोगों ‘ की वजह से ही आज तक/भी मेरे जैसी तमाम जनता सच से वंचित थी.<BR/>-चूंकि और पार्टियां गलत काम कर रही है तो यह पार्टी तिनका भर कम गलत काम कर रही है तो गलत क्या है. आप ही देख लें अपना यह बोदा तर्क.<BR/>-और मेरी मेरे पति से इल्तिज़ा है कि इन मंडलों, भूषणों और बहादूरों की हरकतों से दुखी ना हों और जो-जितना लिखा जाना चाहिए उतना ज़रुर लिखें.<BR/>-(बाद में हर बात की काट पेश करुं शायद!)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-50941399657880297412007-11-07T16:45:00.000+05:302007-11-07T16:45:00.000+05:30मूल कहानी की कड़ी तो पेश करें।मूल कहानी की कड़ी तो पेश करें।आलोकhttps://www.blogger.com/profile/03688535050126301425noreply@blogger.com